tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post1226126523657546947..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: आँच-95 - जिन्दगी कहाँ कहाँ....मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-67538226897895555082011-11-26T16:34:53.844+05:302011-11-26T16:34:53.844+05:30ahilo ko apni prasansa sunna kitna acah lagta hae ...ahilo ko apni prasansa sunna kitna acah lagta hae vi hi dekha rahi hu is blog parअग्निमनhttps://www.blogger.com/profile/16918211064988414750noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-3686806417087062832011-11-11T22:47:21.452+05:302011-11-11T22:47:21.452+05:30उत्साहवर्धक टिप्पणियों के माध्यम से प्रोत्साहित कर...उत्साहवर्धक टिप्पणियों के माध्यम से प्रोत्साहित करने के लिए आप सभी पाठकों को हृदय से धन्यवाद।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-29619713560469242332011-11-11T22:44:14.063+05:302011-11-11T22:44:14.063+05:30@ डॉ जेन्नी शबनम,
अपनी कविता के माध्यम से समीक्षा...@ डॉ जेन्नी शबनम,<br /><br />अपनी कविता के माध्यम से समीक्षा हेतु भावभूमि उपलब्ध कराने के लिए तथा उस पर सहृदयता के साथ की गई सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44754057811756189082011-11-11T09:53:33.217+05:302011-11-11T09:53:33.217+05:30संपूर्ण,सटीक समीक्षा.संपूर्ण,सटीक समीक्षा.मन के - मनकेhttps://www.blogger.com/profile/16069507939984536132noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-91319254048272381272011-11-11T06:20:17.880+05:302011-11-11T06:20:17.880+05:30बढ़िया लगी समीक्षा
Gyan Darpan
Matrimonial Siteबढ़िया लगी समीक्षा <br /><br /><a href="http://www.gyandarpan.com/2009/11/about.html" rel="nofollow">Gyan Darpan</a><br /><a href="http://rajputmatrimonial.in" rel="nofollow">Matrimonial Site</a>Gyan Darpanhttps://www.blogger.com/profile/01835516927366814316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-18691207611078898312011-11-11T00:51:25.687+05:302011-11-11T00:51:25.687+05:30आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 11-11-...आपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा आज दिनांक 11-11-2011 को शुक्रवारीय <a href="http://charchamanch.blogspot.com" rel="nofollow"><b>चर्चा मंच</b></a> पर भी होगी। सूचनार्थचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-69790879568764139852011-11-11T00:32:56.783+05:302011-11-11T00:32:56.783+05:30एक सार्थक समीक्षा...समीक्षा अपने उद्देश्य में सफल ...एक सार्थक समीक्षा...समीक्षा अपने उद्देश्य में सफल रही है। "मनोज" यह ब्लॉग हिंदी साहित्य के नए लेखकों का मुख-पत्र सा लगता है।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-56032672602894554532011-11-10T23:42:56.444+05:302011-11-10T23:42:56.444+05:30साहित्य के क्षेत्र में आपका प्रयास अत्यंत सराहनीय ...साहित्य के क्षेत्र में आपका प्रयास अत्यंत सराहनीय है। आपको शुभकामनाएँ।संस्कार भारती, कानपुर विभागhttps://www.blogger.com/profile/10205738097909863953noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8743532488860702362011-11-10T23:35:50.931+05:302011-11-10T23:35:50.931+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.संस्कार भारती, कानपुर विभागhttps://www.blogger.com/profile/10205738097909863953noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-22873803151146929042011-11-10T22:19:53.790+05:302011-11-10T22:19:53.790+05:30सबसे पहले मनोज जी का बहुत बहुत शुक्रिया. आपके माध्...सबसे पहले मनोज जी का बहुत बहुत शुक्रिया. आपके माध्यम से मेरी रचना यहाँ तक पहुंची और इतनी विस्तृत समीक्षा की गई.