tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post474748526684530571..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: आँच-60 - मजनूँ कहीं कामनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27320767797228114192011-03-18T07:41:12.888+05:302011-03-18T07:41:12.888+05:30सटीक!!सटीक!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-31637055902658558312011-03-18T07:18:58.128+05:302011-03-18T07:18:58.128+05:30सहज कथानक में छुपे गूढ़ रहस्य को उजागर करती संतुलित...सहज कथानक में छुपे गूढ़ रहस्य को उजागर करती संतुलित एवं साधु समीक्षा। कल पढ़ तो लिये था किन्तु प्रतिक्रिया व्यक्त करने का अवसर नहीं मिल पाया था। अब तो हरेक गुरुवार को हरीशजी के प्रशंसक पलक-पांवरे बिछाए रहते हैं, जिनमें से एक मैं भी हूँ। बहुत सुंदर। धन्यवाद !!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-51183462027383234872011-03-18T07:09:26.835+05:302011-03-18T07:09:26.835+05:30एक सामान्य सी लघुकथा का इतना गहन विश्लेष्ण और सशक्...एक सामान्य सी लघुकथा का इतना गहन विश्लेष्ण और सशक्त समीक्षात्मक प्रस्तुति .. आपकी लेखनी को नमन हरीश जी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44408745750045515492011-03-18T07:08:14.176+05:302011-03-18T07:08:14.176+05:30@ good_done व हरीश जी
अशुद्धि दूर कर दिया।@ good_done व हरीश जी<br />अशुद्धि दूर कर दिया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-33159499211569099612011-03-17T23:42:40.530+05:302011-03-17T23:42:40.530+05:30विश्लेषण बड़ी ही सूक्ष्मता से किया है !
रोचक प्रस्...विश्लेषण बड़ी ही सूक्ष्मता से किया है !<br />रोचक प्रस्तुति के लिए साधुवाद .Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8590571988079756252011-03-17T23:07:22.575+05:302011-03-17T23:07:22.575+05:30@ सुशील बाकलीवाल जी
कथा का लिंक प्रारम्भ में ही द...@ सुशील बाकलीवाल जी<br /><br />कथा का लिंक प्रारम्भ में ही दिया है। कृपया कथा का रसपान भी कर लें।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-59700559407075703152011-03-17T23:04:20.250+05:302011-03-17T23:04:20.250+05:30@ ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी
@ दिव्या जी
@ Dr (Miss) Sh...@ ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी<br /> @ दिव्या जी<br /> @ Dr (Miss) Sharad Singh जी <br /> @ अरुण चन्द्र रॉय जी<br /> @ आचार्य परशुराम राय जी<br /><br />आपकी विशेष टिप्पणियों ने अभिभूत किया है।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-73688831955430368412011-03-17T22:55:38.189+05:302011-03-17T22:55:38.189+05:30प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए अपने सभी पाठक...प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए अपने सभी पाठकों का हृदय से आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-83372916874539919722011-03-17T22:52:30.298+05:302011-03-17T22:52:30.298+05:30@ good_done
टंकण त्रुटि पर ध्यान आकर्षित करने के...@ good_done<br /><br />टंकण त्रुटि पर ध्यान आकर्षित करने के लिए आभार। मनोज जी से अनुरोध है कि कृपया उक्त त्रुटि ठीक करवा दें।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-52106088692033752102011-03-17T22:48:21.613+05:302011-03-17T22:48:21.613+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54460456484329187522011-03-17T22:33:52.489+05:302011-03-17T22:33:52.489+05:30बहुत कसी हुई कथा की उतनी ही कसी, सटीक, सुस्पष्ट और...बहुत कसी हुई कथा की उतनी ही कसी, सटीक, सुस्पष्ट और सूक्ष्म व्याख्या के साथ की गई समीक्षा की जितनी भी प्रसंशा की जाए कम है।<br /><br />सभी को आभार,हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/15988235447716563801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-22883878558056566862011-03-17T22:27:42.834+05:302011-03-17T22:27:42.834+05:30बहुत सटीक और रोचक विश्लेषण!
