tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post3359156580457539095..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: भारत और सहिष्णुता -2मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-43125781332138144332011-05-19T12:25:51.760+05:302011-05-19T12:25:51.760+05:30बेहतरीन,
त्रिवेदी जी को आभारबेहतरीन,<br /><br />त्रिवेदी जी को आभारgood_donehttps://www.blogger.com/profile/15110617932419017381noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-47837923456369748002011-05-19T12:20:37.908+05:302011-05-19T12:20:37.908+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.good_donehttps://www.blogger.com/profile/15110617932419017381noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-85592536518926650142011-05-18T09:25:32.046+05:302011-05-18T09:25:32.046+05:30श्री त्रिवेदी जी ने इस लेख शृंखला में सहिष्नाणुता ...श्री त्रिवेदी जी ने इस लेख शृंखला में सहिष्नाणुता के सनातन मूल्यों का विविध मौलिक दृष्टिकोणों से वर्तमान सन्दर्भ में मूल्यांकन करने का सफल प्रयास किया है। कुछ पाठकों ने कायरता और सहिष्साणुता में अन्तर की ओर संकेत किया है। लेखक से अनुरोध है कि वह इन दोनों तत्त्वों की विभाजक रेखा कहीं प्रसंगानुसार अवश्य खींचे। साधुवाद।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-9004604605598667112011-05-17T23:47:56.970+05:302011-05-17T23:47:56.970+05:30आधुनिक संदर्भों के कारण यह आलेख बहुत प्रासंगिक बन ...आधुनिक संदर्भों के कारण यह आलेख बहुत प्रासंगिक बन गया है और विश्व राजनीति के प्रति नवदृष्टि विकसित हो रही है।शिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-81499217032716058122011-05-17T18:13:29.103+05:302011-05-17T18:13:29.103+05:30आजकल जब हम आइडेण्टिटी क्राइसिस से गुजर रहे हैं, सह...आजकल जब हम आइडेण्टिटी क्राइसिस से गुजर रहे हैं, सहिष्णुता की एक मिसाल जो समझ नहीं आती सामान्य बुद्धि से, कायरता ही लगती है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-50302806213805485812011-05-17T17:54:33.821+05:302011-05-17T17:54:33.821+05:30बहुत सुन्दर कविता और बहुत उपयोगी पोस्ट
बुद्ध पूर्...बहुत सुन्दर कविता और बहुत उपयोगी पोस्ट<br /><br />बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनायें!Sawai Singh Rajpurohithttps://www.blogger.com/profile/14297388415522127345noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-12516408139008988192011-05-17T17:46:56.025+05:302011-05-17T17:46:56.025+05:30सुन्दर आलेख, सटीक कविता का संदर्भ।सुन्दर आलेख, सटीक कविता का संदर्भ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-24124781416426470582011-05-17T16:10:00.663+05:302011-05-17T16:10:00.663+05:30भारतीय जन-मानस के कवि क्यूँ थे दिनकर जी, इस कविता ...भारतीय जन-मानस के कवि क्यूँ थे दिनकर जी, इस कविता से साबित हो जाता है|<br /><br />आज जबकि युद्ध नायक ओबामा को शांति पुरस्कार दिया जा सकता है तो खास कर ऐसे वक्त में भारतीय सहिष्णुता को नये आयामों के साथ पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता भी महसूस होने लगी है|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-32055806702848886252011-05-17T14:47:17.154+05:302011-05-17T14:47:17.154+05:30उंची मनुष्यता के पथ भी खुलते हैं
