tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post4084851390461161906..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: देसिल बयना -91:जैसी तेरी कमरिया वैसा मेरा गीतमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74016609235764209322011-07-28T21:52:12.900+05:302011-07-28T21:52:12.900+05:30बहुत स्वाभाविक सी कथा रचते हो करण भाई, लाजवाब कर द...बहुत स्वाभाविक सी कथा रचते हो करण भाई, लाजवाब कर देते हो। मजेदार देसिल बयना।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27751797453244487392011-07-28T15:00:33.667+05:302011-07-28T15:00:33.667+05:30मेल से प्राप्त प्रतिक्रिया :
2011/7/28 एम. अखलाक...मेल से प्राप्त प्रतिक्रिया : <br /><br />2011/7/28 एम. अखलाक <br />अरे भाई, हम त तोहार दीवाना हो गइल बानी। बहुत दिनन के बाद आज थोड़ा समय निकाल के तोहार देसिल बयना पढनी हा। तोहार लेखनी के हम कायल बानी। तारीफ करे खातिर हमरा पास शब्द नइखे। मन के भाव स्वीकार करीं।<br /> <br />आग्रह बा कि गांव जवार के एही भाव पर केन्द्रित एगो नाटक लिखीं। हम चाहत बानी की ओकर मंचन होखे। गांवे गांवे।<br /> <br />आदर के साथ<br />एम. अखलाक<br />दैनिक जागरण<br />मुजफ्फरपुरकरण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-65670967838796816762011-07-28T07:58:47.016+05:302011-07-28T07:58:47.016+05:30का करन बाबू, महुआ के नृत्य में आपको बले ही मजा न आ...का करन बाबू, महुआ के नृत्य में आपको बले ही मजा न आया हो, लेकिन देसिल बयना के मजा में कौनो कमी नहीं है। बहुत सुन्दर।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-20401837595782519472011-07-27T22:48:07.203+05:302011-07-27T22:48:07.203+05:30क्या कहें!क्या कहें!कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-28920269707534511902011-07-27T20:18:49.162+05:302011-07-27T20:18:49.162+05:30आगत का त नहीं जानते हैं बाकी अनागत में त हमहीं थे....आगत का त नहीं जानते हैं बाकी अनागत में त हमहीं थे. चाहे त भोर में नहीं त भिनसार.. बीच में पापी पेट के खातिर हम भी नौटंकी करते हैं अउर महुआ का जइसा नाच नाचते रहते हैं.. <br />ई बयना का बरनन भी आपका इस्टाईल में था.. मगर जो पर्दा के पीछे का दरद है ऊ भी हम महसूस किये.. करण बाबू, आपका पोस्टवा सब पढकर तनी-मनी पुरनका दिन इयाद कर लेते हैं, नहीं त ई सब दिरिस त किताबो में नहीं मिलता है!!<br />- सलिलसम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-83835533153960243742011-07-27T20:16:13.733+05:302011-07-27T20:16:13.733+05:30गांव की सौंधी खुश्बू में रची बसी सुन्दर प्रस्तुति....गांव की सौंधी खुश्बू में रची बसी सुन्दर प्रस्तुति. आभार.<br />सादर, <br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-84292264875928875122011-07-27T20:11:51.444+05:302011-07-27T20:11:51.444+05:30पोस्ट पढते पढते लगता है जैसे गांव में पहुंच गये है...पोस्ट पढते पढते लगता है जैसे गांव में पहुंच गये हैं, थोडे समय के लिये वर्तमान की आपाधापी से दूर एक शांत वातावरण बन जाता है, बहुत शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-37375825582889865112011-07-27T19:57:34.355+05:302011-07-27T19:57:34.355+05:30आदरणीय पाठकों के लिये विशेष सूचना :
देसिल बयना के...आदरणीय पाठकों के लिये विशेष सूचना :<br /><br />देसिल बयना के इस अंक में प्रयुक्त सभी गीतों के लिंक दिये गये हैं। ’गीत की पंक्तियों’ पर क्लिक करके उन भूले-बिसरे गीतों का भी आनंद ले सकते हैं। धन्यवाद !!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6341526377510113702011-07-27T19:39:06.191+05:302011-07-27T19:39:06.191+05:30करन मधुश्रावणी पर लिखने का अनुरोध किया था लेकिन इत...करन मधुश्रावणी पर लिखने का अनुरोध किया था लेकिन इतना मार्मिक नहीं... नई दुल्हन के मन की बात करते..कैसे लडकियां फूल तोड़ने बगीचे बगीचे जाती हैं...आदि आदि ... ग्रामीण कलाकारों के दशा और दंश को मार्मिकता से उकेरा है... अभी धान के खेत पर बिकने वाले झिल्ली मुरही का स्वाद ताज़ा हो गया ... बढ़िया बयना ...मधुश्रावणी वाला बयाना बाकी रहा ...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-5149457130180946682011-07-27T18:25:44.818+05:302011-07-27T18:25:44.818+05:30आगत-अनागत सभी पाठकों का हार्दिक अभिनन्दन एवं कोटिश...आगत-अनागत सभी पाठकों का हार्दिक अभिनन्दन एवं कोटिशः धन्यवाद।करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74144314558957482362011-07-27T18:04:12.086+05:302011-07-27T18:04:12.086+05:30ठीक है जी!
