tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post1592978960727144921..comments2024-03-06T12:52:47.485+05:30Comments on मनोज: समीक्षा आँच-97- तू उस पार दिव्य आलोकितमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53974349801264299842011-11-25T09:34:21.627+05:302011-11-25T09:34:21.627+05:30@ नवीन जी,
आपका सुझाव बहुत अच्छा है। निसंदेह इससे...@ नवीन जी,<br /><br />आपका सुझाव बहुत अच्छा है। निसंदेह इससे स्पष्टता बढ़ेगी। मुझमें तकनीक की निपुणता की कमी है। धीरे-धीरे सीख रहा हूँ। पहले मुझे कमेन्ट पोस्ट करना भी नहीं आता था। अब पिछले महीने से जैसा-तैसा कर रहा हूँ। आवश्यकता ने सिखा दिया। इसका भी प्रयास करूँगा।<br /><br />सुझाव के लिए आभार,हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-31285988604662382352011-11-25T09:09:05.859+05:302011-11-25T09:09:05.859+05:30ऐसी चर्चाएं होनी चाहिए, सकारात्मक रुख के साथ
अच्छा...ऐसी चर्चाएं होनी चाहिए, सकारात्मक रुख के साथ<br />अच्छा होता यदि आप पीडीएफ या अन्य किसी फॉर्मेट का सहारा ले कर एक पन्ने के दो टुकड़ों में आमने-सामने मूल कविता और प्रस्तावित सुधारों के बाद की कविता प्रस्तुत करते, फिर उस के बाद नीचे - ये सुधार क्यूँ - इस पर प्रकाश डालते <br /><br />बहरहाल मनोज भाई और हरीश भाई आप लोगों के द्वारा उठाया गया यह अच्छा क़दम है। सकारात्मकता इसे बहुत आगे तक ले जाएगी।www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-3046817124365656642011-11-25T00:33:51.995+05:302011-11-25T00:33:51.995+05:30अनीता जी को कम पढ़ा है ..समीक्षा बेहतरीन लगी.अनीता जी को कम पढ़ा है ..समीक्षा बेहतरीन लगी.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53231777018304886522011-11-25T00:15:21.714+05:302011-11-25T00:15:21.714+05:30कविता की समीक्षा सटीक और स्तरीय है।कविता की समीक्षा सटीक और स्तरीय है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-13526803690502681602011-11-24T23:00:36.146+05:302011-11-24T23:00:36.146+05:30ब्लॉग में आंच सा मंच नहीं है अभी... शुभकामनायेब्लॉग में आंच सा मंच नहीं है अभी... शुभकामनायेकुमार पलाशhttps://www.blogger.com/profile/04395975925949663661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61444924792837133302011-11-24T20:11:17.691+05:302011-11-24T20:11:17.691+05:30हरीश जी की समीक्षा कविता की भावभूमि और कुछ आवश्यक ...हरीश जी की समीक्षा कविता की भावभूमि और कुछ आवश्यक कमियों को प्रकाशित करती है, जो कविता लेखन में प्रवृत्त नए कवियों के लिए सहायक सिद्ध होगी।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-86679437525224586562011-11-24T19:56:40.197+05:302011-11-24T19:56:40.197+05:30हरीश जी! समीक्षा की कसौटी और बेंचमार्क बहुत ऊंचा ह...हरीश जी! समीक्षा की कसौटी और बेंचमार्क बहुत ऊंचा होता जा रहा है.. अब तो मन में कविता प्रस्फुटित होती है तो आपका स्मरण हो आता है.. यदि इस कसौटी पर कसी गयी कविता और मुहर लगे, तभी परिपक्व मानी जा सकती है.. <br />वर्त्तमान समीक्षा इस बात का प्रमाण है कि मेरा कथन अतिशयोक्ति नहीं!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75596356586840140552011-11-24T19:51:46.156+05:302011-11-24T19:51:46.156+05:30बहुत सुंदर समीक्षा की है आपने ....बहुत सुंदर समीक्षा की है आपने ....Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-33116228855292623502011-11-24T19:45:50.136+05:302011-11-24T19:45:50.136+05:30सुन्दर समीक्षा!
बहुत कुछ सीखने का अवसर देती है आंच...सुन्दर समीक्षा!<br />बहुत कुछ सीखने का अवसर देती है आंच की हर समीक्षा!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54327444642695229312011-11-24T18:25:59.047+05:302011-11-24T18:25:59.047+05:30्बहुत सुन्दर व सटीक समीक्षा की है।्बहुत सुन्दर व सटीक समीक्षा की है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-13578254670983306122011-11-24T18:09:29.540+05:302011-11-24T18:09:29.540+05:30बृहत् और सुंदर समीक्षा ......बहुत गहरे तक उतर कर क...बृहत् और सुंदर समीक्षा ......बहुत गहरे तक उतर कर कविता की संवेदना को मुखरित करती आपकी यह समीक्षा निश्चित रूप से आपकी दृष्टि और समझ को सामने लाती है ......!केवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-89978708088045647732011-11-24T17:17:49.156+05:302011-11-24T17:17:49.156+05:30बहुत सुन्दर समीक्षा... गुप्त जी की समीक्षा कला की ...बहुत सुन्दर समीक्षा... गुप्त जी की समीक्षा कला की व्यापकता बढ़ रही है...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com