tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post6489062936689520324..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: एक लंबी कविता जो छोटी पड़ गई !!मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53487910689222103462011-09-08T22:39:32.721+05:302011-09-08T22:39:32.721+05:30लंबी या छोटी के फेर में नहीं पड़ता...कविता है और अच...लंबी या छोटी के फेर में नहीं पड़ता...कविता है और अच्छी भी है.नवनीत नीरवhttps://www.blogger.com/profile/14633274021808960999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-38217871626800826312011-09-08T12:56:55.877+05:302011-09-08T12:56:55.877+05:30बहुत ही सुन्दरता से व्यक्त किया है आपने हर बात ...बहुत ही सुन्दरता से व्यक्त किया है आपने हर बात को इस रचना में शुरू से लेकर अंत तक रोचकता बनी रही ...आभार इस सशक्त प्रस्तुति के लिये ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-18617760203992109612011-09-08T12:53:04.776+05:302011-09-08T12:53:04.776+05:30लगता नहीं आपको कि मेरी क़लम की नींब पर जिनकी तस्वी...लगता नहीं आपको कि मेरी क़लम की नींब पर जिनकी तस्वीर गड़ गई है<br />उनके लिए मेरी यह एक लंबी कविता भी<br />छोटी पड़ गई है ... ... ...<br /><br />सच मे छोटी पड गयी……………जितना कहेंगे फिर भी कम ही रहेगा क्योंकि हम वो नही देखते जो देखना चाहिये या कहिये देखकर अनदेखा कर देते हैं क्योंकि जानते हैं यदि देखा तो कुछ कहने की हिम्मत नही रहेगी शायद खुद से आँख चुराकर जीने की आदत हो चुकी है हमे और आपने हर भाव हर संवेदना को बखूबी उतारा है……………बेहतरीन चित्रण्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-26544599961201043732011-09-08T11:37:53.132+05:302011-09-08T11:37:53.132+05:30लम्बी किन्तु रोचक.....लम्बी किन्तु रोचक.....Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-26427560973981097512011-09-08T10:16:40.769+05:302011-09-08T10:16:40.769+05:30मनोज जी ,
मैंने आपकी यह रचना कल पहली बार पढ़ी .....मनोज जी , <br /><br />मैंने आपकी यह रचना कल पहली बार पढ़ी ... आज फिर पढ़ी ...मानव संवेदनाओं का सिलसिला है यह कविता ..जो कभी लंबी नहीं हो सकती ..<br />पेंटर की ज़िंदगी ... खुद को भुलावा देने के लिए सफ़ेद तरल द्रव्य को पना .. कालू रिक्शेवाला ..ठेला खींचता तपेदिक से ग्रसित मजदूर ..झुम्मन बुढिया की व्यथा कथा ... झींगुर की बेबसी ..नेताओं पर व्यंग .. ओह कितना कुछ समेटा है .. फिर भी बहुत कुछ रह गया ... सच ही छोटी पड़ गयी कविता ..<br />बहुत सशक्त शब्द चित्रण ... ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63504659088806053132011-09-08T06:09:24.991+05:302011-09-08T06:09:24.991+05:30सशक्त रचना...सच में कविता लम्बीई होते हुए भी छोटी ...सशक्त रचना...सच में कविता लम्बीई होते हुए भी छोटी ही लगीNidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-26443766382223233672010-02-17T20:09:21.405+05:302010-02-17T20:09:21.405+05:30जोरदार रचना
बहुत बहुत आभार...............जोरदार रचना <br />बहुत बहुत आभार...............संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6526091112118868552010-02-04T11:55:55.233+05:302010-02-04T11:55:55.233+05:30achchi kavita. badi jaroor hai lekin samvedana ki ...achchi kavita. badi jaroor hai lekin samvedana ki abhivyakti hai. manoj ji aapki bahut sookshm hai.<br />aabhar.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-34847577093910936882010-02-03T21:13:40.540+05:302010-02-03T21:13:40.540+05:30bahut achchi, bhavon mein bah gaya, sashwar wachan...bahut achchi, bhavon mein bah gaya, sashwar wachan kiya, sach much choti pad gayiHARI OMhttps://www.blogger.com/profile/16595226042415542487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-22867117817692242372010-02-02T21:08:48.178+05:302010-02-02T21:08:48.178+05:30यह कविता सिर्फ सरोवर-नदी-सागर, फूल-पत्ते-वृक्ष आसम...यह कविता सिर्फ सरोवर-नदी-सागर, फूल-पत्ते-वृक्ष आसमान की चादर पर टंके चांद-सूरज-तारे का लुभावन संसार ही नहीं, वरन जीवन की हमारी बहुत सी जानी पहचानी, अति साधारण चीजों का संसार भी है। यह कविता उदात्ता को ही नहीं साधारण को भी ग्रहण करती दिखती है।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-70214590390107733752010-02-02T20:50:54.656+05:302010-02-02T20:50:54.656+05:30राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सर...राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-3799208936293061762010-02-02T18:42:16.537+05:302010-02-02T18:42:16.537+05:30bahut hi sundar kavita likhi hai aapne.Badhai.bahut hi sundar kavita likhi hai aapne.Badhai.मोहसिनhttps://www.blogger.com/profile/05133114471401092669noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63018978160963329052010-02-02T17:51:27.389+05:302010-02-02T17:51:27.389+05:30बहुत सुन्दर है आपकी यह रचना!