<br /><br />हरीश जी का बहुत बहुत धन्यवाद. आपने बहुत गहनता और विस्तार से कविता के हर पक्ष की समीक्षा की है तथा कविता के भाव और स्त्री जीवन पर भी सार्थक चिंतन किया है. आपकी समीक्षा से निःसंदेह बहुत कुछ सीखने और समझने को मिल रहा है. त्रुटियों और कमियों को इंगित करने के लिए ह्रदय से आभारी हूँ. आगे भी आपके द्वारा मेरी कविता पर सार्थक समीक्षा की उम्मीद रहेगी. शिल्प, शब्द चयन और शब्द संयोजन को सुधारने का प्रत्न करुँगी. ह्रदय से आभार.<br /><br />समालोचना और सार्थक प्रतिक्रया के लिए सभी पाठकों का दिल से शुक्रिया. मेरे ब्लॉग तक आने के लिए आप सभी का धन्यवाद.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75571703412357439002011-11-10T21:52:46.845+05:302011-11-10T21:52:46.845+05:30अनुभवी लोग बहुत कुछ कह चुके हैं। इसलिए संक्षेप में...अनुभवी लोग बहुत कुछ कह चुके हैं। इसलिए संक्षेप में यही कहूँगा समीक्षा में समीक्षक कविता को देखने और समझने की दिशा देने में सफल रहा है, जो मेरी समझ से इस स्तर पर पर्याप्त है। साधुवाद।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-42028887773159878182011-11-10T20:49:48.808+05:302011-11-10T20:49:48.808+05:30@ मनोज जी, अरुण जी,
आत्मीय प्रतिक्रिया के लिए आप ...@ मनोज जी, अरुण जी,<br /><br />आत्मीय प्रतिक्रिया के लिए आप दोनों का बहुत-बहुत आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-38974628339791122202011-11-10T20:45:05.691+05:302011-11-10T20:45:05.691+05:30शुक्रिया, सलिल भाई।
अपना भरसक प्रयास मैं भी करता...शुक्रिया, सलिल भाई। <br /><br />अपना भरसक प्रयास मैं भी करता हूँ निष्पक्ष रहने का। कितना रह पाता हूँ, यह तो आप जैसे सुधी जन ही आकलन कर सकते हैं। यदि कहीं कोई कमी पाएँ तो साधिकार संकेत अवश्य करें, आपका कृतज्ञ होऊँगा।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-58196954244142977932011-11-10T20:40:39.413+05:302011-11-10T20:40:39.413+05:30डॉ. शबनम की कविताओं में काव्यात्मकता के साथ-साथ सं...डॉ. शबनम की कविताओं में काव्यात्मकता के साथ-साथ संप्रेषणीयता भी है। वे जीवन के जटिल से जटिल यथार्थ को बहुत सहजता के साथ प्रस्तुत कर देती हैं। उनकी भा्षा काव्यात्मक है लेकिन उसमें उलझाव नहीं है। <br />आपकी समीक्षा ने कविता के विभिन्न पक्षों को उजागर कर दिया है। आपका वन ऑफ द बेस्ट ... हरीश जी! आभार इस प्रस्तुति के लिए।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-37776944874328136062011-11-10T20:24:54.317+05:302011-11-10T20:24:54.317+05:30हरीश जी,
आभार आपका!! आपने जो सम्मान मुझे दिया उसपर...हरीश जी,<br />आभार आपका!! आपने जो सम्मान मुझे दिया उसपर खरा तथा अपनी टिप्पणियों में निष्पक्ष बने रहने की चेष्टा करूँगा!!<br />कवयित्री को पुनः शुभकामनाएं तथा आपकी समीक्षा को सलाम!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64471585510786200942011-11-10T20:13:18.608+05:302011-11-10T20:13:18.608+05:30आंच का एक और अंक. एक और उत्कृष्ट समीक्षा... कई बार...आंच का एक और अंक. एक और उत्कृष्ट समीक्षा... कई बार कविता पढ़ते हुए ..कविता रचते हुए... कविता में निहित कमियों के प्रति ध्यान नहीं जाता ... लेकिन गुप्त जी जिस प्रकार भाव और शिल्प दोनों की खूबियों और कमियों की ओर ध्यान दिलाते हैं... समीक्षा के पाठ बन जाता है... जेन्नी जी को नियमित पढता हूं... उनकी कविता के विम्ब और शिल्प तथा शिल्प में दोष को देखकर काफी कुछ सिखने को मिला है.. और सचेत रहने की सीख भी मिली है... गुप्त जी की एक और उत्कृष्ट समीक्षा....अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-57954757183286196322011-11-10T19:59:47.925+05:302011-11-10T19:59:47.925+05:30पहले कविता का लिंक नहीं दिया जा सका था। क्योंकि मु...पहले कविता का लिंक नहीं दिया जा सका था। क्योंकि मुझे लिंक देने की कला का ज्ञान ही नहीं है और पोस्ट मैंने भेजी थी। आपको हुई असुविधा के लिए खेद है।<br /><br />अब, कविता का तथा डॉ. जेन्नी शबनम के ब्लाग का लिंक उसके शीर्ष पर दे दिया गया है।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-67196737106459841202011-11-10T19:44:55.891+05:302011-11-10T19:44:55.891+05:30@ सलिल जी,
