tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post744071578388731653..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: स्मृति शिखर से–1 : घिढ़ारी का मंत्रमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-84598468590187056772012-01-05T11:37:40.343+05:302012-01-05T11:37:40.343+05:30"स्मृति शिखर से...." की प्रथम प्रस्तुती ..."स्मृति शिखर से...." की प्रथम प्रस्तुती पर आपके इस स्नेह और प्रोत्साहन से अभीभूत हूँ। उम्मीद है इस शृंखला को भी वही अपनापन मिलेगा जो ‘देसिल बयना’को मिला। <br /><br />अभिनंदन और आभार !करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-83916476228298627272012-01-05T01:41:34.123+05:302012-01-05T01:41:34.123+05:30सराहनीय प्रस्तुति
जीवन के विभिन्न सरोकारों से जु...सराहनीय प्रस्तुति <br /><br />जीवन के विभिन्न सरोकारों से जुड़ा नया ब्लॉग <a href="http://besurm.blogspot.com" rel="nofollow"><b>'बेसुरम'</b></a> और उसकी प्रथम पोस्ट <a href="http://besurm.blogspot.com/2012/01/blog-post.html" rel="nofollow"><b>'दलितों की बारी कब आएगी राहुल ...'</b></a> आपके स्वागत के लिए उत्सुक है। कृपा पूर्वक पधार कर उत्साह-वर्द्धन करेंचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-4142540411175039422012-01-05T01:39:23.390+05:302012-01-05T01:39:23.390+05:30सराहनीय प्रस्तुति
जीवन के विभिन्न सरोकारों से जु...सराहनीय प्रस्तुति <br /><br />जीवन के विभिन्न सरोकारों से जुड़ा नया ब्लॉग <a href="http://besurm.blogspot.com" rel="nofollow"><b>'बेसुरम'</b></a> और उसकी प्रथम पोस्ट <a href="http://besurm.blogspot.com/2012/01/blog-post.html" rel="nofollow"><b>'दलितों की बारी कब आएगी राहुल ...'</b></a> आपके स्वागत के लिए उत्सुक है। कृपा पूर्वक पधार कर उत्साह-वर्द्धन करेंचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-48519111963639071822012-01-05T00:52:30.513+05:302012-01-05T00:52:30.513+05:30अद्भुत संस्मरण... :-).अद्भुत संस्मरण... :-).अभिषेक मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07811268886544203698noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-15379189152649183502012-01-04T23:23:02.091+05:302012-01-04T23:23:02.091+05:30आगाज से तो लग रहा है कि यह शृंखला भी देसिल बयना की...आगाज से तो लग रहा है कि यह शृंखला भी देसिल बयना की तरह ही रोचक होगी। लेकिन करण भाई यदि तथ्य की बात करें तो आपने यह रूप भी कभी धरा होगा, यह तो मैं कभी सोच भी नहीं सकता। लगता है शृंखला में आपके और भी रूप देखने को मिलेंगे। आपको शुभकामनाएँ।<br /><br />हाँ, देसिल बयना को इतना लम्बा सफर तय कराकर इस पड़ाव तक लाने के लिए आपका आभार प्रकट न करूँ तो आपके साथ न्याय नहीं होगा। इस उम्मीद के साथ आभार कि देसिल बयना एक अंतराल के पश्चात पुनः अपने उसी रंग-रूप के साथ हमारे समक्ष उपस्थित होगा। पुनः आभार ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-81892276212224238012012-01-04T22:34:10.405+05:302012-01-04T22:34:10.405+05:30बहुत सुन्दरबहुत सुन्दरvikram7https://www.blogger.com/profile/06934659997126288946noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-55813127157955997542012-01-04T21:13:46.588+05:302012-01-04T21:13:46.588+05:30आपके संस्मरणों का स्वागत/इन्तजार... नव वर्ष की साद...आपके संस्मरणों का स्वागत/इन्तजार... नव वर्ष की सादर शुभकामनाएं....S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-82194855676141374092012-01-04T20:36:06.395+05:302012-01-04T20:36:06.395+05:30नव वर्ष में नव परिवर्तन स्वागतेय....नव वर्ष में नव परिवर्तन स्वागतेय....अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-45413207756574231432012-01-04T20:15:43.853+05:302012-01-04T20:15:43.853+05:30स्मृति के अध्यायों में न जाने कितना अमृतरस छिपा हो...स्मृति के अध्यायों में न जाने कितना अमृतरस छिपा होगा।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-15689934721204044332012-01-04T19:57:06.580+05:302012-01-04T19:57:06.580+05:30Naya saal mubarak ho!Naya saal mubarak ho!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-85344047465524982312012-01-04T19:26:08.006+05:302012-01-04T19:26:08.006+05:30करण जी की भाषा में एक अद्भुत प्रवाह देखने को मिलता...करण जी की भाषा में एक अद्भुत प्रवाह देखने को मिलता है.. चाहे वह आंचलिक भाषा भाषा में "देसिल बयना" हो या हिन्दी में "स्मृति शिखर से"... भाषा का यह सौंदर्य विरले ही दिखाई देता है... जहाँ 'देसिल बयना' पर लगे विराम (पूर्ण विराम नहीं) का खेद है, वहीं एक अनूठे स्तंभ के प्रारम्भ होने की खुशी भी... पता नहीं कितने विस्मृत मुहावरे या कहावतें हैं जिनसे इन्होंने मिलवाया... अविस्मरणीय!! आज की पोस्ट पर शानदार छोडकर कुछ नहीं कहा जा सकता!! बधाई!