आप यहाँ भी हैं-
http:...बहुत सुन्दर है आपकी यह रचना!<br />आप यहाँ भी हैं-<br />http://charchamanch.blogspot.com/2010/02/blog-post_02.htmlडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72492886741549646582010-02-02T16:00:36.671+05:302010-02-02T16:00:36.671+05:30आपकी कविता लम्बी ज़रूर है पर मुझे इतना अच्छा लगा ...आपकी कविता लम्बी ज़रूर है पर मुझे इतना अच्छा लगा कि मैंने सिर्फ़ एक बार नहीं बल्कि दो बार पढ़ा है! बहुत ही सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार कविता प्रस्तुत किया है! बधाई!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-66794108162903971022010-02-02T15:48:32.922+05:302010-02-02T15:48:32.922+05:30बहुत कुछ सोचने - विचारने को मजबूर कर देने वालीं ए...बहुत कुछ सोचने - विचारने को मजबूर कर देने वालीं एक सशक्त रचना .<br />हार्दिक बधाई !aarkayhttps://www.blogger.com/profile/04245016911166409040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-40010276353133254492010-02-02T14:55:53.050+05:302010-02-02T14:55:53.050+05:30Inni achi kavita koi kaise na padhe..
maine to pur...Inni achi kavita koi kaise na padhe..<br />maine to puri kavita padh hai aur padhkar bahooooooooooooooooooot acha laga....Rachna Karnahttps://www.blogger.com/profile/01778833565266862817noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-65483275253955620292010-02-02T14:37:44.798+05:302010-02-02T14:37:44.798+05:30लोक-समाज के प्रति कवि की उदात्त संवेदना का मर्मस्प...लोक-समाज के प्रति कवि की उदात्त संवेदना का मर्मस्पर्शी चित्रण !! <br /><br />लम्बी है पर सुन्दर...... बोले तो दीपिका पदुकोने ........ !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-79658168120601489242010-02-02T13:26:50.638+05:302010-02-02T13:26:50.638+05:30मनोज जी हृदयस्पर्शी कविता है और संवेदनाओं के आगे त...मनोज जी हृदयस्पर्शी कविता है और संवेदनाओं के आगे तो कई बार आदमी खुद भी छोटा पड जाता है । बहुत सुन्दर प्रवाहमय कविता है शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-86989052106997224502010-02-02T12:58:11.942+05:302010-02-02T12:58:11.942+05:30लगता नहीं आपको कि मेरी क़लम की नींब पर जिनकी तस्वी...लगता नहीं आपको कि मेरी क़लम की नींब पर जिनकी तस्वीर गड़ गई है<br />उनके लिए मेरी यह एक लंबी कविता भी <br />छोटी पड़ गई है ... ... ...<br /><br />मनोज जी ......... सचमुच कविता छोटी पड़ गयी है .......... एक ही प्रवाह में पढ़ गया आपकी पूरी रचना ......... आपके आक्रोश को देख का लग रहा है की सच में अभी बहुत कुछ था जो आप कहना चाहते थे .......... पर कहा नही ...... आवेग इतना तेज़ था की उसने भावनाओं का प्रवाह रोक दिया .......... <br />कालजयी रचना है .......... सॅंजो कर रख ली है मैने ............दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-583104856123364512010-02-02T12:28:17.922+05:302010-02-02T12:28:17.922+05:30मैंने तो पूरी पढी, बढ़िया प्रस्तुती !मैंने तो पूरी पढी, बढ़िया प्रस्तुती !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-20019376848965128422010-02-02T11:00:25.014+05:302010-02-02T11:00:25.014+05:30लम्बी है पर उबाऊ नही है , अच्छी अभिव्यक्तिलम्बी है पर उबाऊ नही है , अच्छी अभिव्यक्तिअजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72466529936922510112010-02-02T07:55:17.484+05:302010-02-02T07:55:17.484+05:30बेहतरीन अभिव्यक्ति....बेहतरीन अभिव्यक्ति....डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64901483044392180962010-02-02T07:46:00.075+05:302010-02-02T07:46:00.075+05:30मेरी यह कविता लम्बी हो गई तो हो गई ...
पाठक पढ़ें...मेरी यह कविता लम्बी हो गई तो हो गई ...<br /><br />पाठक पढ़ें या न पढ़ें<br /><br />मैं जो लिखना चाह रहा था, लिख दिया<br /><br /><br />-वाकई छोटी पड़ गई..संवेदनाओं की बाढ़ को बाँधने के लिए कितना भी बड़ा पुल छोटा ही पड़ेगा...बहुत उम्दा अभिव्यक्ति!! सलाम!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com