tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post3070094253878358117..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: भारतीय काव्यशास्त्र – 111मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-81952853762177289732012-05-08T20:30:29.942+05:302012-05-08T20:30:29.942+05:30प्रतुलजी,
सादर नमस्कार,
आपके प्रति मेरे मन में न उ...प्रतुलजी,<br />सादर नमस्कार,<br />आपके प्रति मेरे मन में न उस समय कुछ था और न आज है। जो कुछ निर्णय लिया गया था, वह आपकी ओर से था। यह आपकी महानता है कि अपने अन्दर पल रहे अपराध बोध को आपने झटककर फेंक दिया। आपका बहुत-बहुत आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72996463298717343172012-05-07T15:29:16.043+05:302012-05-07T15:29:16.043+05:30वशिष्ठ जी,
आपको भी सादर प्रणाम।
कुछ लोग हैं जो गुट...वशिष्ठ जी,<br />आपको भी सादर प्रणाम।<br />कुछ लोग हैं जो गुट आदि से ऊपर हैं।<br />आप भी!<br />आचार्य जी को जो कहना होगा, सो वो जाने, आपकी इस टिप्पणी के प्रति अपना आभार और उद्गार प्रकट करने से मैं भी खुद को रोक न पाया।<br />(बंधु थोड़ी सरल भाषा में लिखते तो आसानी से समझ में बात आती, इतना कठिन था कि कई बार पढ़ना पड़ा।)<br />सादर,<br />मनोजमनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-90241982223514382862012-05-07T15:12:07.922+05:302012-05-07T15:12:07.922+05:30श्रुतिकटुत्व आदि दोष शृंगार आदि रसों के वर्णन में ...श्रुतिकटुत्व आदि दोष शृंगार आदि रसों के वर्णन में तो दोष हैं। लेकिन वीर, रौद्र आदि रसों में गुण हो जाते हैं।<br /><br />@ ये शास्त्रीय दृष्टि से सही है. लेकिन व्यावहारिक दृष्टि से भी इसे सही माना जाना चाहिए. <br /><br />मेरे जैसे कई और ब्लोगर बड़ों की फटकार को अनुचित ले लेते हैं और क्रोध के कारण हानिकर संकल्प ले लेते हैं. उनसे गुरुजनों का तो कुछ नहीं बिगड़ता, जिज्ञासु छात्रों (लघुओं) का ही अहित होता है. <br /><br />जैसे 'कड़वे वचन' गुरु-शिष्य आदि प्रेय भावों में तो दोष हैं किन्तु प्रतिस्पर्धा और अहंपुष्टि के जुगुप्सापूर्ण संवादों में गुण ही होने चाहिए.<br /><br />यदि दो प्रेमियों, दो मित्रों, दो विमर्शकों के मध्य अनायास कोई वितंडा खड़ा हो जाता है और अपशब्दों वाला वाकयुद्ध शुरू हो जाता है तब दोनों ओर की मति लौट आने पर उसे परिस्थितिजन्य घटना मान विस्मृत कर देना चाहिए.<br /><br />आज ब्लॉग जगत में चारों ओर गुटबाजी और कलह का वातावरण देखने को मिल रहा है... ये कितने उपयुक्त हैं? ये कहाँ पर दोष और कहाँ पर गुण समझे जाएँ? -- इसे शांत मन से समझना होगा. <br /><br />किसी के द्वारा अपशब्दों के प्रयोग में श्रुतिकतुत्व आदि दोष की गुण रूप में पहचान सिद्ध करनी होगी.<br /><br />आचार्य जी, आपके इस काव्यशास्त्रीय प्रवचन को नज़रअंदाज़ नहीं कर सका. सादर प्रणाम.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-81953033602665370902012-05-07T09:39:23.460+05:302012-05-07T09:39:23.460+05:30bookmark...bookmark...Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63919289887786383942012-05-07T08:13:54.889+05:302012-05-07T08:13:54.889+05:30इस अंक में बहुत सी काम की बातें सीखने को मिलीं।इस अंक में बहुत सी काम की बातें सीखने को मिलीं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-41981868302649575672012-05-06T23:07:42.198+05:302012-05-06T23:07:42.198+05:30बहुत ही अदभुत सर । मैं आज पहली बार ही पहुंचा हूं ल...बहुत ही अदभुत सर । मैं आज पहली बार ही पहुंचा हूं लेकिन मुझे लगता है कि इस पन्ने को हिंदी ब्लॉगर एवं हिंदी अंतर्जाल के लिए अनिवार्य बुकर्माक कर लेना चाहिए , मैं कर रहा हूं । बहुत बहुत आभारअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-35151172380801437422012-05-06T20:33:42.539+05:302012-05-06T20:33:42.539+05:30नित्य दोष और अनित्य दोष स्पष्ट भेद को सुन्दर से बत...नित्य दोष और अनित्य दोष स्पष्ट भेद को सुन्दर से बताया है ..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-17335746872872219672012-05-06T20:03:46.943+05:302012-05-06T20:03:46.943+05:30अच्छी ज्ञान की पोस्ट.अच्छी ज्ञान की पोस्ट.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-32748293784265536942012-05-06T16:48:29.711+05:302012-05-06T16:48:29.711+05:30आचार्य जी,
विस्तार से व्याख्या की है आपने.. छोटे-छ...आचार्य जी,<br />विस्तार से व्याख्या की है आपने.. छोटे-छोटे प्रयोग द्वारा शब्द कैसे अपनी गरिमा प्राप्त करते हैं और दोष की श्रेणी में आते हैं यह आपके आलेख से स्पष्ट हो जाता है.. बहुत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-11407425017359729712012-05-06T15:53:12.345+05:302012-05-06T15:53:12.345+05:30adbhut gyanwardhan ke liye sadhuwad swikarkaren.
a...adbhut gyanwardhan ke liye sadhuwad swikarkaren.<br />aasha hai yah kishton men milata rahega sangrahaniy.Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.com