सच पूछों तो अब भ...उंची मनुष्यता के पथ भी खुलते हैं<br />सच पूछों तो अब भी सच यही वचन है<br />सभ्यता क्षीण बलवान हिंस्र कानन है<br />जब शांतिवादियों ने कपोत छोड़े थे<br />किसने आशा से नहीं हाथ जोड़े थे..<br /> बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! शानदार लेख!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-15296640627299322822011-05-17T13:59:02.676+05:302011-05-17T13:59:02.676+05:30uttam lekhuttam lekhअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-33559174097308134482011-05-17T12:53:15.555+05:302011-05-17T12:53:15.555+05:30सहिष्णुता संबंधी लेख के लिए साधुवाद! आपकी चिंता स्...सहिष्णुता संबंधी लेख के लिए साधुवाद! आपकी चिंता स्वाभाविक है। इस समस्या का मूल कारण अशिक्षा है। भारत में सदियों तक शिक्षा के दरवाजे आम आदमी के खुले न थे। अत: "मैं जो चाहूँ सो करूँ....मेरी मर्ज़ी" वाला सिद्धांत यहाँ प्रभावी रहा। यह सिद्धांत ताकत का परिचायक रहा है। आप इसे जंगलराज वाला सिद्धांत कह सकते हैं। ऋषियों ने इस सिद्धांत की व्याख्या "वीर भोग्या वसुंधरा" रूप में की है। वीरों ने पुरूषों को दास और स्त्रियों को दासी समझा। दास और दासियाँ उनके लिए भोग की वस्तु थे, धन थे। जातिवाद, पर्दा-प्रथा, सती-प्रथा, बाल-विवाह, देवदासी-प्रथा जैसी अनेक प्रथाओं में उसे जकड़ा गया। आम जनता ने उनकी बातों को अपना आदर्श समझ कर अपना लिया। गैर-बराबरी वाली धार्मिक व्यस्था ने आम जनता का मनोबल तोड़ कर रख दिया और वह बाहरी हमलों का प्रतिकार न कर सकी। उसी मानसिकता के लक्षण हैं-’कन्या को कन्या नहीं दान की वस्तु समझा जाता है। जिस माँ-बाप जन्म देते हैं वे उसे पराया धन मानने लगते हैं। अत्याचार, अत्याचार है। दलितों और पिछड़ों की भाँति समाज के कमजोर वर्ग में नारियाँ भी आती हैं। जब दास और दासी भारी संख्या में प्रताणित किए जाते हैं, जलाए जाते हैं तो उसे दंगा कहा जाता है। जब केवल दासी (नारी) प्रताणित की जाती है, जलाई जाती है तो उसे दहेज-हत्या कह दिया जाता है। दहेज-हत्या शोषण का घिनौना रूप है। आज भी बर्बर युग की बहुत गहरी जड़ें हमारे समाज में विद्यमान हैं। जिस देश का समाज जितना सभ्य होगा उस देश में लोकतांत्रिक शासन-प्रणाली उतनी ही कामियाब होगी। सहिष्णुता वहीं चिर स्थायी रहती है जहाँ जाति, धर्म, भाषा तथा लिंग के आधार पर भेदभाव का कोई स्थान नहीं होता है। <br />=======================<br />सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-43969121171932677382011-05-17T11:59:43.625+05:302011-05-17T11:59:43.625+05:30सहिष्णुता एक ऐसा गुण है जिसपर लिखा होता है "H...सहिष्णुता एक ऐसा गुण है जिसपर लिखा होता है "Handlewith care" ज़रा सी असावधानी उसे कायरता की श्रेणी में ले जाती है..सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54535459207073438772011-05-17T11:09:27.870+05:302011-05-17T11:09:27.870+05:30“क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो, उसको क्...“क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो, उसको क्या जो दंतहीन विषहीन विनीत सरल हो।"<br /><br />यह पंक्तियाँ रामधारी सिंह " दिनकर " की " कुरुक्षेत्र " से हैं |<br /><br />लेख बहुत अच्छा और जागरूक करने वाला हैसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-4507561621238620262011-05-17T10:30:19.952+05:302011-05-17T10:30:19.952+05:30सहिष्णुता पर विचारोत्तेजक लेख !
आभार !सहिष्णुता पर विचारोत्तेजक लेख !<br />आभार !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21645939896363568822011-05-17T08:36:26.942+05:302011-05-17T08:36:26.942+05:30सहिष्णुता पर उपयोगी तथा धैर्य बढ़ाने का मन्त्र देन...सहिष्णुता पर उपयोगी तथा धैर्य बढ़ाने का मन्त्र देने वाली अच्छी चर्चा..Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-55023163301668108892011-05-17T07:19:08.925+05:302011-05-17T07:19:08.925+05:30निसंदेह सहिष्णुता थोडा दब्बू भी बनाती है।निसंदेह सहिष्णुता थोडा दब्बू भी बनाती है।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-12680508636963323022011-05-17T06:23:47.926+05:302011-05-17T06:23:47.926+05:30उपयोगी पोस्ट!
जितेन्द्र त्रिवेदी जी को ब्लॉगिस्तान...उपयोगी पोस्ट!<br />जितेन्द्र त्रिवेदी जी को ब्लॉगिस्तान से परिचित करवाने के लिए आपका आभार!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com