tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post5284697491228443428..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: देसिल बयना-63 :: रहली तs मन न भयली, गईली तs मन पछतईलीमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-2912928651298479512011-01-15T01:18:45.943+05:302011-01-15T01:18:45.943+05:30मनोज जी , यह पोस्ट पढ कर मन गद्गगद् होगया । सलिल ज...मनोज जी , यह पोस्ट पढ कर मन गद्गगद् होगया । सलिल जी पाठक को किस तरह घर -आँगन के कोने-कोने में अपनेपन के साथ खींच ले जाते हैं । आप ऐसी रचना अपने ब्लाग में देने के लिये अनेकानेक साधुवाद के अधिकारी हैं ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-20912821130060581502011-01-13T08:58:09.075+05:302011-01-13T08:58:09.075+05:30करण से अलग देसिल बयना का यह अंक रोचक है।
आभारकरण से अलग देसिल बयना का यह अंक रोचक है।<br /><br />आभारआचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27907755847036764282011-01-13T08:55:59.044+05:302011-01-13T08:55:59.044+05:30सलिल भाई द्वारा रचित देसिल बयना का यह
अंक करण द्व...सलिल भाई द्वारा रचित देसिल बयना का यह <br />अंक करण द्वारा इस ब्लाग पर बहाई गई लोक-रस की गंगा को और पावन कर रहा है। कथानक, पात्र भाषा शैली - सभी यथानुकूल और रोचक हैं। <br /><br />बधाई सलिल जी। आप इसी तरह इस व्लाग पर भी आते रहें। आप का स्वागत है।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71367275712589514742011-01-13T00:29:21.310+05:302011-01-13T00:29:21.310+05:30देसिल बयना में सलिल जी का लिखने का मनमोहक अंदाज़ द...देसिल बयना में सलिल जी का लिखने का मनमोहक अंदाज़ देखकर मन खुश हो गया जी ...भावनाओं को शुद्ध देशी भाषा में उँडेल कर रख दिया है और कहावत को जीवंत करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है । <br /><br />देसिल बयना का यह प्रयोग आगे भी जारी रहे तो आनंद आ जाए । <br /><br />मनोज जी, सलिल जी व करण जी को हार्दिक धन्यवाद !मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-45620316514521358292011-01-12T23:32:25.164+05:302011-01-12T23:32:25.164+05:30बहुत सुंदर संदेश देती आप की यह पोस्ट जी, धन्यवादबहुत सुंदर संदेश देती आप की यह पोस्ट जी, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-47348505240827960602011-01-12T21:40:54.667+05:302011-01-12T21:40:54.667+05:30मनोज जी! कुछ सामाजिक दायित्व के कारण बहुत देर हो ग...मनोज जी! कुछ सामाजिक दायित्व के कारण बहुत देर हो गई आने में... भाषा की अनभिज्ञता के कारण हो सकता है कई लोगों ने न समझ पाने की बात लिखी है.. लेकिन इस भाषा की और इस तरह हर आंचलिक भाषा की अपनी मिठास होती है... और यही मिठास आत्मा है! <br />आपने मुझे जो सम्मान दिया उसके लिए आपका आभारी हूँ और करण जी का भी, जो इस पोस्ट की प्रेरणा हैं... अंत में धन्यवाद सभी पाठकों का!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-23076399333926925482011-01-12T19:53:29.027+05:302011-01-12T19:53:29.027+05:30.बिलकुल सही है साहेब कि,दूर होकर ही किसी का महत्त्....बिलकुल सही है साहेब कि,दूर होकर ही किसी का महत्त्व समझ आता है क्योंकि चिराग टेल तो अँधेरा होता है.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54499411493062359342011-01-12T19:39:27.411+05:302011-01-12T19:39:27.411+05:30aaj ka desil bayna bahut hi sundar laga.aaj ka desil bayna bahut hi sundar laga.ज़मीरhttps://www.blogger.com/profile/03363292131305831723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-92046105014730248882011-01-12T17:23:10.678+05:302011-01-12T17:23:10.678+05:30भाषा,शिल्प और कथ्य के परिपेक्ष्य में देसिल बयना की...भाषा,शिल्प और कथ्य के परिपेक्ष्य में देसिल बयना की मिठास कायम रखने में सलिल जी सफल हुए हैं और बधाई के पात्र हैं !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44890843349750751892011-01-12T17:10:29.183+05:302011-01-12T17:10:29.183+05:30देशी अंदाज, देशी स्वाद।
