tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post2825605281643993614..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: भारतीय काव्यशास्त्र – 105मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-4157465268086396532012-03-26T11:48:59.766+05:302012-03-26T11:48:59.766+05:30---काव्य में प्रचलित दोषों का सुन्दर वर्णन....
--...---काव्य में प्रचलित दोषों का सुन्दर वर्णन....<br /><br />---कालजयी शाश्वत व शास्त्रीय साहित्य के लिये रचना में इन सारे दोषों का निराकरण आवश्यक है....परंतु सामान्य जन के लिये व्यवहारिक साहित्य में ये दोष खूब स्वीकार्य हैं महान से महान प्रसिद्ध रचनाकारों के काव्य में भी..... साथ ही साथ यह भी सच है कि यदि सामान्य जन को भी ग्यान के स्तर पर ऊंचा उठाना है तो काव्य के मानक तो रखने ही पडेंगे। shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-83105493042432997642012-03-26T11:07:26.727+05:302012-03-26T11:07:26.727+05:30बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-30379932757342516882012-03-26T07:48:12.373+05:302012-03-26T07:48:12.373+05:30किसी भी साहित्य का परिमार्जन उसकी विधाओं के अनुरू...किसी भी साहित्य का परिमार्जन उसकी विधाओं के अनुरूप प्रयोग धर्म व संश्लेषित कत्थ्य के अनुरूप आचरण निहितार्थ होता है , यद्यपि की रचना की शाश्त्रियता व भाव व्यक्ति विशेष का होता है ,फिर भी अनुबंधों का होना जरुरी ही नहीं स्वीकार्य भी है ..... श्रेष्ठ रसायन व समीकरण अपेक्षानुरूप साधुवाद जी /udaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-34503452287834169202012-03-25T19:46:56.378+05:302012-03-25T19:46:56.378+05:30सरल शब्दों में सटीक उदाहरण द्वारा आपने अंतर को स्प...सरल शब्दों में सटीक उदाहरण द्वारा आपने अंतर को स्पष्ट किया है। बड़ा ही रोचक अंक रहा।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-91911914389291839542012-03-25T19:32:07.716+05:302012-03-25T19:32:07.716+05:30ज्ञानवर्धन के लिये बहुत शुक्रिया. हर बार की तरह सु...ज्ञानवर्धन के लिये बहुत शुक्रिया. हर बार की तरह सुंदर जानकारी.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75053413014313013822012-03-25T17:29:11.574+05:302012-03-25T17:29:11.574+05:30ज्ञानवर्धक आभार.ज्ञानवर्धक आभार.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-18601058742515152812012-03-25T09:18:22.930+05:302012-03-25T09:18:22.930+05:30जी आभार ||जी आभार ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com