tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post5670300922399542355..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: शिवस्वरोदय-29मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21929008694118157452011-02-05T08:44:06.173+05:302011-02-05T08:44:06.173+05:30आपका यह उल्लेखनीय कार्य महत्वपूर्ण ग्रंथ का आकार ल...आपका यह उल्लेखनीय कार्य महत्वपूर्ण ग्रंथ का आकार ले रहा है जो आने वाले समय की उपलब्धि साबित होगा।<br />आपको आभार,हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-1071499336130463382011-02-04T23:17:18.217+05:302011-02-04T23:17:18.217+05:30बहुत सुंदर जानकारी धन्यवादबहुत सुंदर जानकारी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-15911065133399046382011-02-04T20:09:21.403+05:302011-02-04T20:09:21.403+05:30अद्भुत एवम दुर्लभ लेख!!अद्भुत एवम दुर्लभ लेख!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-5172330738873149962011-02-04T18:05:26.512+05:302011-02-04T18:05:26.512+05:30आपकी विद्वता को प्रणाम करने का जी चाहता है, बस।
-...आपकी विद्वता को प्रणाम करने का जी चाहता है, बस।<br /><br />---------<br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">ध्यान का विज्ञान।</a><br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-60843083496932378282011-02-04T17:25:39.849+05:302011-02-04T17:25:39.849+05:30उपयोगी और दुर्लभ ! आभार !!उपयोगी और दुर्लभ ! आभार !!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27753309799769914112011-02-04T17:08:36.533+05:302011-02-04T17:08:36.533+05:30प्राण- प्राण फलता रहा साँसों का वरदान
स्वर के ज...प्राण- प्राण फलता रहा साँसों का वरदान <br />स्वर के ज्ञान में है छुपा जीवन का विज्ञानज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-19584891991759257082011-02-04T12:12:04.154+05:302011-02-04T12:12:04.154+05:30.
".. अतएव तड़के उठकर भोर से ही .."
@ ....<br /><br />".. अतएव तड़के उठकर भोर से ही .."<br /><br />@ 'तड़के' और 'भोर' में अंतर देखना चाहता हूँ. <br />'तड़के' क्या अपने आप में पूरा शब्द है? क्या यह देशज है? इस शब्द की व्युत्पत्ति कैसे हुई? <br />क्या 'त्वरा' अथवा त्वरित से तो नहीं हुई?<br />"पौं फटना" को भी स्पष्ट कर दें ...... तो मेरी व्यर्थ की जिज्ञासा का शमन होगा. <br />यहाँ 'फटना' क्रिया क्या इस लिये प्रयुक हुई है कि सूर्य का प्रकाश अन्धकार को चीरता हुआ फैलता है?<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-15978985652334836142011-02-04T12:11:02.626+05:302011-02-04T12:11:02.626+05:30.
हे आचार्य !
कैसे जानूँ कि स्वर कौन-सा चल रहा ह....<br /><br />हे आचार्य ! <br />कैसे जानूँ कि स्वर कौन-सा चल रहा है? चन्द्र-स्वर और सूर्य स्वर दोनों ही तो श्वास-प्रश्वास का अभ्यास कर रहे हैं. अब कौन-सा बीच में आलस्य कर जाये? कैसे पकडूँ उस आलसी स्वर को? मैं तो तर्जनी और मध्यमा लगा लगाकर थक चुका. मुझे वह उपाय सुझाएँ कि प्रातः उठते ही मुझे बोध हो जाये कि कौन-सा स्वर अधिक सक्रीय है? <br />योग के अंतर्गत स्वर के सन्दर्भ का यही अध्याय मुझे पहले भी कई बार एकान्तिक साधना करवाता रहा है. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71514405397353196702011-02-04T11:05:54.914+05:302011-02-04T11:05:54.914+05:30बहुत सुन्दर मनोज जी । आपका ब्लाग bolg world .com ...बहुत सुन्दर मनोज जी । आपका ब्लाग bolg world .com में जुङ गया है ।<br />कृपया देख लें । और उचित सलाह भी दें । bolg world .com तक जाने के <br />लिये सत्यकीखोज @ आत्मग्यान की ब्लाग लिस्ट पर जाँय । धन्यवाद ।सहज समाधि आश्रमhttps://www.blogger.com/profile/12983359980587248264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-82460845945148771052011-02-04T10:04:14.447+05:302011-02-04T10:04:14.447+05:30आज की व्याख्या में अध्यात्म के चरम सोपान तक पहुँच...आज की व्याख्या में अध्यात्म के चरम सोपान तक पहुँचने का सही रास्ता दिखाया गया है ...<br />आचार्य जी का धन्यवादकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21304401998906065392011-02-04T07:47:12.363+05:302011-02-04T07:47:12.363+05:30काश!हम सब इन प्रक्रियों से गुजर पाते।काश!हम सब इन प्रक्रियों से गुजर पाते।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.com