tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post7171374066785812819..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: मौन बने कर लें फेरामनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-29477516728427587072010-07-21T15:50:05.567+05:302010-07-21T15:50:05.567+05:30आदरणीय मनोज जी
परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010 में सम्मा...आदरणीय मनोज जी<br />परिकल्पना ब्लॉगोत्सव 2010 में सम्मानित होने पर हार्दिक बधाइयां स्वीकार करें!<br />भविष्य के लिए मंगलकामनाएं !!<br /><br />प्रस्तुत काव्य रचना बहुत सुंदर है , इसके लिए भी बधाई !<br /><br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b> पर भी आपका हार्दिक स्वागत है , अवश्य आइएगा , आपकी प्रतीक्षा में पलक - पांवड़े बिछे रहेंगे …<br />शुभाकांक्षी<br />- राजेन्द्र स्वर्णकार <br /><b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow">शस्वरं</a></b>Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-37047212854271706332010-07-21T15:44:22.053+05:302010-07-21T15:44:22.053+05:30यह हुई ना बात!
प्रतीकों का सहज एवं सफल प्रयोग किया...यह हुई ना बात!<br />प्रतीकों का सहज एवं सफल प्रयोग किया गया है।<br /><br />बहुत अच्छी प्रस्तुति।<br />राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-14135248749060743062010-07-21T15:43:03.093+05:302010-07-21T15:43:03.093+05:30आपकी रचना शानदार है
भाषा तो और भी जबरदस्त
बहुत अच्...आपकी रचना शानदार है<br />भाषा तो और भी जबरदस्त<br />बहुत अच्छा लगा.राजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-18735305625521939092010-07-21T15:32:53.189+05:302010-07-21T15:32:53.189+05:30अति उत्तम प्रस्तुति।अति उत्तम प्रस्तुति।रीताhttps://www.blogger.com/profile/17969671221868500198noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-87318327820559108362010-07-21T14:56:19.304+05:302010-07-21T14:56:19.304+05:30बहुत सुन्दर रचना।बहुत सुन्दर रचना।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-59073804715265314382010-07-21T13:58:40.068+05:302010-07-21T13:58:40.068+05:30वाह!!!!!!!!!!! बहुत सुन्दर भाव.वाह!!!!!!!!!!! बहुत सुन्दर भाव.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-16083186423251867232010-07-21T13:03:36.500+05:302010-07-21T13:03:36.500+05:30अद्भुत...मन प्रसन्न हो गया पढ़कर.अद्भुत...मन प्रसन्न हो गया पढ़कर.KK Yadavhttps://www.blogger.com/profile/05702409969031147177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-42908730403500306232010-07-21T11:32:35.451+05:302010-07-21T11:32:35.451+05:30सघन अनुभूति के उपरांत इतनी गहन भावना आती है।
विरह ...सघन अनुभूति के उपरांत इतनी गहन भावना आती है।<br />विरह जलधि की बेला में <br />ये करते ऑंसू संधि प्रबल। <br />देख आज समगुण की मैत्री <br />काँप रहा मेरा तन निर्बल।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-46735957146917733972010-07-21T10:36:32.443+05:302010-07-21T10:36:32.443+05:30शास्त्र महल के कोलाहल में
मिलन कहाँ मेरा-त...शास्त्र महल के कोलाहल में<br /><br />मिलन कहाँ मेरा-तेरा।<br /><br />विरहानल के साक्ष्य भवन<br /><br />मौन बने कर लें फेरा।<br /><br />bahut badhiyaaरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-18547002063904758432010-07-21T10:33:06.676+05:302010-07-21T10:33:06.676+05:30भाषा पर छायावाद का संस्कार दृष्टिगोचर होता है| सुक...भाषा पर छायावाद का संस्कार दृष्टिगोचर होता है| सुकोमल विम्ब..!जुगल किशोरhttps://www.blogger.com/profile/13301162594819383710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-32782505727200656232010-07-21T08:17:30.721+05:302010-07-21T08:17:30.721+05:30बहुत खुब.बहुत खुब.मोहसिनhttps://www.blogger.com/profile/05133114471401092669noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-77409840697402022042010-07-21T08:16:34.815+05:302010-07-21T08:16:34.815+05:30राय जी साहित्यिक प्रतिभा के धनी है, जिसका प्रमाण य...राय जी साहित्यिक प्रतिभा के धनी है, जिसका प्रमाण यह कविता है.