tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post1004325318231822483..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: त्यागपत्र (समापन किस्त) - ३८मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-89427237727470080262010-07-18T15:14:46.097+05:302010-07-18T15:14:46.097+05:30कि 'त्याग' सिर्फ नारियों के लिए ही रूढ़ क्...कि 'त्याग' सिर्फ नारियों के लिए ही रूढ़ क्यूँ ? उस परिवार, घर संसार के लिए क्या अर्थोपार्जन मात्र ही 'बांके' की जिम्मेदारी थी... ? अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए भी क्या अपनी प्रतिभा का समुचित उपयोग और स्वावलंबन स्त्रियों की गरिमा के विपरीत है.... ?<br /><br />करन जी आभारी हू आपकी टिपण्णी ने मुझे दुबारा आने के लिए प्रोत्साहित किया.<br /><br />अब फिर से आते हैं आपकी बात पर..<br /><br />मैंने जो पहले टिपण्णी दी वो एक आदर्श नारी के रूप में टिपण्णी थी. जिस आदर्श को बनाये रखने की आज के आधुनिकता की अंधाधुन्द दौड में शामिल समाज को और स्त्रियों को बहुत जरुरत है..लेकिन ये सीता जैसे आदर्श वादिता भी वहीँ तक टिकी रह सकती हैं जहाँ राम जैसे संस्कारी, संवेदनशील, समझदार, नारी को सम्मान देने वाले पुरुष होंगे.<br /><br />जब बांके जैसे पुरुष सिर्फ धन कमाना ही अपनी पहली और आखरी जिम्मेदारी समझ लेंगे और घर में आपस में समझदारी नहीं होगी तो कैसे और कब तक संभव है की एक स्त्री ही सरे कर्ताव्व्यो का निर्वाह करती रहे. कितनी भी समझदार, शिक्षित, सम्मानजनक क्यों न हो जाये नारी अंत तह उसे समझने वाला भी तो होना चाहिए. इसीलिए तो कहा है गृहस्थ की गाड़ी दो पहियों से चलती है एक भी गड-बड़ा जाये तो गाड़ी का चलना मुश्किल है.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-68530597958099939812010-07-17T18:12:36.493+05:302010-07-17T18:12:36.493+05:30यह एक लम्बा लेकिन शानदार सफ़र रहा!
त्याग पत्र की क...यह एक लम्बा लेकिन शानदार सफ़र रहा!<br />त्याग पत्र की कडिया नहीं पड़ पाई!<br />इस एक पोस्ट में सब कुछ समां गया तो अच्छा लगा पढना और त्यागपत्र को समझना!रीताhttps://www.blogger.com/profile/17969671221868500198noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-38706566585931765782010-07-17T18:11:01.737+05:302010-07-17T18:11:01.737+05:30बहुत अच्छी श्रृंखला रही, जिसमें विभिन्न समस्याओं प...बहुत अच्छी श्रृंखला रही, जिसमें विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डाला गया। मनोज जी एवम् करन जी, एक धारावहिक की सफल समाप्ति की... और शुभकामनाएँ!प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-30572053797831428982010-07-17T18:08:58.648+05:302010-07-17T18:08:58.648+05:30रामदुलारी के किरदार से बहुत ही जुड़ी रही। उसका एक ...रामदुलारी के किरदार से बहुत ही जुड़ी रही। उसका एक ऐसे मोड़पर जाना हमें अच्छा नहीं लगा। लगा कुछ और कहानी आगे बढती।<br />आप लेखक द्वय से अनुरोध है कि एक बार फिर इन पात्रों के साथ आप आएं और कहानी को आगे बढाएं।<br />मनोज जी एवम् करन जी, बधाई एक धारावहिक की सफल समाप्ति की... और शुभकामनाएँ!!हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-25017473622071231592010-07-17T15:16:02.849+05:302010-07-17T15:16:02.849+05:30@ सर्प-संसार,
