tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post3660687765495717798..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: मीडिया की डुगडुगीमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-23690557196539113822010-05-16T18:09:25.523+05:302010-05-16T18:09:25.523+05:30'अपने सृजन का तो
हम करते हैं सम्मान
सबसे ज़्या...'अपने सृजन का तो<br />हम करते हैं सम्मान<br /><br />सबसे ज़्यादा …!<br /><br />हमारा मान-सम्मान<br /><br />और पहचान<br /><br />इसी से है।<br /><br /><br />लेकिन,<br /><br />दूसरों की<br /><br />अज़ादी का अतिक्रमण<br /><br />हमारी आज़ादी नहीं।,<br /><br /><br /><br />- आज के समय में अत्यंत सामयिक (ब्लॉग जगत के संदर्भ में भी )hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21791295091404012712010-05-16T17:59:29.240+05:302010-05-16T17:59:29.240+05:30"मीडिया की डुगडुगी" कविता मीडिया द्वारा ..."मीडिया की डुगडुगी" कविता मीडिया द्वारा दिखाए जा रहे तमाशे की ओर इशारा करती बढिया कविता है। वर्तमान मीडिया, चाहे वह प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, मदारी की तरह लगने लगी है। पांच मिनट की सूचना के समाचार को आधे घंटे से लेकर एक घंटे तक का समय मदारी की तरह डुगडुगी बजा कर बार-बार रहस्य की तरफ़ संकेत करते हुए नष्ट कर देते हैं। <br /><br />ये लोगों के स्वतंत्र चिंतन को भी अनावश्यक दिशा की ओर प्रभावित कर प्रेरित करते हैं और समय का दुरुपयोग करते हैं।<br /><br />लोगों के व्यक्तिगत ज़िन्दगी पर अनावश्यक बकवास कर उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अतिक्रमण करते हैं।<br /><br />इस भाव-भूमि पर रचना लगभग खड़ी उतरी है। आशा है मीडिया के लोग इसे पढ कर दर्शकों की संवेदना को समझेंगे।Prashuram Raihttps://www.blogger.com/profile/02534745381634508945noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-40820227349948804902010-05-16T17:38:40.023+05:302010-05-16T17:38:40.023+05:30दूसरों की
अज़ादी का अतिक्रमण
हमारी आज़ादी नहीं.....दूसरों की<br /><br />अज़ादी का अतिक्रमण<br /><br />हमारी आज़ादी नहीं...... सच !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-24463153332045810012010-05-16T16:43:02.043+05:302010-05-16T16:43:02.043+05:30bazarvaad men midiyaa ki is dugdugi ki vjh se jnta...bazarvaad men midiyaa ki is dugdugi ki vjh se jnta thgi jaa rhi he aap ne aek achchaa sndrbh pyaare triqe se uthaayaa he bdhaai ho. akhtar khan akela kota rajasthan my hind blog akhtarkhanakela.blogspot.comआपका अख्तर खान अकेलाhttps://www.blogger.com/profile/13961090452499115999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72442329315480574232010-05-16T15:25:57.798+05:302010-05-16T15:25:57.798+05:30मीडिया की डुगडुगी भीड़ ही जुटाति है। फिर भेड़चाल। ...मीडिया की डुगडुगी भीड़ ही जुटाति है। फिर भेड़चाल। कविता बहुत ही विचारणीय है।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-68510026362733753712010-05-16T15:08:28.664+05:302010-05-16T15:08:28.664+05:30मारक!
विचारणीय पोस्ट!!मारक!<br />विचारणीय पोस्ट!!प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-4404056976552320512010-05-16T14:55:51.190+05:302010-05-16T14:55:51.190+05:30हुत सटीक....अभिव्यक्ति !हुत सटीक....अभिव्यक्ति !रीताhttps://www.blogger.com/profile/17969671221868500198noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-57949746784514059392010-05-16T14:36:18.889+05:302010-05-16T14:36:18.889+05:30वाह सर! एकदम सच उतार दिया है। आज का हालत बयानी है।...वाह सर! एकदम सच उतार दिया है। आज का हालत बयानी है।जुगल किशोरhttps://www.blogger.com/profile/13301162594819383710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-51270777886064737132010-05-16T13:26:41.488+05:302010-05-16T13:26:41.488+05:30वाकई प्रशंसनीय पोस्ट.वाकई प्रशंसनीय पोस्ट.शमीमhttps://www.blogger.com/profile/17758927124434136941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-37811810392453368572010-05-16T12:13:10.155+05:302010-05-16T12:13:10.155+05:30जनता वह पढती है जो हम पढवाते हैं । हम क्या पढवा...जनता वह पढती है जो हम पढवाते हैं । हम क्या पढवाते हैँ . यह विचारणीय है ।<br />पोस्ट प्रशंसनीय ।अरुणेश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/14110290381536011014noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-28320497772504649622010-05-16T10:41:41.693+05:302010-05-16T10:41:41.693+05:30बाजारवाद मे जब सामान्य को विशेष कह प्रचारित किया ज...