tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post4689104646422199016..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: आँच-25 :: गीत का कायिक विवेचनमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-3346693652245529202010-07-10T13:10:41.910+05:302010-07-10T13:10:41.910+05:30गीत का एक कायिक विवेचन यह भी - गीत क्या होते ह...गीत का एक कायिक विवेचन यह भी - गीत क्या होते हैं---<br /><br />गीत भला क्या होते हैं ,<br />बस एक कहानी है ।<br />मन के सुख -दुख ,<br />अनुबन्धोंकी-<br />कथा सुहानी है ।<br />भीगे मन से<br />सच्चे मन की,<br />कथा सुनानी है।....गीत भला क्या...॥<br /><br />कहना चाहे<br />कह न सके मन,<br />सुख-दुख के पल न्यारे,<br />बीते पल जब देते दस्तक,<br />आकर मन के द्वारे।<br />खुशियों की मुस्कान<br />औ गम के,<br />आंसू की गाथा के;<br />कागज़ पर ,<br />मन की स्याही से-<br />बनी निशानी है ।---गीत भला.....॥<br /><br />कुछ बोलें या-<br />चुप ही रहें;<br />मन यह द्वन्द्व समाया ।<br />अन्तर्द्वन्द्वों की अन्तस में<br />बसी हुई जो छाया ।<br />कागज़ -कलम<br />जुगल बन्दी की<br />भाषा होते हैं ।<br />अन्तस की हां-ना, हां-ना की<br />व्यथा सुहानी है । ---गीत भला....॥<br /><br /><br />चित में जो<br />गुमनाम खत लिखे,<br />भेज नहीं पाये ।<br />पाती भरी गागरी मन की,<br />छ्लक छलक जाये ।<br /><br />उमडे भावों के निर्झर को<br />रोक नहीं पाये :<br />भाव बने<br />शब्दों की माला,<br />रची कहानी है । shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-45218244892794136112010-07-09T16:00:53.736+05:302010-07-09T16:00:53.736+05:30किसी व्यक्ति के प्रति अमर्यादित अपशब्द का प्रयोग क...किसी व्यक्ति के प्रति अमर्यादित अपशब्द का प्रयोग करना केवल अपने अहंकार को तुष्ट करना ही है ....पर ऐसी क्या बात हो गयी मनोज जी ....??हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61025396150563737242010-07-09T08:22:51.340+05:302010-07-09T08:22:51.340+05:30विवेचना तथ्यपरक है और विश्लेषण तार्किक है।
कारण भ...विवेचना तथ्यपरक है और विश्लेषण तार्किक है।<br /><br />कारण भले ही कुछ रहा हो, गीत, गजल और शेर-ओ-शायरी के बारे में उपयोगी जानकारी मिली। <br /><br />प्रायः हम सब, कभी-कभी, आधी-अधूरी जानकारी, जो प्रचलन में होती है, के आधार पर ही अपने आग्रह निर्मित कर लेते हैं।<br /><br />गीत, गजल और शेर-ओ-शायरी के उपयुक्त विवेचन के लिए आचार्य राय जी को आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53385359509446722012010-07-09T01:19:32.215+05:302010-07-09T01:19:32.215+05:30बहुत अच्छा विश्लेषण...अच्छी विवेचना...नयी जानकारी ...बहुत अच्छा विश्लेषण...अच्छी विवेचना...नयी जानकारी मिली.संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-51259938180679707172010-07-08T21:46:01.450+05:302010-07-08T21:46:01.450+05:30बहुत अच्छी विवेचना। सार गर्भित!बहुत अच्छी विवेचना। सार गर्भित!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-13687190992853415762010-07-08T20:46:22.987+05:302010-07-08T20:46:22.987+05:30आपकी प्रस्तावना से सहमत हूँ. ब्लॉग जगत में यह आम ब...आपकी प्रस्तावना से सहमत हूँ. ब्लॉग जगत में यह आम बात है. वास्तव में बिना शक्ल देखे, बिना सामने वाले व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से जाने हम उत्तेजित होकर प्रतिक्रिया देने लगते हैं. इस बात से तो आप भी सहमत होंगे कि बिना मुझसे मिले मेरे विषय में आपकी प्रतिक्रिया और मुझसे मिलकर मेरे विषय में आपकी अभिव्यक्ति अलग अलग होगी. <br />ख़ैर आगे की बातें चुँकि ऐसे विषय से संबंधित है जिसकी मुझे जानकारी नहीं, अतः मेरी टिप्पणी उचित नहीं होगी.सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-4592823216605045162010-07-08T20:11:40.068+05:302010-07-08T20:11:40.068+05:30विवेचन और विश्लेषण दोनों ही बहुत बढ़िया है!विवेचन और विश्लेषण दोनों ही बहुत बढ़िया है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-13486377841394477352010-07-08T18:46:37.450+05:302010-07-08T18:46:37.450+05:30Sundar vivechan.Sundar vivechan.Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.com