जय हो नाग-देवता ! अंत में आप भी आ ह...@ सर्प-संसार,<br /><br />जय हो नाग-देवता ! अंत में आप भी आ ही गए... !! धन्यवाद !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-24540708021618760992010-07-17T15:14:26.446+05:302010-07-17T15:14:26.446+05:30@ अपनत्व
इस लम्बे सफ़र के लगभग हर पड़ाव पर आपका ...@ अपनत्व <br /><br />इस लम्बे सफ़र के लगभग हर पड़ाव पर आपका 'अपनत्व' मिला... हम आपके आभारी हैं.... यह कहना आपके 'अपनत्व' के लिए काफी नहीं होगा ! हम भविष्य में भी आपसे इसी अपनत्व की उम्मीद रखते हैं !!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53237216374371678652010-07-17T15:11:29.792+05:302010-07-17T15:11:29.792+05:30@ संगीता स्वरुप जी,
चर्चा-मंच मे इसे शामिल करने के...@ संगीता स्वरुप जी,<br />चर्चा-मंच मे इसे शामिल करने के लिए शुक्रिया !करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-85600371859254250842010-07-17T15:10:38.347+05:302010-07-17T15:10:38.347+05:30इस अमर कृति को पढवाने का शुक्रिया।
..................इस अमर कृति को पढवाने का शुक्रिया।<br />................<br /><a href="http://ss.samwaad.com/" rel="nofollow">नाग बाबा का कारनामा।</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-17425280735521952322010-07-17T15:05:50.572+05:302010-07-17T15:05:50.572+05:30@ जाकिर अली 'रजनीश',
जाकिर भई, यह पाठकों ...@ जाकिर अली 'रजनीश',<br /><br />जाकिर भई, यह पाठकों की हौसलाफजाई का नतीजा ही तो है कि हम इतनी लम्बी श्रृंखला लिखने की हिमाकत कर सके.... लेखा-जोखा तो रखना पड़ेगा !! त्यागपत्र की समाप्ति पर मैं यह ख़ुशी और इसकी कामयाबी का श्रेय आप से बांटते हुए आपको शुक्रिया कहता हूँ !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64233238052862314992010-07-17T15:02:11.363+05:302010-07-17T15:02:11.363+05:30@ बूझो तो जाने,
हो महराज ! नहीं बुझे.... अब आप ही ...@ बूझो तो जाने,<br />हो महराज ! नहीं बुझे.... अब आप ही बता दीजिये कि शुरू से त्यागपत्र पढ़ते-पढ़ते बीच में कहाँ गायब हो गए थे .... ? लगता है खतमे होने का इन्तिज़ार कर रहे थे.... ! खैर अंत तक आपका साथ रहा... हम शुक्रगुज़ार हैं आपके !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-80127702519980303732010-07-17T15:02:10.237+05:302010-07-17T15:02:10.237+05:30@ बूझो तो जाने,
हो महराज ! नहीं बुझे.... अब आप ही ...@ बूझो तो जाने,<br />हो महराज ! नहीं बुझे.... अब आप ही बता दीजिये कि शुरू से त्यागपत्र पढ़ते-पढ़ते बीच में कहाँ गायब हो गए थे .... ? लगता है खतमे होने का इन्तिज़ार कर रहे थे.... ! खैर अंत तक आपका साथ रहा... हम शुक्रगुज़ार हैं आपके !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-67181262627957463202010-07-17T15:02:08.165+05:302010-07-17T15:02:08.165+05:30@ बूझो तो जाने,
हो महराज ! नहीं बुझे.... अब आप ही ...@ बूझो तो जाने,<br />हो महराज ! नहीं बुझे.... अब आप ही बता दीजिये कि शुरू से त्यागपत्र पढ़ते-पढ़ते बीच में कहाँ गायब हो गए थे .... ? लगता है खतमे होने का इन्तिज़ार कर रहे थे.... ! खैर अंत तक आपका साथ रहा... हम शुक्रगुज़ार हैं आपके !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-4266471086963605052010-07-17T14:57:25.784+05:302010-07-17T14:57:25.784+05:30@ जुगल किशोर जी,
