tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post7205246980003378116..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: यह झुलसता गांव लेकरमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-41313328312223402292011-10-04T14:45:58.958+05:302011-10-04T14:45:58.958+05:30नहीं,नहीं .इतने अच्छे दिन(नवरात्र) ,इतना अच्छा मौस...नहीं,नहीं .इतने अच्छे दिन(नवरात्र) ,इतना अच्छा मौसम!<br />अभी नहीं ऐसे गीत कि थोड़े दिनों का यह मोहक परिवेश हवा हो जाय, असल में गीत इतना समर्थ है कि सारा इन्द्रजाल भंग कर अपना ही ताप बिखेर गया तो !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21183515452312535222011-10-04T08:45:07.151+05:302011-10-04T08:45:07.151+05:30marmik rachna....marmik rachna....सागरhttps://www.blogger.com/profile/04586480950461229346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-43610042504150689622011-10-03T21:55:54.424+05:302011-10-03T21:55:54.424+05:30कमाल के प्रयोग दीखते हैं इस नवगीत में!! एक गुमनाम ...कमाल के प्रयोग दीखते हैं इस नवगीत में!! एक गुमनाम नवगीत रचनाकार की रचनाएँ पढकर सदा मुग्ध होता हूँ!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-23238460354510757482011-10-03T20:53:56.738+05:302011-10-03T20:53:56.738+05:30सूरज पी डलेगा
लगता है नदियां।
एक एक दिन में
...सूरज पी डलेगा<br /> लगता है नदियां।<br />एक एक दिन में<br /> होती है सदियां।<br />वाह सच्चाई को चित्राथ करती बहुत ही मार्मिक प्रस्तुत समय मिले तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है <br />http://mhare-anubhav.blogspot.com/Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6671002919844071392011-10-03T16:55:06.406+05:302011-10-03T16:55:06.406+05:30अद्भुत रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें
नीरजअद्भुत रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-78202573437947439112011-10-03T16:04:55.195+05:302011-10-03T16:04:55.195+05:30बेहद गहन और मार्मिक चित्रण किया है फिर चाहे इसे गा...बेहद गहन और मार्मिक चित्रण किया है फिर चाहे इसे गाँव के संदर्भ मे लें या मनुष्य जीवन के।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-22925757382279793812011-10-03T14:37:48.607+05:302011-10-03T14:37:48.607+05:30यह अक्टूबर का माह प्रारम्भ हुआ है जब दशहरा और दीपा...यह अक्टूबर का माह प्रारम्भ हुआ है जब दशहरा और दीपावली की आमद होने वाली है। मौसम भी आनंददायक है। स्वप्नलोक पर एक मौंजू गीत अभी पढ़कर आया हूँ http://doordrishti.blogspot.com/2011/10/blog-post.html<br /><br />इस उल्लासमय वातावरण में प्रचंड गर्मी की कविता पढ़कर मन के भाव बदल गये। वैसे रचना बहुत अच्छी है।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-67413716359991498892011-10-03T12:07:50.923+05:302011-10-03T12:07:50.923+05:30gaaon kee aatma aur dard hai is kavita megaaon kee aatma aur dard hai is kavita meअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-17977867774915994902011-10-03T12:06:14.438+05:302011-10-03T12:06:14.438+05:30सावन के झूले वाले गाँव अब सपने ही तो हैं ...
सुन्द...सावन के झूले वाले गाँव अब सपने ही तो हैं ...<br />सुन्दर नवगीत!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64614989353761787272011-10-03T11:56:30.360+05:302011-10-03T11:56:30.360+05:30आह... मन व्याकुल और अधीर हुआ जाता है! आधुनिकीकरण औ...आह... मन व्याकुल और अधीर हुआ जाता है! आधुनिकीकरण और विकास की यही विडंबना तो सब-कुछ लील रही है!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-3543769312796408762011-10-03T10:58:53.084+05:302011-10-03T10:58:53.084+05:30बधाई आपको ||||बधाई आपको ||||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-80154958172132512412011-10-03T10:39:49.484+05:302011-10-03T10:39:49.484+05:30अभिनव प्रयोगों से अलंकृत नवगीत बहुत आकर्षक बन पड़ा...अभिनव प्रयोगों से अलंकृत नवगीत बहुत आकर्षक बन पड़ा है। कुछ टंकणगत त्रुटियाँ शेष रह गई हैं। <br /><br />सूरज पी डलेगा (डालेगा या लेगा होना चाहिए)<br />लगता है नदियां।<br />एक एक दिन में<br />होती है सदियां (अनुनासिक सहित हैं होना चाहिए)<br /><br />इसके बावजूद इन पंक्तियोँ में नवीन प्रयोग बेहद मनभावन हैं।<br /> <br />धूप-धोबिन धो रही <br />हरियालियां भू से<br />भूख-भिल्लिन जो मिले<br />सो पेट में ठूंसे,हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72749135392776807842011-10-03T09:35:54.628+05:302011-10-03T09:35:54.628+05:30जवाब नहीं इस नवगीत का.जवाब नहीं इस नवगीत का.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-43461563956563390912011-10-03T09:23:06.287+05:302011-10-03T09:23:06.287+05:30सूखे का बहुत ही मार्मिक चित्रण किया है मिश्र जी ने...सूखे का बहुत ही मार्मिक चित्रण किया है मिश्र जी ने।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-41429011234283535542011-10-03T09:19:42.120+05:302011-10-03T09:19:42.120+05:30जीवन का अस्तित्व सोखती यह गर्मी।जीवन का अस्तित्व सोखती यह गर्मी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-60829722814456546062011-10-03T09:17:38.257+05:302011-10-03T09:17:38.257+05:30गाँव लेकर कहीं नहीं जा सकते,हाँ वहाँ पधार सकते हैं...गाँव लेकर कहीं नहीं जा सकते,हाँ वहाँ पधार सकते हैं !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.com