होली की बहुत-बहुत शुभक...बहुत सटीक और रोचक विश्लेषण!<br />होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!<br />--<br />वतन में अमन की, जागर जगाने की जरूरत है, <br />जहाँ में प्यार का सागर, बहाने की जरूरत है। <br />मिलन मोहताज कब है, ईद, होली और क्रिसमस का-<br />दिलों में प्रीत की गागर, सजाने की जरूरत है।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-46775563303424633762011-03-17T21:22:22.371+05:302011-03-17T21:22:22.371+05:30बहुत सुंदर ढंग से आप ने विश्लेषण किया हे, धन्यवादबहुत सुंदर ढंग से आप ने विश्लेषण किया हे, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-13470313300714224402011-03-17T19:59:50.109+05:302011-03-17T19:59:50.109+05:30समीक्षा पढ़कर कहानी के कला पक्ष से भी अवगत हुआ . क...समीक्षा पढ़कर कहानी के कला पक्ष से भी अवगत हुआ . कहानी में निहित सन्देश तो स्पष्ट है .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-9373147803988112422011-03-17T18:22:42.643+05:302011-03-17T18:22:42.643+05:30हरीश जी, आपने अपनी समीक्षा से कहानी के प्रति नजरिय...हरीश जी, आपने अपनी समीक्षा से कहानी के प्रति नजरिया ही बदल दिया है। आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61781550465112468302011-03-17T15:25:01.180+05:302011-03-17T15:25:01.180+05:30बहुत सटीक और गहन विश्लेषण...बहुत सटीक और गहन विश्लेषण...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-90656948985142685042011-03-17T14:34:59.422+05:302011-03-17T14:34:59.422+05:30यह कहानी मैं पढ नहीं पाया लेकिन समीक्षा से लगता है...यह कहानी मैं पढ नहीं पाया लेकिन समीक्षा से लगता है बहुत ही रोचक प्रस्तुति रही होगी इसकी ।<br /><br />होली की हार्दिक शुभकामनाओं सहित...<br /><br /><a href="http://najariya.blogspot.com/2011/03/blog-post_16.html" rel="nofollow">ब्लागराग : क्या मैं खुश हो सकता हूँ ?</a><br /><br /><a href="http://jindagikerang.blogspot.com/2011/03/blog-post_16.html" rel="nofollow">अरे... रे... आकस्मिक आक्रमण होली का !</a>Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-30245774498818785742011-03-17T13:24:40.841+05:302011-03-17T13:24:40.841+05:30कहानी में नवीनता न होते हुए भी यथार्थ के करीब है ....कहानी में नवीनता न होते हुए भी यथार्थ के करीब है ...समीक्षा सटीक की है ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-2233663567732701902011-03-17T13:21:03.472+05:302011-03-17T13:21:03.472+05:30कहने को तो यह एक संक्षिप्त लघुकथा थी लेकिन इसमें स...कहने को तो यह एक संक्षिप्त लघुकथा थी लेकिन इसमें समाज के सांस्कृतिक पतन की पूरी गाथा थी.. गुप्त जी की समीक्षा के में कुछ भी कहना कम ही है... आंच की ताप बरकरार है...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-13790404790581606392011-03-17T12:04:42.175+05:302011-03-17T12:04:42.175+05:30हरीश प्रकाश गुप्त जी,
‘मजनूँ कहीं का’ की बहुत सुन्...हरीश प्रकाश गुप्त जी,<br />‘मजनूँ कहीं का’ की बहुत सुन्दर समीक्षा की है आपने...यह लघुकथा वाकई महत्वपूर्ण है...<br />सटीक समीक्षा के लिये बहुत-बहुत धन्यवाद।<br /><br />होली की हार्दिक शुभकामनाएं !Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-33598911071799370012011-03-17T11:45:25.350+05:302011-03-17T11:45:25.350+05:30.
@-यह कथा का उत्कर्ष है, यही कथा का समापन विन्दु....<br /><br />@-यह कथा का उत्कर्ष है, यही कथा का समापन विन्दु भी है। यही कथा का केन्द्र विन्दु भी है जिससे कथा का शेष भाग अर्थ ग्रहण करता है या पूरी कथा की अर्थवत्ता अपनी पराकाष्ठा को प्राप्त होती है...<br /><br />वाह हरीश जी ,<br />एक बात को कहने के इतने अनेक बेहतरीन अंदाज़ ? आनंद आ गया । मनोज जी की शानदार लघु कथा की बेहतरीन समीक्षा के लिए आप दोनों का आभार। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-60840228021267618352011-03-17T11:40:41.086+05:302011-03-17T11:40:41.086+05:30बहुत गंभीरता और सजगता से विश्लेषण किया है्……………बेह...बहुत गंभीरता और सजगता से विश्लेषण किया है्……………बेहद सटीक समीक्षा।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-22423326557539835112011-03-17T11:22:17.143+05:302011-03-17T11:22:17.143+05:30सटीक गहन व्याख्या की है लघु कथा की। धन्यवाद।सटीक गहन व्याख्या की है लघु कथा की। धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-45533510607121533492011-03-17T10:36:49.677+05:302011-03-17T10:36:49.677+05:30मनोज जी की लघुकथा "मजनूँ कहीं का" का आप...मनोज जी की लघुकथा "मजनूँ कहीं का" का आपने बड़ी ही सूक्ष्मता से सटीक समीक्षा किया है !<br />तपने के बाद सोना और निखर गया !<br />आभार !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-48404231591033948942011-03-17T09:51:01.818+05:302011-03-17T09:51:01.818+05:30उत्कृष्ट लघुकथा और उसकी समीक्षा भी.
मैं साहित्य के...उत्कृष्ट लघुकथा और उसकी समीक्षा भी.<br />मैं साहित्य के प्रति मनोज जी के समर्पण से प्रभावित हूँ.उनकी क़लम और सोंच को सलाम.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.com