इसीलिए तो यह निर्णय पाठकों पर छोड...@ जुगल किशोर जी,<br />इसीलिए तो यह निर्णय पाठकों पर छोड़ा गया है कि वे अपने आस-पास की रामदुलारियों का त्यागपत्र चाहते हैं या...... उसकी प्रतिभा से लाभ !!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8824527333945039602010-07-17T14:55:20.758+05:302010-07-17T14:55:20.758+05:30@ उड़न-तश्तरी जी,
हमे गर्व है कि हमारी इस श्रृंखल...@ उड़न-तश्तरी जी,<br /> हमे गर्व है कि हमारी इस श्रृंखला के सर्वाधिक नियमित पाठक आप रहे..... ! आप हमेशा नए ब्लोगेर्स का प्रोत्साहन करते हैं.... हमारा भी किया.... त्यागपत्र का सफल समापन आपके हौसलाफजाई के बिना कठिन था. ख़ास बात यह कि व्यावसायिक, पारिवारिक, सामजिक, सामुदायिक और अंतर्जालिये व्यस्तता के बावजूद ब्लॉग की इस भीड़ में आपने 'रामदुलारी' को याद रखा.... हम आपके हृदय से आभारी हैं !!! धन्यवाद !!!!!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72937314680444738782010-07-17T14:50:10.462+05:302010-07-17T14:50:10.462+05:30@ शमीम जी,
सफ़र आपके साथ शुरू किया था.... ख़त्म ...@ शमीम जी,<br /><br />सफ़र आपके साथ शुरू किया था.... ख़त्म भी आपके साथ ! बेशक यह आप जैसे साथियों की हौसलाफजाई ही है कि यह श्रृंखला इतने दिनों चल कर मुकाम पायी !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-58090390828291034292010-07-17T14:47:09.617+05:302010-07-17T14:47:09.617+05:30@ संगीता स्वरुप जी,
यदि हमने कथा को निर्णायक मोड़ ...@ संगीता स्वरुप जी,<br />यदि हमने कथा को निर्णायक मोड़ पर नहीं समाप्त किया होता तो आप के द्वारा दी गयी अमूल्य प्रतिक्रिया से वंचित रह जाते.... ! लेकिन एक बात है संगीता जी, कहीं से न कहीं से शुरुआत तो करनी पड़ेगी ! हम स्त्रियों के घर-परिवार विषयक कर्तव्यों के विरुद्ध नहीं हैं किन्तु क्या यह न्यायोचित है कि एक प्रतिभा संस्कार और जिम्मेदारियों की चारदीवारी में घुट कर सिर्फ इसलिए दम तोड़ दे कि वह एक स्त्री है..... ? हमें आपके विचार बहुत अच्छे लगे और ऐसा लग रहा है कि हम अपने उद्देश्य में सफल रहे. इस अनुग्रह के लिए धन्यवाद !!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75253381969972799602010-07-17T14:40:32.919+05:302010-07-17T14:40:32.919+05:30@ मोहसिन,
धन्यवाद....... आप शुरू से हमारे साथ रहे....@ मोहसिन,<br />धन्यवाद....... आप शुरू से हमारे साथ रहे... अंत में भी आए.... हाँ, बीच में आपकी कमी जरूर खली !!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-73031825295662658112010-07-17T13:36:24.679+05:302010-07-17T13:36:24.679+05:30karan aur manoj jee bahut bahut badhai....ha ye ka...karan aur manoj jee bahut bahut badhai....ha ye kashmkash kee stitee aapne aasaanee se pathako ke kandho par daal mukti paa lee...........jokes apart safar acchaa rahaa........maine apane aapko juda mahsoos kiya tha shuru se hee.........<br />shubhkamnae.....aglee shrunkhalaa ke liye..........Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-52132247739343668452010-07-17T12:54:39.887+05:302010-07-17T12:54:39.887+05:30आपकी पोस्ट आज चर्चा मंच पर भी है...