आपकी सजग एवं सूक्ष्म दृष्टि से अभिभूत ...@ सलिल जी,<br /><br />आपकी सजग एवं सूक्ष्म दृष्टि से अभिभूत हूँ और यह निसंदेह बहुत प्रभावित करती है। किसी भी रचना पर आपके विचार स्वयमेव किसी समीक्षा से कम नहीं होते। भले ही वह रचना ही समीक्षा क्यों न हो। यह प्रतिक्रिया आपकी इसी विशिष्टि को प्रमाणित भी करती है। <br /><br />मैं आपसे पूर्णतया सहमत हूँ कि यहाँ "अपने सच्चे वाले रंग" अटपटा प्रयोग है। ऐसा नहीं है कि दर्शाई गई कमियों के अतिरिक्त कविता निर्दोष है। कविता में और भी स्थानों पर कुछ शिल्पगत त्रुटियाँ हैं जिनका उल्लेख नहीं किया गया है। इनका उल्लेख केवल कविता के पूर्वार्द्ध तक सीमित है। हाँ, आगे के लिए यह कहते हुए कि "इसी प्रकार का अनावश्यक भार कविता से उतार देने पर यह कविता शिल्प की दृष्टि से कस जाती और आकर्षक भी बन जाती है।" संकेत भर किया है ताकि समीक्षा दोषदर्शन से बोझिल न होने पाए और मेरा मन्तव्य भी रचनाकार तथा पाठकों तक सम्प्रेषित हो जाए।<br /><br />सादर,हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-12022023835053870862011-11-10T19:12:52.838+05:302011-11-10T19:12:52.838+05:30जेन्नी जी की कविताओं में नारी संवेदना की गहरी पैंठ...जेन्नी जी की कविताओं में नारी संवेदना की गहरी पैंठ होती है.<br />एक सम्पूर्ण समीक्षा के लिए आभार.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-7809289995527439022011-11-10T19:03:45.645+05:302011-11-10T19:03:45.645+05:30कसाव दार सटीक समालोचना .कसाव दार सटीक समालोचना .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75418968764565560092011-11-10T17:50:16.897+05:302011-11-10T17:50:16.897+05:30बढ़िया समीक्षा लिखी गई है.बढ़िया समीक्षा लिखी गई है.Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com )https://www.blogger.com/profile/00012875891407319363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-5069551552317434112011-11-10T14:55:52.157+05:302011-11-10T14:55:52.157+05:30आँच की जाँच में हुई काट-छांट ।
विस्तार से पढ़ना प...आँच की जाँच में हुई काट-छांट । <br />विस्तार से पढ़ना पड़ेगा संदर्भित ब्लॉग को। <br />..अच्छी पोस्ट।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-36671874283215895512011-11-10T14:47:21.848+05:302011-11-10T14:47:21.848+05:30कमाल की समीक्षा है ....
लिंक ठीक काम नहीं कर रहे ...कमाल की समीक्षा है .... <br />लिंक ठीक काम नहीं कर रहे हैं !<br />आपको और शबनम जी शुभकामनायेंSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61290390546714190982011-11-10T14:42:16.642+05:302011-11-10T14:42:16.642+05:30सटीक समीक्षा!सटीक समीक्षा!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-45104881808765188832011-11-10T13:37:43.303+05:302011-11-10T13:37:43.303+05:30हरीश जी ने इस बार कविता की व्याख्या विस्तार से की ...हरीश जी ने इस बार कविता की व्याख्या विस्तार से की है और शिल्पगत समीक्षा को कॉम्पैक्ट बनाकर प्रस्तुत किया है... कविता के भाव नए नहीं हैं मगर अभिव्यक्ति नयी है..और जैसा हरीश जी ने कहा, बिम्ब नए हैं... कवयित्री की संवेदनशीलता पूरी कविता पर पसरी हुयी है, लेकिन शब्द-संयोजन और शब्दों का चयन थोड़ा खटकता है. एक वाक्य, जिसपर हरीश जी ने कुछ नहीं कहा (या शायद ध्यान न गया हो) शिल्प की दृष्टि से कटु प्रतीत हो रहा है: <br /><b>जब तुम्हारे संग<br />अपने सच्चे वाले रंग में थी</b> <br />'सच्चे वाले रंग' कविता की दृष्टि से उचित नहीं प्रतीत हो रहा (कम से कम एक पाठक की ओर से... कुल मिलाकर समीक्षा संतुलित है और कविता संवेदनशील!!<br />पुनश्च: कविता का लिंक नहीं खुल रहा है, ब्लॉग के द्वारा कविता तक पहुँचना पड़ा!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com