tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post7377115760904486228..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: फ़ुरसत में ... नैना मिलाइकेमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-80006758150889524312017-03-20T14:33:28.212+05:302017-03-20T14:33:28.212+05:30Great post. Check my website on hindi stories at a...Great post. Check my website on hindi stories at <b><a href="http://afsaana.in/" rel="nofollow">afsaana</a></b><br /> . Thanks!<br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12674801444673591934noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61006180758617510772014-09-13T21:48:59.254+05:302014-09-13T21:48:59.254+05:30RESPECTED BLOGGER FRIENDS, THIS COMMENT OF MINE SH...RESPECTED BLOGGER FRIENDS, THIS COMMENT OF MINE SHOULD BE TREATED AS DELETED.प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-19263170144928917112014-09-02T15:37:25.909+05:302014-09-02T15:37:25.909+05:30बहुत दिन बाद आपको पढ़कर अच्छा लग रहा है। वाकई हम अ...बहुत दिन बाद आपको पढ़कर अच्छा लग रहा है। वाकई हम अंगूठे की दुनिया में रह रहे हैं। हमारे दफ्तर में भी यही प्रक्रिया शुरू होने वाली है। अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27398335189740346532014-08-26T13:45:37.545+05:302014-08-26T13:45:37.545+05:30वैसे आम भारतीय अनुशासन में रहना पसंद नहीं करता,वो ...वैसे आम भारतीय अनुशासन में रहना पसंद नहीं करता,वो चाहे दफ्तर में समय पर आने का मामला हो या यातायात-नियमों के पालन का।<br /><br />hem pandey(शकुनाखर)https://www.blogger.com/profile/15770012470446093894noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-80397147125611880352014-08-11T21:30:33.076+05:302014-08-11T21:30:33.076+05:30दिल जलता है तो आह निकल ही जाती है !दिल जलता है तो आह निकल ही जाती है !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-10334375824192153442014-08-05T11:35:46.296+05:302014-08-05T11:35:46.296+05:30मनोरंजन से भरपूर। सुन्दर।मनोरंजन से भरपूर। सुन्दर।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-86609806885514270322014-08-05T08:35:42.135+05:302014-08-05T08:35:42.135+05:30व्यवस्था परिवर्तन यही तो नहीं हो सकता बस...मस्त लग...व्यवस्था परिवर्तन यही तो नहीं हो सकता बस...मस्त लगी आपकी यह पोस्टसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-85620888652667445752014-08-04T22:12:16.874+05:302014-08-04T22:12:16.874+05:30अनुशासन अपनी जगह उचित है लेकिन मानव को मशीन बना द...अनुशासन अपनी जगह उचित है लेकिन मानव को मशीन बना देना कहाँ तक उचित कहा जा सकता है...बहुत सटीक व्यंग ...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71106437050445556912014-08-04T16:58:19.253+05:302014-08-04T16:58:19.253+05:30अनुशासन जरुरी है मगर किस हद तक . मानव और मशीनों की...अनुशासन जरुरी है मगर किस हद तक . मानव और मशीनों की कार्यविधि का अंतर है , मशीने मानव की मजबूरी /जरुरत नहीं समझ सकती .<br />रोचक प्रस्तुतीकरण !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21133064921712736972014-08-04T12:50:01.554+05:302014-08-04T12:50:01.554+05:30majedaar post. dil chuhuka ....aur bheetar se aaw...majedaar post. dil chuhuka ....aur bheetar se aawaaz aayi......ab aaya oont pahad k neeche....sare bos log apne sub-ordinates k aane-jane par pratibandh lagate hain....ab to peer janenge na ki office ki chaar-diwari me baithe baithe kitne bahar ke jaruri aur chhote chhote kaam rah jate hain ....jinke liye leave leni padti hai. han...han...soch lijiyega....ham apna rona ro rahe hain.....lekin jhoot to nahi bol rahe na ham bhi :) .अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-46433999049920329542014-08-03T22:31:22.776+05:302014-08-03T22:31:22.776+05:30ये बीमारी दिन-दूनी रात चौगुनी फ़ैल रही है...घर में ...ये बीमारी दिन-दूनी रात चौगुनी फ़ैल रही है...घर में बीवी को मत बताना नहीं तो वहां भी लग जायेगा...EARS...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-36467292056393808532014-08-03T20:46:13.219+05:302014-08-03T20:46:13.219+05:30शानदार, अप्रतिम रचना, मुझे मेरे तत्कालीन वरिस्थ अध...