http://charc...आपकी पोस्ट आज चर्चा मंच पर भी है...<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/2010/07/217_17.htmlसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-77567471133859049832010-07-17T11:19:34.824+05:302010-07-17T11:19:34.824+05:30अरे वाह, त्यागपत्र के बहाने आपने उसके पाठकों का भी...अरे वाह, त्यागपत्र के बहाने आपने उसके पाठकों का भी खाता बना डाला।<br />--------<br /><a href="http://ts.samwaad.com/" rel="nofollow">व्यायाम और सेक्स का आपसी सम्बंध?</a><br /><a href="http://sb.samwaad.com/" rel="nofollow">अब प्रिंटर मानव अंगों का भी निर्माण करेगा।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63562124956370129862010-07-17T08:59:41.393+05:302010-07-17T08:59:41.393+05:30बहुत बहुत बधाई.मनोज सर और करण जी को मेरी ओर से धन्...बहुत बहुत बधाई.मनोज सर और करण जी को मेरी ओर से धन्यवाद.आरंभ में यह कथा अच्छी लगी. मैने हर अंक पढा. कुछ अंक छूट गये . वह मै नही पढ पाया. अब समय है , पढूंगा.<br /><br />पुन बहुत बहुत बधाई .ज़मीरhttps://www.blogger.com/profile/03363292131305831723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49663401298073890702010-07-17T06:22:11.869+05:302010-07-17T06:22:11.869+05:30हमारे बीच कितनी ही राम दुलारियां हैं जो ऐसा जीवन व...हमारे बीच कितनी ही राम दुलारियां हैं जो ऐसा जीवन व्यतीत कर रही हैं!<br />मनोज जी और करण जी आप दोनों को बधाई |जुगल किशोरhttps://www.blogger.com/profile/13301162594819383710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-45977420348949191172010-07-17T05:53:48.040+05:302010-07-17T05:53:48.040+05:30रामदुलारी का पात्र ...एक बार पुनः पूरा उपन्यास इत्...रामदुलारी का पात्र ...एक बार पुनः पूरा उपन्यास इत्मिनान से पढ़ने का मन हो आया है...लौटते हैं फिर से. बधाई आपको और करण जी को.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-38535467391536525442010-07-16T22:41:14.008+05:302010-07-16T22:41:14.008+05:30बहुत बहुत धन्यवाद और आभार.
मैंने भी व्यस्तता के क...बहुत बहुत धन्यवाद और आभार.<br /><br />मैंने भी व्यस्तता के कारण पिछ्ले कुछ अन्क नही पढे हैं. आशा है अब पूरा कर लूंगा.<br /><br />चाहुंगा की आप ऐसी ही कथा आगे भी प्रस्तुत करते रहें . बहुत बहुत शुभकामनायें.शमीमhttps://www.blogger.com/profile/17758927124434136941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71320628536376925302010-07-16T22:17:28.310+05:302010-07-16T22:17:28.310+05:30सबसे पहले क्षमा प्रार्थी हूँ...इस नायब उपन्यास की ...सबसे पहले क्षमा प्रार्थी हूँ...इस नायब उपन्यास की नियमित पाठिका ना होने के लिए...क्यों कि बहुत सारी कड़ियाँ निकल चुकी थीं इसी लिए शायद नियमित पढ़ना नहीं हो पाया....अंतिम कड़ी में आपने उपन्यास का सारांश समेटा है...पढ़ कर अच्छा लगा...<br />आपने अंत पाठकों के हाथ सौंपा है...क्या त्यागपत्र देना चाहिए?<br />आज के सन्दर्भ में भी यदि देखें तो आज भी कम से कम भारत में नारी की स्थिति दोयम दर्जे की ही है...चाहे वो कितना ही पढ़ लिख गयी हो ..या बहुत उच्च पद पर आसीन हो...विवाहित नारी पहले घर की जिम्मेदारियों पर ध्यान देती है...यदि विवाह नहीं किया है तो बात अलग रूप में सोची जा सकती थी...लेकिन नारी अपने आस्तित्व को रखते हुए भी काम कर सकती है...लेकिन यह बात दूसरा नहीं समझ पाता..इसी लिए ऐसी समस्या आ जाती है..हांलांकि अब कुछ बदलाव हुआ है पर वो नहीं के बराबर...इस कथानक में लगता है कि बांके के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं है...घर गृहस्थी में सहिष्णुता ज़रूरी है..लेकिन यदि यह हमेशा एक तरफ़ा है तो इस कथानक का अंत अलगाव ही हो सकता है...फिर भी रामदुलारी हरसंभव यही प्रयास करेगी कि घर उसका बचा रहे....आज भी समाज में तलाक या अविवाहित स्त्रियों को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता.....अपने अस्तित्व की लड़ाई में बहुत कुछ खोना भी पड़ता है...पाठकों को बहुत कठिन निर्णय की स्थिति में छोड़ दिया है ...बहुत अच्छा कथानक रहा..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com