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-52069404929117212822012-01-04T19:15:05.634+05:302012-01-04T19:15:05.634+05:30क्या बात है, करन बाबू नये साल के शुरुआते में रूप ब...क्या बात है, करन बाबू नये साल के शुरुआते में रूप बदल दिए। अरे यह काम बाद में भी हो सकता था। वैसे यह शृंखला भी मजेदार है। हाँ, एक बात जरूर है कि इसमें भी मजा आ गया। संस्कृत पाठों में टंकणगत अशुद्धियाँ कुछ अधिक हो गयी हैं। बहुत बहुत साधुवाद।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-28631558900534429062012-01-04T18:38:22.013+05:302012-01-04T18:38:22.013+05:30हम तो बस इतना ही कहेंगे...नए वर्ष में हमें आपके नए...हम तो बस इतना ही कहेंगे...नए वर्ष में हमें आपके नए रूप के दर्शन हो रहे हैं...देसिल बयना के लिए धन्यवाद...हमारी शुभ कामनाएं...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-83964355519960632222012-01-04T17:31:06.639+05:302012-01-04T17:31:06.639+05:30केशव जी हम भी लगन में बहुत वियाह और सरसत्ती पूजा क...केशव जी हम भी लगन में बहुत वियाह और सरसत्ती पूजा कराये हैं... ललका धोती और एक ठो किताब लेके पहुच जाते थे... ग्यारह रुपया दखिना पा के लगता है बैंक मिल गया हो.... लेकिन ऐसा घीढारी नहीं कराये कभी भी.... बहुत सुन्दर... मज़ा आ गया.... नई श्रंखला के लिए शुभकामनाअरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-59507447752873113062012-01-04T16:51:37.875+05:302012-01-04T16:51:37.875+05:30बहुत खूब, लाजबाब.. प्रस्तुति ।बहुत खूब, लाजबाब.. प्रस्तुति ।कुमार संतोषhttps://www.blogger.com/profile/15801341922407900125noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-24237920040357195922012-01-04T16:20:02.912+05:302012-01-04T16:20:02.912+05:30naye saal kee shubhkaamnaayein manoj sir :)naye saal kee shubhkaamnaayein manoj sir :)Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-17618366209250062182012-01-04T15:22:29.795+05:302012-01-04T15:22:29.795+05:30देसिल बयना पर दो शब्द बनता है यहां ...
एक अद्भुत ...देसिल बयना पर दो शब्द बनता है यहां ...<br /><br />एक अद्भुत काम आपने किया, और ब्लॉगजगत के माध्यम से मिथिलांचल में प्रसिद्ध फकरे से लोगों को परिचय कराने का यह साधुकर्म निश्चित रूप से लोगों के मन में अविस्मरणीय रहेगा।<br /><br />मुझे आशा है कि एक नई ऊर्जा के साथ आप इसमें पुनः सक्रिय होंगे, क्योंकि जहां तक मैं जानता हूं, इसतरह का काम किसी भी साहित्य्कार ने आज तक नहीं किया है और आपकी तरकश में अभी भी दो-ढाई सौ तीर तो कम से कम होंगे ही।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64531511862979254072012-01-04T15:14:11.337+05:302012-01-04T15:14:11.337+05:30बात हंसी मज़ाक में सीखना चाहिए, सीरियसली सीखने वाल...बात हंसी मज़ाक में सीखना चाहिए, सीरियसली सीखने वाले तो बस सीखते रह जाते हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-9876864141576957492012-01-04T15:13:24.475+05:302012-01-04T15:13:24.475+05:30बुधवार का सूनापन टूटा, देर से ही सही सूर्य से दीप्...बुधवार का सूनापन टूटा, देर से ही सही सूर्य से दीप्त बाबू करण समस्तीपुरी जी के दर्शन हुए.. मगर कोहरे में म्लान सूर्य की तरह उन्होंने भी आते ही सुना दिया कि "देसिल बयना" कोहरे में गुम हो गया है फिलहाल.. जब सूरज निकलेगा तब देखा जाएगा.. हमको तो लगा कि कोइ अपना बिछड गया है.. खैर ई भी सब्जेक्ट मेरा प्रिय है.<br />हम तो जो पढ़े मन लगाकर पढ़े.. मैट्रिक तक संस्कृत ऐसा पढ़े कि आज भी बिना किताब देखे बेटी को ब्याकरण पढ़ा देते हैं.. सहार्थे तृतिया, येनांग विकारः पर तो एक पोस्ट भी लिखी थी मैंने, संबंधे षष्ठी आदि.. सारे धातु रूप,शब्द रूप आज भी याद हैं. <br />खैर, अब तो देश में ही संस्कृत को मृत भाषा घोषित करने का षड़यंत्र चल रहा है.. <br />जाने दीजिए ये सब बात!! आपने जो रास्ता पंडित जी के उद्धार का निकाला उसको पेटेंट करवा लीजिए.. मजेदार संस्मरण है!! आगे भी यही मनोरंजन आप प्रदान करें यही शुभकामना है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54340812022959212962012-01-04T15:05:49.207+05:302012-01-04T15:05:49.207+05:30यह गढा हुआ मन्त्र भी बहुत कारगर होगा ;):)
बढ़िय...यह गढा हुआ मन्त्र भी बहुत कारगर होगा ;):) <br /><br />बढ़िया प्रस्तुति ... यूँ ही अपनी स्मृति के पन्ने खोलते रहें ..<br /><br />देसिल बयना का इंतज़ार रहेगासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com