tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post1383408787481655646..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: हे देश, तुम्हारे तर्पण मेंमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-56923327288373379172010-04-14T17:16:56.959+05:302010-04-14T17:16:56.959+05:30अद्भूत प्रभाव का काव्य ! लघु छंद में भी प्रबंध-कौ...अद्भूत प्रभाव का काव्य ! लघु छंद में भी प्रबंध-कौशल की प्रतीति हो रही है ! शिल्प में गुप्त झाँक रहे हैं तो ओज के स्वर में दिनकर की हुंकार सुनाई देती है !! व्यवस्था के प्रति के क्षोभ से विद्रोह के तेवर तीक्ष्णतर हो गए हैं. कुछ पक्तियां तो मुझे इतनी अच्छी लगी कि एक बार में ही याद हो गयी ! जैसे..... <br /><br />संविधान के काम वृक्ष की<br /><br />काट-काट कर सारी डालें<br /><br />मैं तो समिधा बना दिया।<br /><br /><br />कि राजनीति के जटाजूट में<br /><br />गंगा कैसी भटक गयी?<br /><br /><br />तेरे प्रभात के सूरज को<br /><br />तेरा ही बंदर निगल गया।<br /> <br />कवि ने ऐसे अनछुए विम्बों का प्रयोग किया है कि कविता बेहद ही रचक बन पड़ीं है.... ! किन्तु कुछ स्थानों पर मुझे कुछ संशय जैसा है.... <br />कि सारे सागर भी खाली हो गए ......... यहाँ "भी" शब्द मुझे कुछ खटक रहा है.... तथापि छंदपूर्ति के लिए जरूरी भी है ! <br /><br />लोकतंत्र की ढपली है<br /><br />है लोकतंत्र का राग, ...... सहसा रुकना पड़ रहा है.... ऊपर से अगली पंक्तियों में उपसंहार आ जाने से छंद भी अपूर्ण सा जान पड़ता है..... लगता है कि दो पंक्तियाँ और होनी चाहिए.... ! <br /><br />अब क्या करूँ? अब क्या बोलूँ।..... इतनी प्रभावशाली कविता की अन्त्य-पंक्तियाँ..... लगता है कविता के उत्कर्ष पर कवि जल्दी में आ गए हैं ! खास कर "अब क्या करूँ ?"...... काश कुछ और बात होती..... !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72519737431996386162010-04-14T13:49:22.382+05:302010-04-14T13:49:22.382+05:30अब क्या बोलूँ????????अब क्या बोलूँ????????Rachna Karnahttps://www.blogger.com/profile/01778833565266862817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-45431950948848452912010-04-14T12:33:16.752+05:302010-04-14T12:33:16.752+05:30sundarsundarAkhilesh pal bloghttps://www.blogger.com/profile/06176388027572233336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-50215333114976813372010-04-14T07:03:50.678+05:302010-04-14T07:03:50.678+05:30मीडिया वर्ग है पूछ रहा
अब क्या जवाब दूँ, तुम बोलो
...मीडिया वर्ग है पूछ रहा<br />अब क्या जवाब दूँ, तुम बोलो<br />कि राजनीति के जटाजूट में<br />गंगा कैसी भटक गयी?<br />आँसू से भरी अंजलि<br />किसे अर्घ्य दे<br />तेरे प्रभात के सूरज को<br />तेरा ही बंदर निगल गया।----------------------बहुत उम्दा रचना-----।डा0 हेमंत कुमार ♠ Dr Hemant Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03899926393197441540noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-92024659970538122392010-04-13T21:17:48.893+05:302010-04-13T21:17:48.893+05:30सुंदर ...सुंदर ...मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-22339592022979161862010-04-13T20:41:48.986+05:302010-04-13T20:41:48.986+05:30सुन्दर रुप मे राय जी ने अपनी बातों को कहा है.
शुभक...सुन्दर रुप मे राय जी ने अपनी बातों को कहा है.<br />शुभकामनायें.शमीमhttps://www.blogger.com/profile/17758927124434136941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-741809444672685882010-04-13T20:39:21.135+05:302010-04-13T20:39:21.135+05:30गहरे भाव लिये अच्छी कविता.गहरे भाव लिये अच्छी कविता.ज़मीरhttps://www.blogger.com/profile/03363292131305831723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-13727140306991165442010-04-13T20:21:51.960+05:302010-04-13T20:21:51.960+05:30आपकी कविता पढ़ने पर ऐसा लगा कि आप बहुत सूक्ष्मता स...आपकी कविता पढ़ने पर ऐसा लगा कि आप बहुत सूक्ष्मता से एक अलग धरातल पर चीज़ों को देखते हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-58210516741689834982010-04-13T20:21:34.287+05:302010-04-13T20:21:34.287+05:30सुन्दर भावाभिव्यक्ति..सुन्दर भावाभिव्यक्ति..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75677065421874155842010-04-13T20:06:47.984+05:302010-04-13T20:06:47.984+05:30देश तुम्हारे तर्पण में
कितनी भर दी इनमें प्यास
कि ...देश तुम्हारे तर्पण में<br />कितनी भर दी इनमें प्यास<br />कि सारे सागर भी खाली हो गए<br />उनकी सबकी प्यास बुझाने में।<br /> सुन्दर पंक्तियाँ! बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-59641257569228527252010-04-13T19:13:32.280+05:302010-04-13T19:13:32.280+05:30मीडिया वर्ग है पूछ रहा
अब क्या जवाब दूँ, तुम बोलो...मीडिया वर्ग है पूछ रहा<br /><br />अब क्या जवाब दूँ, तुम बोलो<br /><br />कि राजनीति के जटाजूट में<br /><br />गंगा कैसी भटक गयी?<br /><br /><br />आँसू से भरी अंजलि<br /><br />किसे अर्घ्य दे<br /><br />Ati sundar bhaav manoj ji !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.com