tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post6470521261325651158..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: कब तक बैठोगे मौन तपस्वी .... ?मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger31125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-16205874826295013842012-08-24T15:04:19.483+05:302012-08-24T15:04:19.483+05:30कवी काजी नन्रुल इस्लाम की याद ताजा हो गई. कवी कोई ...कवी काजी नन्रुल इस्लाम की याद ताजा हो गई. कवी कोई ऐसी तान सुनाओ की उथल पथल मच जाए... आपके कवी आत्मा को मेरा सादर नमन Aditya Rajhttps://www.blogger.com/profile/10425484651149293183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-91673398560391022982010-08-19T14:38:03.696+05:302010-08-19T14:38:03.696+05:30जोश जगाता बाहें फड़काता लाजवाब गीत .... अब तो तीसर...जोश जगाता बाहें फड़काता लाजवाब गीत .... अब तो तीसरा नेत्र खुल ही जाना चाहिए शंकर का .... तभी उद्धार हो सकता है समाज का ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-58976973948231460572010-08-11T23:13:46.191+05:302010-08-11T23:13:46.191+05:30"हे शंकर ! अब प्रलयंकर बन, धर पिनाक कर तांडव ..."हे शंकर ! अब प्रलयंकर बन, धर पिनाक कर तांडव डोल ! बहुत हो चुका धैर्य प्रदर्शन, बोल क्रान्ति के तीखे बोल !!<br /><br />इतनी सुन्दर रचनाओं से अब तक वंचित रही, इस बात का अफ़सोस है ... जोश से भरपूर और बेहद सुन्दर शब्द प्रवाह ...अति सुन्दर रचना.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-29943259304995592192010-08-11T10:06:25.028+05:302010-08-11T10:06:25.028+05:30padhkar man prasann ho gaya,,,bahut maza aaya.padhkar man prasann ho gaya,,,bahut maza aaya.Ashok Sharmahttps://www.blogger.com/profile/01774229185124561732noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74209275186205072082010-08-10T22:31:33.402+05:302010-08-10T22:31:33.402+05:30http://charchamanch.blogspot.com/2010/08/241.htmlhttp://charchamanch.blogspot.com/2010/08/241.htmlसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27728285307533065522010-08-10T12:05:40.227+05:302010-08-10T12:05:40.227+05:30सभी पाठकों का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ ! इ...सभी पाठकों का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ ! इस अपरिपक्व प्रयास पर आपका इतना प्रोत्साहन आपके अद्भुत स्नेह का द्योतक है. यह कविता मैं ने आज से कोई ९ साल पहले लिखी थी, जब भारतीय संसद पर हमला हुआ था. इसीलिए मैं मानता हूँ कि इस में काव्य के सूक्ष्म तत्वों की अपेक्षा भावनाओं का आवेग है. किन्तु साल बदलते गए हाल नहीं बदला. वर्तमान परिस्थितियों के प्रति आक्रोश को स्वर देने के लिए मैं ने यह कविता पोस्ट किया था. आप सबों का स्नेह पाकर अविभूत हूँ !!!! धन्यवाद !!!!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-40587632089678956012010-08-10T05:21:22.629+05:302010-08-10T05:21:22.629+05:30वाह सर जी मजा आ गया अपनी लेखनी का बखूबी प्रयोग किय...वाह सर जी मजा आ गया अपनी लेखनी का बखूबी प्रयोग किया हॆ आपनेAshish (Ashu)https://www.blogger.com/profile/17298075569233002510noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-37258220125797256862010-08-09T23:33:36.893+05:302010-08-09T23:33:36.893+05:30bahut sundar.bahut sundar.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-77638108442094034712010-08-09T23:23:22.881+05:302010-08-09T23:23:22.881+05:30हे नीलकंठ,
मेरे जैसे नास्तिक की न सही पर उनकी तो स...हे नीलकंठ,<br />मेरे जैसे नास्तिक की न सही पर उनकी तो सुनो जो अपने घर में चूल्हा न जलाकर भी तेरे द्वारे दीपक जलाते हैं.. <br />करण जी आप की पुकार में दम है... आपका आह्वान हृदय से निकला है..लेकिन जो पत्थर बनकर बैठा है वो अगर पिघले तो मानूँ... ईश्वर आपकी प्रार्थना स्वीकारे.सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-22013281236190826042010-08-09T23:20:53.913+05:302010-08-09T23:20:53.913+05:30कोई भी नेतृत्व जनता को जागरूक बनाने का ख़तरा मोल न...कोई भी नेतृत्व जनता को जागरूक बनाने का ख़तरा मोल नहीं लेता। मगर क्रांति के बीज भी ईमानदारों में ही होते हैं। हम देख ही रहे हैं कि हम में से ही चंद स्वार्थी तत्व हमें और खोखला किए जा रहे हैं।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-32647928716088105552010-08-09T23:05:49.957+05:302010-08-09T23:05:49.957+05:30kya bat hai bhiya lajwab likha hai, bahut khub lag...kya bat hai bhiya lajwab likha hai, bahut khub lagi rachnaMithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-48005194562067566402010-08-09T22:33:48.654+05:302010-08-09T22:33:48.654+05:30बहुत हो चूका धैर्य प्रदर्शन ...
