tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post4573369197685766959..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: आँच-69- हम आँधी में उड़ते पत्तेमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21333873038855058972011-05-23T07:44:18.288+05:302011-05-23T07:44:18.288+05:30Wonderful review. Glad to read this.Wonderful review. Glad to read this.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-15159589701895821632011-05-19T23:36:20.555+05:302011-05-19T23:36:20.555+05:30दूसरे के हिस्से की रोटी को पचाने के लिए ही जिम और ...दूसरे के हिस्से की रोटी को पचाने के लिए ही जिम और हेल्थ क्लब बनें हैं...नहीं तो ये अपने पेट पर उगते सूरज सी विराजमान हो जाती है...पता नहीं कब ये समझेंगे हम...सरल शब्दों में अपनी बात कहना कठिन बात है...बच्चन जी की भांति तुषार जी ने भी शब्दों पर अपनी महारत दिखा दी...हरीश जी की समीक्षा ने पढ़ने को विवश कर दिया...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6368398681505406982011-05-19T21:38:26.950+05:302011-05-19T21:38:26.950+05:30जयकृष्ण तुषार जी!
निःसन्देह बहुत अच्छे साहित्यकार ...जयकृष्ण तुषार जी!<br />निःसन्देह बहुत अच्छे साहित्यकार हैं!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-70808915065672956242011-05-19T21:28:33.856+05:302011-05-19T21:28:33.856+05:30तुषार जी के नवगीतों का तो मैं जबरदस्त फ़ैन हूं।
आज...तुषार जी के नवगीतों का तो मैं जबरदस्त फ़ैन हूं।<br />आज की समीक्षा की अंतिम पंक्ति सब कुछ कह देती है<br />** ~ कवि की कलम से एक सुघढ़ नवगीत का रसास्वादन करने को मिला है जिसमें दोष-दर्शन अति दुष्कर कार्य है।”मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49478290381179262022011-05-19T15:09:47.437+05:302011-05-19T15:09:47.437+05:30तुषार जी की लेखनी से निकाला गीत धरती का गीत है जो ...तुषार जी की लेखनी से निकाला गीत धरती का गीत है जो आम जान की पीडाओं से अनुप्राणित है.इनके बारे में जानना बहुत ही सुखद अनुभव है.Rajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-35809664478768231832011-05-19T13:52:36.322+05:302011-05-19T13:52:36.322+05:30तुषार जी की कुछ रचनाएँ पढ़ीं हैं.काफी प्राभ्व्शाली...तुषार जी की कुछ रचनाएँ पढ़ीं हैं.काफी प्राभ्व्शाली होती हैं.आपकी समीक्षा ने उन्हें और समझने में मदद की.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27897541303040041252011-05-19T13:01:24.059+05:302011-05-19T13:01:24.059+05:30तुषार जी को जानना अच्छा लगा और समीक्षा तो होती ही ...तुषार जी को जानना अच्छा लगा और समीक्षा तो होती ही है शानदार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71755689041345049642011-05-19T12:53:58.039+05:302011-05-19T12:53:58.039+05:30भाई जय कृष्ण राय तुषार जी को पढ़ना सदैव ही एक सुखद...भाई जय कृष्ण राय तुषार जी को पढ़ना सदैव ही एक सुखद अनुभूति देता है| आप के नवगीतों के तो हम दीवाने हैं भाई|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-62294833003100085892011-05-19T12:22:43.808+05:302011-05-19T12:22:43.808+05:30तुषार जी के गीत बहुत मार्मिक हैं और पाठक को प्रभाव...तुषार जी के गीत बहुत मार्मिक हैं और पाठक को प्रभावित करते हैं। समीक्षा से उनके नवगीत को विस्तार मिला है।<br /><br />आँच की धारा यूँ ही बहती रहे, यही अपेक्षा है,<br /><br />आभार,good_donehttps://www.blogger.com/profile/15110617932419017381noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21646374538313035792011-05-19T12:19:51.528+05:302011-05-19T12:19:51.528+05:30समीक्षक ने गीत के सभी पहलुओं को बड़े ही सशक्त ढंग ...समीक्षक ने गीत के सभी पहलुओं को बड़े ही सशक्त ढंग से प्रकाशित किया है।<br /><br />समीक्षक एवं कवि, दोनों को साधुवाद,आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-82888638936821018392011-05-19T12:10:51.688+05:302011-05-19T12:10:51.688+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-58637069832994411902011-05-19T08:54:33.915+05:302011-05-19T08:54:33.915+05:30कठिनाइयों में भी संघर्ष –
अँधेरे में
ढूंढ रहे हम
ढ...कठिनाइयों में भी संघर्ष –<br />अँधेरे में<br />ढूंढ रहे हम<br />ढिबरी, दियासलाई।<br />बिल्कुल सही! सच्चाई को बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है आपने! लाजवाब समीक्षा!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71277756159636134082011-05-19T08:54:27.343+05:302011-05-19T08:54:27.343+05:30तुषार जी के गीतों से मेरा परिचय भी हाल में ही हुआ ...तुषार जी के गीतों से मेरा परिचय भी हाल में ही हुआ है लेकिन उनके गीत से अत्यंत प्रभावित हूँ... नया स्वर.. नई व्यंजन है उनके गीत में... नए विम्ब लेके आते हैं उनके गीत.. आज अनच पर देख कर और भी अच्छा लगा... आज के समीक्षा तुषार जी के गीतों को और भी समझने में मदद करेगी..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com