जैसा गायन वैसा वादन!ठीक है जी!<br />जैसा गायन वैसा वादन!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74112452029406680572011-07-27T18:04:08.239+05:302011-07-27T18:04:08.239+05:30करण, सदा की तरह आपके इस देसिल बयना में जो ग्रामीण ...करण, सदा की तरह आपके इस देसिल बयना में जो ग्रामीण परिवेश और बदलते समय का साझा चित्रण हुआ वह सजीव और अपने पूरे रंग के साथ है।<br />पर जो मार्मिक अंत आपने इस कथानक का किया है वह दिल को छू गया। समय के साथ हम अपने अच्छे कलाकारों की इज़्ज़त नहीं करते और वे उपेक्षा का दंश झेलते रहते हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-76162365703403455812011-07-27T16:41:27.959+05:302011-07-27T16:41:27.959+05:30@ बूढा पीपल उजार हो गया था।
विडम्बना ||
@ शुक्र ...@ बूढा पीपल उजार हो गया था।<br /><br />विडम्बना ||<br /><br />@ शुक्र कहिये कि पुरुब जाने का रस्ता नहीं बदला था नहीं तो वहीं किसी से अपने घर का पता पूछना पड़ता। <br /><br />वैसे भी पश्चिम बहुत आकर्षित कर रहा है सभी को ||<br /><br />सीधा पूरब की ओर जाने में संकोच बहुत है ||<br /><br />खैर,<br />पूरब न बदला है न बदलेगा |रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-82332771717288453002011-07-27T15:32:42.587+05:302011-07-27T15:32:42.587+05:30bahut achchi post savan ke maheene main.maja aaya ...bahut achchi post savan ke maheene main.maja aaya padhkar.Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44250841641375946592011-07-27T14:55:48.887+05:302011-07-27T14:55:48.887+05:30Saptah me ek baar gaon jate hain, u appane janm se...Saptah me ek baar gaon jate hain, u appane janm se pahle vala gaon. jab KARAN BHAIYA k desil bayana padhte hai.<br /><br /><br />Agar kisiko hansana nahi aata ho to use DESIL BAYANA padhao. KARAN JI katha k ant me ek samvad bhi dete hai, use dhyan rakho.Manish Mishrahttps://www.blogger.com/profile/14028017798856066695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-9931383486410344582011-07-27T13:36:06.879+05:302011-07-27T13:36:06.879+05:30आपकी लिखी छोटी छोटी बातें दिखने में काफी मामूली भल...आपकी लिखी छोटी छोटी बातें दिखने में काफी मामूली भले ही लगे लेकिन उनके तथ्य और कथानक को गौर से देखने पर सभी चीजें गूढ़ नजर आती हैं|<br /><br /><b>फ़ागुन से गोरिया दिन गिनना शुरु करती है, बलमुआ आता है सावन में।<br /><br />चढ़ते सावन ठकु्रवाड़ी पर लगता था विषहर मेला और इजोरिया पक्ख में झूला… ! ई अलमस्ती ठेका देता था भादो के संक्रान्ति तक।<br /><br />रामदयाल की फ़ुसही चाय दुकान की जगह कबीरा कोल्ड्रींक स्टोर खुल गया था।</b>Rajeev Ranjan Lalhttps://www.blogger.com/profile/18354335177402486449noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-30322158074924696492011-07-27T12:21:28.100+05:302011-07-27T12:21:28.100+05:30जैसी तेरी कमरिया वैसा अपना गीत। गीत लहरदारे रहता औ...जैसी तेरी कमरिया वैसा अपना गीत। गीत लहरदारे रहता और महरानी भैंस जैसे डोलती रहती तो नोट बरसता…..! अपना दोष तो देखेगी नहीं और बात करती है।<br /><br />:):) रोचक .. दास का नोट घूर रहा था :):)संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-81649446495568496072011-07-27T11:19:49.933+05:302011-07-27T11:19:49.933+05:30ka ho karan babu.........baal mela
ke yaad .........ka ho karan babu.........baal mela <br />ke yaad ....... gajjab ......<br /><br />jaisan tohal likhaniya yasan hamar tipaniyan kahan se hoga babu.......<br /><br />desil bayna chalait rahe ahina.......सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44969061375318205152011-07-27T09:26:54.622+05:302011-07-27T09:26:54.622+05:30पढ़कर मज़ा आ गया.पढ़कर मज़ा आ गया.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-10912654321184198382011-07-27T08:09:06.170+05:302011-07-27T08:09:06.170+05:30मनोज जी
आप किसी न किसी रूप में देश की , गाँव की स...मनोज जी <br />आप किसी न किसी रूप में देश की , गाँव की सोंधी मिट्टी की गंध परोसते ही रहते हैं ,सुन्दर प्रस्तुतिS.N SHUKLAhttps://www.blogger.com/profile/16733368578135625431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-92170926711926864622011-07-27T07:45:55.792+05:302011-07-27T07:45:55.792+05:30कमर और गीत तो जैसा-तैसा, आपकी पोस्ट गजब की, सावन...कमर और गीत तो जैसा-तैसा, आपकी पोस्ट गजब की, सावन भी फागुन भी. इंतजार था 91 का, सार्थक हुआ.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.com