शानदार, अप्रतिम रचना, मुझे मेरे तत्कालीन वरिस्थ अधिकारियों की याद आ गई जिन्होंने मुझे फर्श से अर्श तक पहुचने में अपना सार्थक सहयोग दिया, लेकिन आज शायद अधिकारी बनाने वाली फेक्टरी में वैसे अधिकारी बनना बंद हो गए है, यांत्रिक युग भी इसका एक बड़ा कारक है, लेकिन हमें फिर से उन पुराने दिनों की सोच को जाग्रत करने के लिए प्रयास करना चाहिए, आपका लेख इस दिशा में एक सार्थक कदम है, साधुवाद,,,,,,,,,,vivek kumarhttps://www.blogger.com/profile/11217913637732526289noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61232374040003754672014-08-03T15:43:03.613+05:302014-08-03T15:43:03.613+05:30आदरणीय सर ..सादर प्रणाम ..आज एक लम्बे अरसे के बाद ...आदरणीय सर ..सादर प्रणाम ..आज एक लम्बे अरसे के बाद ब्लॉग पर आना हुआ ..तमाम कामों की बजह से आप सभी से रूबरू होने का सुअवसर काफी दिनों बाद मिला ..प्रस्तुत रचना पढ़कर आनंद आ गया ..अब फुर्सत से बिगत एक बर्ष से छूटी रचनाएँ पढूंगा ..इस शानदार रचना के माध्यम से एक जीवंत सच आपने उजागर किया है ..आपको हार्दिक बधाई के साथ सदर Dr.Ashutosh Mishra "Ashu"https://www.blogger.com/profile/06488429624376922144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-62357135534239630232014-08-03T14:03:08.784+05:302014-08-03T14:03:08.784+05:30व्यवस्था परिवर्तन यही तो नहीं हो सकता बस ... पर कई...व्यवस्था परिवर्तन यही तो नहीं हो सकता बस ... पर कई बार इमानदार लोग भी इसके शिकार हो जाते हैं ... <br />शायद व्यवस्था का दोष यह भी है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-33602618990122642302014-08-03T09:26:42.570+05:302014-08-03T09:26:42.570+05:30 लाजवाब पोस्ट्! तो क्या आप भी अच्छी दिनो की इन्तजा... लाजवाब पोस्ट्! तो क्या आप भी अच्छी दिनो की इन्तजार मे हैं?निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-43604236166791827342014-08-03T08:43:12.936+05:302014-08-03T08:43:12.936+05:30गजब बांचे हैं महाराज हमरे दफ़्तर में भी आजकल इहे व्...गजब बांचे हैं महाराज हमरे दफ़्तर में भी आजकल इहे व्यवस्था चल रही है और का बताएं कि कईसन कईसन किक लग रहा है सबके पिछवाडे :) :) <br />अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-89054034454833096622014-08-02T22:18:16.951+05:302014-08-02T22:18:16.951+05:30"छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिलाई के"..."छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिलाई के" <br />अमीर खुसरो के इस सूफ़ियाना कलाम के बाद आपकी "नैना मिलाने" की दास्तान से दो-चार होकर लगा कि जैसे परमात्मा से नैना मिलाने के बाद न माथे पे सजदे की छाप ही बाकी रह जाती है, न ललाट पर तिलक... वैसे ही कार्यालयीन अनुशासन से नैना मिलाने के बाद सारे भेदभाव मिट जाते हैं - न साहब के प्रिय कार्यालय के कार्यकाल के बीच लापता हो पाते हैं, न किसी ज़रूरतमन्द के मन में कसक रहती है कि उसकी उपेक्षा की गई! <br />और आपका अन्दाज़ हमेशा की तरह निराला!! बल्कि मेरे मन के अन्दर एक प्लॉट बहुत दिनों से कुलबुला रहा था.. सोचता था लिखूँ कि न लिखूँ.. अब हौसला दिया है आपने!! चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53810353192628437402014-08-02T17:47:41.241+05:302014-08-02T17:47:41.241+05:30काफी रोचक, मस्त लगी आपकी यह पोस्ट नैना मिलाइके :)
...काफी रोचक, मस्त लगी आपकी यह पोस्ट नैना मिलाइके :)<br />Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-14322764180249980732014-08-02T16:46:24.980+05:302014-08-02T16:46:24.980+05:30 रोचक अभिव्यक्ति ..... रोचक अभिव्यक्ति .....कौशल लालhttps://www.blogger.com/profile/04966246244750355871noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-77544928386650233732014-08-02T16:21:56.774+05:302014-08-02T16:21:56.774+05:30“समयनिष्ठा पर कटाक्ष करती आपकी अभिव्यक्ति काफी रोच...“समयनिष्ठा पर कटाक्ष करती आपकी अभिव्यक्ति काफी रोचक है। इसकी रोचकता की निरंतरता इतनी अच्छी लगी कि बाध्य होकर दो बार पढ़ा एवं हर बार इसमें नवीन भावों को प्रस्फुटित होते पाय़ा। बहुत से संवेदनशील कर्मचारी इस व्यवस्था से उतने नाराज नही हैं जितना कि यह सोचकर कि मशीन से “नैना” लड़ाने के बाद कहीं आप जैसे “बोस” उस शख्स के जज्बातों से मुक्कमल वाकिफ न हो जाएं। इस पोस्ट को रोचक बनाने के लिए इससे तादात्म्य स्थापित करता हुआ एक शेर से आपका रूबरू कराना लाजिमी समझता हूं। धन्यवाद, सर।“<br /><br />"तुम भूले से भी ना होना कभी मेरे रूबरू ऐ मेरे यार,<br />कहीं आँखों से मेरे ज़ज्बातों का इज़हार न हो जाए।" <br />प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.com