हर भारतीय अकुलाया ...बहुत हो चूका धैर्य प्रदर्शन ...<br />हर भारतीय अकुलाया है ...<br />मौजूदा दौर पर सटीक रचना ...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75689015992720026632010-08-09T20:39:27.693+05:302010-08-09T20:39:27.693+05:30उत्साह उड़ेलती कविता। पढ़कर जोश आ गया।उत्साह उड़ेलती कविता। पढ़कर जोश आ गया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-68999273289891691452010-08-09T19:50:22.373+05:302010-08-09T19:50:22.373+05:30सुंदर, ओजपूर्ण और प्रभावी कविता।सुंदर, ओजपूर्ण और प्रभावी कविता।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-37355924679840131152010-08-09T19:16:23.582+05:302010-08-09T19:16:23.582+05:30अति ओजस्वी रचना.
रामराम.अति ओजस्वी रचना.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-55639517380852707592010-08-09T19:12:17.433+05:302010-08-09T19:12:17.433+05:30हम आज भी अनेक अर्थों में गुलामी के शिकार हैं। यह ग...हम आज भी अनेक अर्थों में गुलामी के शिकार हैं। यह गुलामी है-गलत के विरुद्ध भीरूता की,समष्टिगत हित के आगे व्यक्तिगत स्वार्थ को प्राथमिकता देने की और अचेतन जीवन जीते जाने की....आदि-आदिशिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-87999048382541408622010-08-09T18:42:39.028+05:302010-08-09T18:42:39.028+05:30जोशपूर्ण आव्हान है ..इसी की आवश्यकता है आज के दौर ...जोशपूर्ण आव्हान है ..इसी की आवश्यकता है आज के दौर में ..<br />प्रभावशाली अभिव्यक्ति.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-10453423171501355882010-08-09T18:26:47.674+05:302010-08-09T18:26:47.674+05:30मौजूदा दौर पर सटीक रचना ...!मौजूदा दौर पर सटीक रचना ...!रीताhttps://www.blogger.com/profile/17969671221868500198noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-69000503006588974512010-08-09T18:23:56.528+05:302010-08-09T18:23:56.528+05:30अद्भुत!
उर प्रजातंत्र का घायल है,
फिर भी वह शान्त...अद्भुत!<br />उर प्रजातंत्र का घायल है, <br />फिर भी वह शान्ति का कायल है ! <br />वह मृत्युंजय है जीवित-मृत, <br />या कर कंगन, पग पायल है ? <br />शिव को सोने दे जाग शिवा, <br />भारत में भैरवी नाद घोल, <br />बहुत हो चुका धैर्य प्रदर्शन, <br />बोल क्रान्ति के तीखे बोल !!जुगल किशोरhttps://www.blogger.com/profile/13301162594819383710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27492060657771787682010-08-09T18:21:09.115+05:302010-08-09T18:21:09.115+05:30एक ओजपूर्ण रचना जो लोगों में हूंकार भरने में सक्षम...एक ओजपूर्ण रचना जो लोगों में हूंकार भरने में सक्षम है।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-9868999719158358882010-08-09T17:31:40.490+05:302010-08-09T17:31:40.490+05:30हे शंकर ! अब प्रलयंकर बन,
धर पिनाक कर तांडव डोल !
...हे शंकर ! अब प्रलयंकर बन,<br />धर पिनाक कर तांडव डोल !<br />बहुत हो चुका धैर्य प्रदर्शन,<br />बोल क्रान्ति के तीखे बोल !!<br /><br /><br />-बिल्कुल सटीक!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-31420352166386775792010-08-09T16:34:56.093+05:302010-08-09T16:34:56.093+05:30शंकर जी का चित्र तो बहुत अच्छा लगा...और कविता भी. ...शंकर जी का चित्र तो बहुत अच्छा लगा...और कविता भी. <br />_____________<br />'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.Akshitaa (Pakhi)https://www.blogger.com/profile/06040970399010747427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75803234034208203172010-08-09T14:55:06.246+05:302010-08-09T14:55:06.246+05:30आपका व्यापक सरोकार निश्चित रूप से मूल्यवान है। क...आपका व्यापक सरोकार निश्चित रूप से मूल्यवान है। कहीं कहीं कविता तात्कालिक प्रतिक्रिया जैसी लग सकती है लेकिन ज्यादातर आपने अपनी ऊर्जा का प्रयोग देश-समाज में बदलाव के लिए ही किया है। यह कविता कुछ पल ठहरकर सोचने पर विवश करती है! <br />इस सहज, सरल मगर जटिल कविता की अंतर्ध्वानियां देर तक और दूर तक हमारे मन मस्तिष्क में गूंजती रहती है। जीवन के बुनियादी मुद्दों पर केंद्रीत यह कविता हमें विचलित तो करती ही है, यह सोचने के लिए बाध्य भी करती है कि अपने आसपास की जिंदगी से सरोकार रखने वाली इन स्थितियों के प्रति हम इतने भयावह रूप में असंवेदनशील और निलिपित क्यों हैं?मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-65181540531613373402010-08-09T14:28:20.662+05:302010-08-09T14:28:20.662+05:30इस पोस्ट ने तो झकझोर कर रख दिया..वाकई अति-उत्तम.इस पोस्ट ने तो झकझोर कर रख दिया..वाकई अति-उत्तम.KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-11345601870238140972010-08-09T13:01:09.638+05:302010-08-09T13:01:09.638+05:30स्वतन्त्रता के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कवि की भाव...स्वतन्त्रता के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कवि की भावाभिव्यक्ति सराहनीय है।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.com