tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post7904983765430714104..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: नवगीत :: सोन पर उतरी सुबहमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63559285160688569312011-05-16T23:52:12.971+05:302011-05-16T23:52:12.971+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति.बहुत सुन्दर प्रस्तुति.good_donehttps://www.blogger.com/profile/15110617932419017381noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-14211093653479666732011-05-16T23:36:00.857+05:302011-05-16T23:36:00.857+05:30सुन्दर, सुघढ़ और मन को मोहने वाला नवगीत।
अपना मन ...सुन्दर, सुघढ़ और मन को मोहने वाला नवगीत।<br /><br />अपना मन भी सोन नदी सा बह चला।<br /><br />वाह!हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54652147441701136202011-05-16T23:29:50.015+05:302011-05-16T23:29:50.015+05:30लग रहा है...सोन नदी के घाट पर आना ही पड़ेगा...सटीक...लग रहा है...सोन नदी के घाट पर आना ही पड़ेगा...सटीक चित्रण किया है...कृपया जगह और समय बताएं...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71096994479312268422011-05-16T20:56:55.216+05:302011-05-16T20:56:55.216+05:30किसी रोमन वास्तुशिल्पी की बनाई किसी धवल प्रतिमा सी...किसी रोमन वास्तुशिल्पी की बनाई किसी धवल प्रतिमा सी कविता.. शब्दों का सौंदर्य ढलकर मूर्ति में साकार हो गया!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-73754427126911764802011-05-16T20:27:34.546+05:302011-05-16T20:27:34.546+05:30मिश्र जी की कलम को सलाम!
इनके हाथ चूमने को मन कर र...मिश्र जी की कलम को सलाम!<br />इनके हाथ चूमने को मन कर रहा है!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-157832125912610152011-05-16T20:12:02.890+05:302011-05-16T20:12:02.890+05:30सोन पर उतरती मधुमास की सुबह का चित्रांकन बड़ा ही प...सोन पर उतरती मधुमास की सुबह का चित्रांकन बड़ा ही प्यारा है।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49150945232336752112011-05-16T17:30:33.951+05:302011-05-16T17:30:33.951+05:30भाव और शिल्प दोनों से समृद्ध , प्रेम रस में सना , ...भाव और शिल्प दोनों से समृद्ध , प्रेम रस में सना , यति-गति-लय से युक्त , मनमोहक नवगीत......<br />आदरणीय मिश्र जी की इतनी सुन्दर रचना पढ़कर मन आनंदित हो गया | <br />प्रस्तुति के लिए आभार...सुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-56406218618518159052011-05-16T17:05:23.432+05:302011-05-16T17:05:23.432+05:30आपका प्रतिबिंब पानी पर पड़ा
दौड़कर लहरें ...आपका प्रतिबिंब पानी पर पड़ा<br /><br />दौड़कर लहरें किनारे आ गईं।<br /><br />खिलखिलाकर हंस दिए जो आप<br /><br />मंदिरों की घंटियां टकरा गईं।<br /><br />चपल चितवन ने दिया संदेश<br /><br />सोन पर उतरी सुबह मधुमास की<br /><br />जीवंत शब्द चित्र को उकेरतीं जादुई पंक्तियाँ !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-33641408959753361752011-05-16T15:49:23.652+05:302011-05-16T15:49:23.652+05:30"आपके आने से सारा आलम महक उठा है"
से कह..."आपके आने से सारा आलम महक उठा है"<br /><br />से कहीं ज़यादा ताज़गी लगी इन शब्दों में:-<br /><br />"आपने महका दिया परिवेश"<br /><br />वाह वाह वाहwww.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-69903108076697960662011-05-16T14:36:18.507+05:302011-05-16T14:36:18.507+05:30सुन्दर श्रृंगार रस की कविता !सुन्दर श्रृंगार रस की कविता !Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-9038610164762061702011-05-16T13:17:28.893+05:302011-05-16T13:17:28.893+05:30सोन की सुबह तो यहाँ तक छा गई बन्धुवर! बहुत खूब!सोन की सुबह तो यहाँ तक छा गई बन्धुवर! बहुत खूब!Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-22176162708087921182011-05-16T13:11:59.100+05:302011-05-16T13:11:59.100+05:30वाह्………प्रकृति और प्रेम का बेहतरीन सम्मिश्रण्।वाह्………प्रकृति और प्रेम का बेहतरीन सम्मिश्रण्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-15576062377954083942011-05-16T12:21:03.315+05:302011-05-16T12:21:03.315+05:30आपका प्रतिबिंब पानी पर पड़ा
दौड़कर लहरें ...आपका प्रतिबिंब पानी पर पड़ा<br />दौड़कर लहरें किनारे आ गईं।<br />खिलखिलाकर हंस दिए जो आप<br />मंदिरों की घंटियां टकरा गईं ...<br /><br />।प्रेम और प्राकृति का अनूठा बंधन ... लाजवाब बहुत ही मधुर गीत है ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49111058076845762522011-05-16T11:39:34.355+05:302011-05-16T11:39:34.355+05:30भोर का बहुत सुन्दर वर्णन ... अच्छी प्रस्तुतिभोर का बहुत सुन्दर वर्णन ... अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-35364088085554185892011-05-16T10:19:01.457+05:302011-05-16T10:19:01.457+05:30प्रकृति का इतना सुंदर निरूपण, सरल शब्दों में रचित ...प्रकृति का इतना सुंदर निरूपण, सरल शब्दों में रचित मधुर गीत साथमे इतना सुंदर भाव बहुत जबरदस्त प्रभाव छोड़ती है. <br /><br />मिश्र जी और मनोज जी आप दोनों का बहुत आभार.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-40841024217016296432011-05-16T09:32:20.479+05:302011-05-16T09:32:20.479+05:30Prakriti ke saundarya ka bahut hi sunder varnan......Prakriti ke saundarya ka bahut hi sunder varnan... sunder prastuti.उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-10507865195544362142011-05-16T09:09:05.618+05:302011-05-16T09:09:05.618+05:30प्राकृतिक संवेदनाओं का सौन्दर्यपूर्ण निरूपण।प्राकृतिक संवेदनाओं का सौन्दर्यपूर्ण निरूपण।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72277919934016667852011-05-16T08:08:39.094+05:302011-05-16T08:08:39.094+05:30ज़बरदस्त लयात्मकता,माधुर्य तथा शिल्पगत खूबियों के ...ज़बरदस्त लयात्मकता,माधुर्य तथा शिल्पगत खूबियों के साथ सौन्दर्यबोध कराता श्यामनारायण मिश्र जी का नवगीत पढ़ कर मज़ा आ गया.आभार.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.com