शमीमhttps://www.blogger.com/profile/17758927124434136941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-38639671929430435512010-07-21T08:14:17.214+05:302010-07-21T08:14:17.214+05:30बहुत सुन्दर. सुन्दर भाव.बहुत सुन्दर. सुन्दर भाव.ज़मीरhttps://www.blogger.com/profile/03363292131305831723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-80263239347337517112010-07-21T01:15:28.186+05:302010-07-21T01:15:28.186+05:30शास्त्र महल के कोलाहल में मिलन कहाँ मेरा-ते...शास्त्र महल के कोलाहल में मिलन कहाँ मेरा-तेरा। विरहानल के साक्ष्य भवन मौन बने कर लें <br />टूट गयी टकराकर आशा सागर के इस निर्मम तट से। झूल रही कोरी अभिलाषा सूने मन-तरु की डाली से। <br />bahut hi sundar rachna hai aapkiज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-2359396175239158062010-07-21T00:43:35.733+05:302010-07-21T00:43:35.733+05:30देख यवनिका जग नयनों की
पकड़ धरा की धूसर डाली।...देख यवनिका जग नयनों की<br /><br />पकड़ धरा की धूसर डाली।<br /><br />झूल रही है दृग लतिकाएँ<br /><br />स्वप्न पत्र से सज मतवाली।<br /><br />एक एक छंद भावमयी...मन प्रसन्न हो गया ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-85042218349631572792010-07-20T23:42:13.831+05:302010-07-20T23:42:13.831+05:30बहुत सुन्दर लगा हर छन्द, धन्यवादबहुत सुन्दर लगा हर छन्द, धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75587112703563518702010-07-20T23:23:10.844+05:302010-07-20T23:23:10.844+05:30वाह!वाह!एक विचारhttps://www.blogger.com/profile/00900111694761474015noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-86675512289650801012010-07-20T23:06:46.093+05:302010-07-20T23:06:46.093+05:30छंदों और बिम्बो से सजी छायावाद की छाया से लदी ये म...छंदों और बिम्बो से सजी छायावाद की छाया से लदी ये मनमोहक कविता सराबोर कर गयी.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63464055657137946662010-07-20T23:04:14.283+05:302010-07-20T23:04:14.283+05:30यह कविता आपके विशिष्ट कवि-व्यक्तित्व का गहरा अहसास...यह कविता आपके विशिष्ट कवि-व्यक्तित्व का गहरा अहसास कराती है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-39275138991306353332010-07-20T21:25:54.098+05:302010-07-20T21:25:54.098+05:30हर छन्द, प्रचण्ड।हर छन्द, प्रचण्ड।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64070929829222152002010-07-20T21:14:13.539+05:302010-07-20T21:14:13.539+05:30वाह! आज तो यहां कल-कल छल-छल सरिता प्रवाहित हो रही ...वाह! आज तो यहां कल-कल छल-छल सरिता प्रवाहित हो रही है।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74659899672773598692010-07-20T21:01:57.492+05:302010-07-20T21:01:57.492+05:30आचार्य जी, इस पर कुछ भी कहना दुःसाहस होगा. अब तो प...आचार्य जी, इस पर कुछ भी कहना दुःसाहस होगा. अब तो प्रतीक्षा रहेगी, विस्मृत हो चुके छायावाद की आँच पर करण जी की लेखनी से पगी, महुए की सुगंध से माती हुई, एक नूतन रचना का...<br />इस उपवन में पदार्पण करना एक तीर्थ का अनुभव प्रदान करता है. <br />आभार मनोज जी का भी!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-47202659332105561602010-07-20T20:20:35.076+05:302010-07-20T20:20:35.076+05:30@karan samastipuri : samastipuri ji,
namaskar! aap...@karan samastipuri : samastipuri ji,<br />namaskar! aap se anurodh hai ki isse aanch par charhayen.isse mujhe khushi hogi....आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-81875472900003766932010-07-20T19:39:12.776+05:302010-07-20T19:39:12.776+05:30बढ़िया मुक्तक हैं!बढ़िया मुक्तक हैं!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-73448061060458355082010-07-20T19:05:06.896+05:302010-07-20T19:05:06.896+05:30आचार्यवर,
नमस्कार ! 'प्रसाद' याद आ गए. &q...आचार्यवर, <br />नमस्कार ! 'प्रसाद' याद आ गए. "कहाँ विमोहिनी ले जावेगी... रिझा मुझे झंकृत पायल से..... !" भाषा पर छायावाद का संस्कार दृष्टिगोचर होता है. कल-कल छल-छल बहती हुई शब्दावली.... वही सुकोमल विम्ब.... प्राकृतिक उपादान.... ! साधु-साधु !! अब थोड़ा दुस्साहस करूँ.... ? मैं इसे आंच पर चढ़ाना चाहता हूँ... लेकिन थोड़ा वक़्त ले कर... !!!! आदेश दिया जाए !!!!!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.com