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सांपों को दुध ...देशी अंदाज, देशी स्वाद।<br /><br />---------<br /><a href="http://ss.samwaad.com/" rel="nofollow">सांपों को दुध पिलाना पुण्य का काम है?</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-82178117868153519462011-01-12T14:34:16.831+05:302011-01-12T14:34:16.831+05:30ये मेरा दुर्भाग्य ही है कि इतना अच्छा लिखा हुआ मेर...ये मेरा दुर्भाग्य ही है कि इतना अच्छा लिखा हुआ मेरे सर के ऊपर से चला जाता है :( फिर भी सलिल जी का नाम देख कर आज हिम्मत की पढ़ने की ..और जितना समझ आया उससे ये तो कह सकती हूँ कि भाषा शैली बहुत रोचक हैshikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-1703583747344914972011-01-12T14:08:44.823+05:302011-01-12T14:08:44.823+05:30ननद-भौजाई के इस खेल में हमको सबसे अच्छी लगी रामरती...ननद-भौजाई के इस खेल में हमको सबसे अच्छी लगी रामरती चाची। रेडियो प्रोग्राम की ही तरह उसका दिमाग भी हवामहल था। बेटी शिकायत करे कि पोतहु- एकदम क्रॉस वेंटिलेशन।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6980456879325769962011-01-12T13:52:26.893+05:302011-01-12T13:52:26.893+05:30मनोज जी /सलिल जी / करन जी आज का अंक देसिल बयना की ...मनोज जी /सलिल जी / करन जी आज का अंक देसिल बयना की यात्रा का एक मुकाम अंक है... २१ वी सदी के हिंदी में आंचलिक लेखन में देसिल बयना से क्रांति आएगी.. भले ही करन से इतर यह पहला अंक है लेकिन इस मानिए कि कोसी नदी में करेह नहीं या गंडक या बागमती या बालन मिलकर इसकी धारा को समृद्ध कर रही है.. बाकी सलिल जी के लेखन से हम सभी परिचित हैं और उनका देसिल बयना का अंदाज़ भी अच्छा लगा.. रोचकता उनके लेखन की प्राण है और यह इस अंक में है.. आप तीनो को बहुत बहुत शुभकामना.. देसिल बयना परिवार और भी विस्तृत हो, इस शुभकामना के साथ..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-35253258553151208252011-01-12T12:09:57.465+05:302011-01-12T12:09:57.465+05:30बहुत खूब बा देसी रचना ।बहुत खूब बा देसी रचना ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-12351665173684001292011-01-12T10:35:12.134+05:302011-01-12T10:35:12.134+05:30सुन्दर सन्देश देती हुयी देसिल बयना। सलिल जी की कलम...सुन्दर सन्देश देती हुयी देसिल बयना। सलिल जी की कलम को सलाम।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-89282303620568346272011-01-12T09:26:48.983+05:302011-01-12T09:26:48.983+05:30लोक-जीवन के सहज व्यवहार और पारिवारिक स्नेह की सुन्...लोक-जीवन के सहज व्यवहार और पारिवारिक स्नेह की सुन्दर प्रस्तुति - कहावत का कथ्य भलीभाँति संप्रेषित.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74146976981599244122011-01-12T08:06:03.855+05:302011-01-12T08:06:03.855+05:30जिदगी के छोटे-छोटे अहम हमें अपनों से तो दूर कर देत...जिदगी के छोटे-छोटे अहम हमें अपनों से तो दूर कर देते हैं किंतु वियोग के समय वही रिश्ते न चाहते हुए भी आत्मीयता के स्नेहिल सूत्र में अचानक बध जाते हैं।<br />कहावत है- लडकी पराई होती है,फिर भी संस्कारों के वशीभूत होकर हम उसे अच्छी शिक्षा और संस्कार देते है। उसके कुछ कह सुन देने से माता, पिता भाई,भाभी, चाचा, चाची एवं अन्य पर कोई असर नही पड़ता है।लड़की की विदाई के समय पाषाण हृदय भी पिघल जाता है।हम विगत सारी वातों को भूलकर वियोग की अंतिम बेला में मन ही मन आंखों में आंसूओं का सैलाब लिए आशीर्वाद देते हैं- भगवान तुझे सुखी संसार दें।<br />मन को आंदलित करती यह पोस्ट देसिल बयना के रूप में मन को छू गयी।सादर।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-40421223432977252472011-01-12T07:32:27.367+05:302011-01-12T07:32:27.367+05:30एक सन्देश देता हुआ देशी वयना अच्छा लगा ,बधाईएक सन्देश देता हुआ देशी वयना अच्छा लगा ,बधाईSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-12316549036864123242011-01-12T06:40:33.076+05:302011-01-12T06:40:33.076+05:30वाह........... ! आज हिरदय गदगद हो गया. ई बयना पढ़ ...वाह........... ! आज हिरदय गदगद हो गया. ई बयना पढ़ कर बहुत बल मिल रहा है..... एक से भले दो. बांकी फकरा तो सुने तो मगर उ पर किस्सा कमाल गढ़े हैं चचाजी. सबसे बड़ी बात जो ई खांटी देसी लेखन में भी उ का कहते हैं........... हाँ आदर्श.... तो इहाँ भी आप कुछ आदर्शों का निर्माण और निर्वाह करते नजर आ रहे हैं, जो समाज के लिए निश्चित ही अनुकरणीय है. अब और का कहें..... धनवाद तो नहिये देंगे.करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.com