बाजारवाद मे जब सामान्य को विशेष कह प्रचारित किया जाता है तो कष्ट होता है ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74893505562654832472010-05-16T06:13:52.356+05:302010-05-16T06:13:52.356+05:30आपकी बात, लेख और कविता दोनों , अच्छी लगी.आपकी बात, लेख और कविता दोनों , अच्छी लगी.ज़मीरhttps://www.blogger.com/profile/03363292131305831723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-62936912950163689442010-05-15T22:57:43.363+05:302010-05-15T22:57:43.363+05:30... प्रसंशनीय .... लाजवाब !!!... प्रसंशनीय .... लाजवाब !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-55254158915685743202010-05-15T20:56:53.873+05:302010-05-15T20:56:53.873+05:30डा. रमेश मोहन झा की टिप्पणी :- (ई-मेल से प्राप्त)
...डा. रमेश मोहन झा की टिप्पणी :- (ई-मेल से प्राप्त)<br /><br />प्रस्तुत कविता में कवि स्वयं अपनी ’छवि’ (इमेज) बदलते नज़र आते हैं। इस कविता में एक ऐसी दुनिया का बिंब प्रस्तुत करते हैं, जहां धैर्य नहीं, जहां चीज़ें शीघ्र पुरानी हो जाती हैं। इस भागती और हांफती दुनियां में हड़बड़ाहट इतनी है कि चीज़ों के देखने से पूर्व ही राय प्रकट कर दी जाती है। अतिशियोक्ति अलंकार पढ़ते समय एक उदाहारण दिया करते थे <br />हनुमान की पूंछ में लग न पाई आग<br />लंका सिगरी जल गई, गये निशाचर भाग!<br />अर्थात घटना घटित होने के पूर्व ही विश्लेषण। कवि अपने बाह्य जगत में रोज़ इस त्वरा से उपजी स्थितियों का सामना करते हैं, और उनसे पैदा हुई खिन्नता मूल्यहीनता और अपूर्णता उनके मनोजगत को आंदोलित करता है - फल्स्वरूप वे इस प्रकार की रचना को लेकर आते हैं।<br />कविता में प्रयुक्त भाषा उनकी काव्य अभिव्यक्ति को विश्वसनीय और प्रासंगिक बनाती है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27104894489536651342010-05-15T20:51:06.645+05:302010-05-15T20:51:06.645+05:30बहुत बढ़िया लिखा आपने...कविता भी सुन्दर.
________...बहुत बढ़िया लिखा आपने...कविता भी सुन्दर.<br /><br />________________<br />पाखी की दुनिया में- 'जब अख़बार में हुई पाखी की चर्चा'Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-84414349730533754092010-05-15T20:51:00.835+05:302010-05-15T20:51:00.835+05:30विचारणीय पोस्टविचारणीय पोस्टAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02964602014678479457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-84389847008508715632010-05-15T20:45:39.499+05:302010-05-15T20:45:39.499+05:30कविता में बढ़िया डुग्गी पीटी है!कविता में बढ़िया डुग्गी पीटी है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61584771492924139562010-05-15T20:34:21.271+05:302010-05-15T20:34:21.271+05:30जब हम दूसरों की अज़ादी का अतिक्रमन करते है तो हमार...जब हम दूसरों की अज़ादी का अतिक्रमन करते है तो हमारी आजादी भी सही रुप मै आजादी नही रहती, जहां हमरी नाक खत्म होती है वही तक हमारी आजादी भी है, ओर उस के बाद गुंडा गर्दी या जबर्दस्ती कहलाती है, मेरी आजादी से जब कोई दुसरा परेशान हो तो मुझे समभल जाना चाहियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71258877162133762452010-05-15T20:14:31.639+05:302010-05-15T20:14:31.639+05:30लेकिन,
दूसरों की
अज़ादी का अतिक्रमण
हमारी आज़ाद...लेकिन,<br /><br />दूसरों की<br /><br />अज़ादी का अतिक्रमण<br /><br />हमारी आज़ादी नहीं।<br /><br />बहुत सटीक बात कही है....अभिव्यक्ति ऐसी होनी चाहिए जो दूसरों कि भावनाओं को ठेस ना पहुंचाए..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-55526909788975754802010-05-15T19:54:12.915+05:302010-05-15T19:54:12.915+05:30पता नहीं, काफी खबर सोशल मीडिया - ट्विटर/फेसबुक/बज़...पता नहीं, काफी खबर सोशल मीडिया - ट्विटर/फेसबुक/बज़ बनाने लग गया है। यह शायद उत्तरोत्तर बढ़े। <br />परिवर्तन होंगे और तेजी से होंगे। कैसे होंगे कहा नहीं जा सकता।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-19330739400888385462010-05-15T19:49:02.037+05:302010-05-15T19:49:02.037+05:30आपका लेख पढकर अच्छा लगा ... दरअसल मीडिया वही परोसत...आपका लेख पढकर अच्छा लगा ... दरअसल मीडिया वही परोसती है जो आम आदमी पढ़ना चाहता है ... आजकल अच्छी खबरों में किसीकी कोई रूचि नहीं रही ... और फिर ये नापना भी मुश्किल है कि कौन सी खबर ज्यादा चल रही है ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-4898340998957047832010-05-15T18:52:42.284+05:302010-05-15T18:52:42.284+05:30हर व्यक्ति जब न्यायसंगत और तर्कसंगत व्यवहार अपनाएग...हर व्यक्ति जब न्यायसंगत और तर्कसंगत व्यवहार अपनाएगा तब जाकर एक सार्थक शुरूआत होगी / विचारणीय प्रस्तुती /honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.com