सोमवार, 12 नवंबर 2012

बुद्धिजीवी किंकर्त्तव्यविमूढ़ है

बुद्धिजीवी   किंकर्त्तव्यविमूढ़   है

श्यामनारायण मिश्र

गज समस्या का उठाता सूंढ़ है
जीविका  का  प्रश्न  पूरा रूढ़ है

एक भद्दा  अंग  भी  ढंकता नहीं
चीथड़ों   की   हो   गई हड़ताल
मौत की मछली फंसाने के लिए
भूख बुनती  हड्डियों  के  जाल
वैताल सा निर्वाह लटका गूढ़ है

हर शहर है बागपत की आत्मा
अलीगढ़,  दिल्ली,  मुरादाबाद,
गांव की हर गली  में है घूमता
जातीयता का क्रूरतम उन्माद
हार  बैठा  मूढ़  छप्पर  ढूंढ़ है

राजनैतिक  दल  जलाने  को  खड़े
आसाम की यह अर्द्ध जीवित लाश
आदमी के तांडव की देख  क्षमता
तड़तड़ा    कर    टूटता   आकाश
बुद्धिजीवी   किंकर्त्तव्यविमूढ़   है
***     ***     ***

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं!

9 टिप्‍पणियां:

  1. दीप पर्व की

    हार्दिक शुभकामनायें
    देह देहरी देहरे, दो, दो दिया जलाय-रविकर

    लिंक-लिक्खाड़ पर है ।।

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  2. दीपोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ....

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  3. समझदार की मौत है...बुद्धिजीवी की अकल हैरान है...उसका किमकर्तव्यविमूंध होना लाज़मी है...

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  4. is geet ko padhkar ek alag udas aur andhere se bhari diwali ka chitra banta hai... kaise doon dipotsav kee shubhkaamna

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  5. आपको दिवाली की शुभकामनाएं । आपकी इस खूबसूरत प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार 13/11/12 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप का हार्दिक स्वागत है

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  6. सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    दीवाली का पर्व है, सबको बाँटों प्यार।
    आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
    लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
    उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
    --
    आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  7. उत्तर
    1. चचा जी,

      लगता है इहाँ कुछ गड़बड़ हो गया है हमसे। कृपा कर कमेन्टवा दोहरा दीजिए न !

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