tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post4927676522219374973..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: आँच-63 - विश्व विटप की डाली परमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-38007910830983717292011-04-15T19:35:07.912+05:302011-04-15T19:35:07.912+05:30हरीश जी कुछ व्यस्तता के कारण कल नहीं आ पाया। यह कव...हरीश जी कुछ व्यस्तता के कारण कल नहीं आ पाया। यह कविता मेरे दिल के क़रीब है। १६-१७ साल की उम्र में लिखा था इसे। और यह पहली कविता थी मेरी।<br />आपने मेरे मन की सारी बातें खोल कर इस कविता में स्पष्ट कर दी है। अंक दर अंक आप ब्लॉग जगत में समीक्षाओं के नए कीर्तिमान स्थापित करते जा रहे हैं।<br />आभार आपका जो आपने मेरी रचना को समीक्षा के लिए चुना।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6839697592082588812011-04-15T17:20:39.096+05:302011-04-15T17:20:39.096+05:30मनोज जी बहुमुखी प्रतिभा के सम्राट हैं.. उनकी ऊर्जा...मनोज जी बहुमुखी प्रतिभा के सम्राट हैं.. उनकी ऊर्जा को देख कर कई बार इर्ष्या भी होती है.. समय के इतने आभाव में भी वे कविता लेखन के लिए समय निकल लेते हैं यह बड़ी बात है.. और उनकी हर कविता पिछली कविता से बेहतर होती है.. यह कविता पहले भी पढ़ी थी.. आज फिर पढने का अवसर मिला.. गुप्त जी की समीक्षा के बाद कविता का आनंद और भी बढ़ जाता है.. कविता के विभिन्न आयामों की चर्चा के बाद कविता अधिक ग्राह्य हो जाती है.. इस तरह गुप्त जी अपनी प्रतिष्टा को और ऊंचाई दे रहे हैं.. एक बढ़िया कविता और उत्कृष्ट समीक्षा की जुगलबंदी ब्लॉग जगत में अन्यत्र नहीं है...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-88929739270534911822011-04-15T16:54:09.312+05:302011-04-15T16:54:09.312+05:30अपनी उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से मुझे प...अपनी उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से मुझे प्रोत्साहित करने के लिए आप सभी का हृदय से आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-51207120479019851802011-04-15T08:44:06.128+05:302011-04-15T08:44:06.128+05:30खूबसूरत गीत पर समीक्षात्मक आलेख पढ़कर बहुत अच्छा ल...खूबसूरत गीत पर समीक्षात्मक आलेख पढ़कर बहुत अच्छा लगा। इस गीत की जितनी सराहना की जाए कम होगी और समीक्षा से से तो इसमें और निखार आ गया। अच्छे गीत इसी प्रकार चर्चा में आने चाहिए। आँच के माध्यम से आपका यह प्रयास सराहनीय है। आप सभी को आभार,good_donehttps://www.blogger.com/profile/15110617932419017381noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-66845074784933737962011-04-15T00:28:29.874+05:302011-04-15T00:28:29.874+05:30रोचक समीक्षात्मक लेख...रोचक समीक्षात्मक लेख...Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-9253456147102992292011-04-15T00:01:43.192+05:302011-04-15T00:01:43.192+05:30शायद सोने पर सुहागा इसे ही कहते हैं..मनोज जी की का...शायद सोने पर सुहागा इसे ही कहते हैं..मनोज जी की काव्य प्रतिभा से पूर्व परिचय है साथ ही हरीश जी की समीक्षात्मक क्षमता पर भी. आज यह अद्भुत संगम देखने को मिला..आप दोनों साधुवाद के पात्र हैं!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-31371306075334656782011-04-14T23:56:12.616+05:302011-04-14T23:56:12.616+05:30इस कविता का तो रसास्वादन बारह-तेरह वर्षों से करता ...इस कविता का तो रसास्वादन बारह-तेरह वर्षों से करता रहा हूँ। पर हरीश जी ने इसे अपनी समीक्षात्मक दृष्टि से और सरस एवं सुबोध बना दिया है। आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-29128022789505337372011-04-14T13:46:55.979+05:302011-04-14T13:46:55.979+05:30विश्व विटप की डाली पर है,
मेरा वह प्यारा फूल कहां...विश्व विटप की डाली पर है,<br />मेरा वह प्यारा फूल कहां <br /><br />ये दो पंक्तियाँ ही जैसे सब कुछ कह देती हैं.एक बेहद ही खूबसूरत और अर्थपूर्ण गीत कि आपने सार्थक और सटीक समीक्षा की है.<br />आपको और मनोज जी को तहे दिल से बधाई.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75634783806457454462011-04-14T13:18:21.232+05:302011-04-14T13:18:21.232+05:30rachna aur kavita dono hi adbhud.....rachna aur kavita dono hi adbhud.....mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21551596422488856082011-04-14T13:05:48.784+05:302011-04-14T13:05:48.784+05:30गीत बहुत ही मनभावन है। सुकोमल शब्द चयन से गीत सरस ...गीत बहुत ही मनभावन है। सुकोमल शब्द चयन से गीत सरस और आकर्षक बन गया है। समीक्षा से गीत के विभिन्न पहलुओं से भी परिचय हुआ।<br /><br />साधुवाद.हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/15988235447716563801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49972091195971498762011-04-14T13:02:20.725+05:302011-04-14T13:02:20.725+05:30रचना और समीक्षा दोनों ज़बरदस्त.रचना और समीक्षा दोनों ज़बरदस्त.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-55547306123589609572011-04-14T12:39:00.669+05:302011-04-14T12:39:00.669+05:30मनोज जी की ये रचना बेहद पसन्द आई थी और इसकी समीक्ष...मनोज जी की ये रचना बेहद पसन्द आई थी और इसकी समीक्षा पढकर और अच्छा लगा……………आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-37338010238957468362011-04-14T12:37:17.368+05:302011-04-14T12:37:17.368+05:30आनंद आ गया इस समीक्षा को पढ़कर।आनंद आ गया इस समीक्षा को पढ़कर।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-5022759017170652632011-04-14T11:38:56.926+05:302011-04-14T11:38:56.926+05:30बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-68536843281265841022011-04-14T11:38:48.202+05:302011-04-14T11:38:48.202+05:30जितनी सुन्दर रचना है उतनी ही अच्छी समीक्षा ...जितनी सुन्दर रचना है उतनी ही अच्छी समीक्षा ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-5975029360667227102011-04-14T09:48:53.034+05:302011-04-14T09:48:53.034+05:30आद. हरीश जी,
आपकी समीक्षा कविता की उन बारीकियों से...आद. हरीश जी,<br />आपकी समीक्षा कविता की उन बारीकियों से आत्मसात कराती है जो उसमें व्याप्त व्यंजना के विभिन्न आयामों को बड़ी गहराई से समझने में सहायक होती हैं !<br /> मनोज जी का प्रथम गीत और उसकी सुन्दर समीक्षा पढ़ कर प्रसन्नता हुई !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-81210032944155687452011-04-14T09:00:05.016+05:302011-04-14T09:00:05.016+05:30अद्भुत।अद्भुत।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com