tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post2955121990844464285..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: भारतीय काव्यशास्त्र-50 :: भुक्तिवाद और अभिव्यक्तिवादमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-79362140758632359632018-07-02T12:55:16.517+05:302018-07-02T12:55:16.517+05:30मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से आचार्य शंकुक का अनुमितिव...मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से आचार्य शंकुक का अनुमितिवाद सर्वाधिक तर्कसंगत मालूम पड़ता है। <br />लेख के लिए धन्यवाद।Bharat sharmahttps://www.blogger.com/profile/03111292895070704553noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64544213039815778352016-04-02T13:14:42.009+05:302016-04-02T13:14:42.009+05:30Please click on KAVYA SHASTRA below blogger the la...Please click on KAVYA SHASTRA below blogger the last item and you will get all episodes there, including previous, i.e. 49. Thanks. आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-28334528034251370542016-04-02T00:55:04.472+05:302016-04-02T00:55:04.472+05:30पिछले अंक हम कैसे देखें।पिछले अंक हम कैसे देखें।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04642292608819025440noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-13144861960738269382010-12-28T18:33:00.436+05:302010-12-28T18:33:00.436+05:30डॉ.तिवारी, उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।डॉ.तिवारी, उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6830181721404522282010-12-28T14:19:02.942+05:302010-12-28T14:19:02.942+05:30नमस्कार !
हमेशा की तरह उपयोगी काव्य श्रृंखला.. सभी...नमस्कार !<br />हमेशा की तरह उपयोगी काव्य श्रृंखला.. सभी के लिय उपयोगी ..यदि कोई सभी अंकों का केवल अध्ययनभर कर ले तो.. मर्मज्ञ भले न बन पाए ...रसज्ञ अवश्य बन जाएगा ,. इतनी स्पष्टता और सम्प्रेषण शक्ति है इनमे.....आभार ..गूढ़ ज्ञान बांटने के लिए.. ..नववर्ष की अग्रिम शुभ कामनाएं...Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-58964354944244975712010-12-26T19:56:43.541+05:302010-12-26T19:56:43.541+05:30वर्ग-कक्षाओं जैसा अनुभव. बहुत सुन्दर. मेरे स्मरण स...वर्ग-कक्षाओं जैसा अनुभव. बहुत सुन्दर. मेरे स्मरण से इस स्तम्भ का आरम्भ ही रस-निष्पत्ति से हुआ था. पिछले कुछ अंकों से भी यह यथाक्रम चलता आ रहा है.... विषय दिनानुदीन रोचक होता जा रहा है. आचार्यवर धन्यवाद.करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63325843097833390342010-12-26T17:44:29.896+05:302010-12-26T17:44:29.896+05:30प्रेम सरोवर जी,
उत्पत्तिवाद, अनुमितिवाद, भुक्तिवाद...प्रेम सरोवर जी,<br />उत्पत्तिवाद, अनुमितिवाद, भुक्तिवाद और अभिव्यक्तिवाद रस-निष्पत्ति की ही व्याख्या करते हैं। लगता है कि मैं आपकी बात समझ नहीं पा रहा हूँ। वैसे इसके विभिन्न पहलुओं पर अगले दो अंकों में चर्चा होनी है, यथा- कुछ अन्य आचार्यों के रस- निष्पत्ति सम्बन्धी चर्चा, रस का अलौकिकत्व, रसों का सोदाहरण विवेचन आदि। आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61429553676188610762010-12-26T16:46:00.651+05:302010-12-26T16:46:00.651+05:30सभी काव्य इन्ही आधारों पर रचित होते हैं.. काव्य को...सभी काव्य इन्ही आधारों पर रचित होते हैं.. काव्य को समझने के लिए इनका ज्ञान होना आवश्यक है.. अच्छी श्रंखला चल रही है.. सार्थक प्रस्तुति..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-58207934690735561072010-12-26T12:16:11.312+05:302010-12-26T12:16:11.312+05:30काव्यशास्त्र पर सार्गर्भितजानकारी देने के लिये आभा...काव्यशास्त्र पर सार्गर्भितजानकारी देने के लिये आभार..शमीमhttps://www.blogger.com/profile/17758927124434136941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-48737789594963789992010-12-26T10:40:46.786+05:302010-12-26T10:40:46.786+05:30आचार्य जी के लेखों को पढ़कर,मुझे व्यक्तिगत तौर पर अ...आचार्य जी के लेखों को पढ़कर,मुझे व्यक्तिगत तौर पर अपनी कमी का एह्सास होता है कि एक अद्भुत ज्ञान से अनजान रह गया मैं.सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-19181808870040396482010-12-26T09:30:36.756+05:302010-12-26T09:30:36.756+05:30आचार्य भट्टनायक और आचार्य अभिनवगुप्त के के वादों ...आचार्य भट्टनायक और आचार्य अभिनवगुप्त के के वादों पर सुंदर व्याख्या.....<br /><a href="http://srijanshikhar.blogspot.com/2010/12/blog-post_26.html" rel="nofollow">फर्स्ट टेक ऑफ ओवर सुनामी : एक सच्चे हीरो की कहानी</a>उपेन्द्र नाथhttps://www.blogger.com/profile/07603216151835286501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-68783455325592223262010-12-26T09:10:32.800+05:302010-12-26T09:10:32.800+05:30परशुराम जी.
नमस्कार,
मेरे कहने का तात्पर्य है कि य...परशुराम जी.<br />नमस्कार,<br />मेरे कहने का तात्पर्य है कि यदि रस निष्पत्ति की संक्षिप्त चर्चा यहाँ हुई होती तो अच्छा होता। य़ह केवल सुझावमात्र है। इसे अन्यथा न लें। <br />सादर।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-67162148262629623232010-12-26T08:28:52.604+05:302010-12-26T08:28:52.604+05:30प्रेम सरोवर जी, रस-निष्पत्ति के विभिन्न आयामों की ...प्रेम सरोवर जी, रस-निष्पत्ति के विभिन्न आयामों की चर्चा पिछले अंकों में की गई है, यथा- स्थायिभाव, विभाव, अनुभाव, व्यभिचारी भाव आदि। कृपया उन्हें देखें।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8752193464599703482010-12-26T07:36:21.107+05:302010-12-26T07:36:21.107+05:30भारतीय काव्यशास्त्र में रस निष्पति की व्याख्या करत...भारतीय काव्यशास्त्र में रस निष्पति की व्याख्या करते हुए भट्टनायक ने भुक्तिवाद के रूप में अपनी व्याख्या प्रस्तुत की थी ....और आगे चलकर यही व्याख्या साधारणीकरण और सह्रदय की अवधारणा का आधार बनती है ....बहुत - बहुत आभार इस व्याख्या के लिएकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-76997531250539948942010-12-26T05:36:08.091+05:302010-12-26T05:36:08.091+05:30यहाँ भुक्तिवाद और अभिव्यक्तिवाद के साथ-साथ रस निष्...यहाँ भुक्तिवाद और अभिव्यक्तिवाद के साथ-साथ रस निष्पत्ति के विविध आयामों की थोड़ी सी चर्चा हुई होती तो यह पोस्ट पाठकों के लिए अत्यधिक बोधगम्य हो जाता। फिर भी यह पोस्ट अपनी समग्रता में सार्थक सिद्ध हुआ है। धन्यवाद।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.com