tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post3176171397025164454..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: संबंध-विच्छेदमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger57125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53347111573484988782010-08-04T11:48:26.816+05:302010-08-04T11:48:26.816+05:30bahut gahra... great poetic illustration of Human ...bahut gahra... great poetic illustration of Human relationship...रंजीत/ Ranjithttps://www.blogger.com/profile/03530615413132609546noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-34086867599111860562010-08-03T18:55:31.821+05:302010-08-03T18:55:31.821+05:30लगता है जैसे मेरे मनोभावों को ही आपने शब्द दिए हैं...लगता है जैसे मेरे मनोभावों को ही आपने शब्द दिए हैं...<br />एकदम सटीक विश्लेषण किया है आपने...और कविता...<br />बहुत बहुत सुन्दर...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-31270982135534345722010-08-03T11:38:08.838+05:302010-08-03T11:38:08.838+05:30बहुत सही और सुंदर प्रस्तुति |
आशाबहुत सही और सुंदर प्रस्तुति |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21844674731901828112010-08-03T01:09:18.166+05:302010-08-03T01:09:18.166+05:30kavita aur kavita ka vivran dono hi sundar hai...
...kavita aur kavita ka vivran dono hi sundar hai...<br /><br />ada ji...jab kavita kisi vishaye ki gahraaye me utarti hai to aise hi vartmaan aur bhavishaya ke sach nikhar ke saamne aate hai...<br /><br />kavita padne ke baad bhi agar hum ye samjh paye ki ye duri kab hamare bich paida hone lagi..kab aham hamare andar ghar kar gaya to hi kisi kavi ka parisharm aur manoj ji ka prayash safal hoga...<br /><br />Manoj ji badhaye..bahut bahut badhayee...<br /><br />anand<br />kavyalok.com<br /><br />Please visit, register, give your post and comments.Anandhttps://www.blogger.com/profile/04902041268384156595noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54975986090105542312010-08-03T00:26:29.523+05:302010-08-03T00:26:29.523+05:30मनोज जी,
आपने एक समाजशास्त्र के विषय को साहित्य के...मनोज जी,<br />आपने एक समाजशास्त्र के विषय को साहित्य के माध्यम से व्यक्त करने की चेष्टा की है और पूरी तरह सफल रहे हैं. हर पहलू को छुआ है आपने.. यह विषय मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत उद्वेलित करता है... कारण मेरे दो सबसे करीबी दोस्त पिछले दस वर्षों से इस पीड़ा को भोग रहे हैं..और मैं हूँ उसका मूक गवाह...इसलिए उनकी पीड़ा मेरी पीड़ा बन चुकी है... क्षमा चाहूँगा इसपर कुछ भी कहना मुझे विचलित करता है..<br />सलिलसम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-65453446694160264082010-08-03T00:11:32.690+05:302010-08-03T00:11:32.690+05:30रिश्तों पर और सम्बन्ध विच्छेद पर अच्छा वृतांत.
बहु...रिश्तों पर और सम्बन्ध विच्छेद पर अच्छा वृतांत.<br />बहुत सी जिंदगियो को छू कर निकलता ये लेख, लोगो को इस से सीख लेनी चाहिए.<br /><br />सुंदर लेखअनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-35455300690888670982010-08-02T22:59:44.157+05:302010-08-02T22:59:44.157+05:30बहुत सार्थक और सुंदर आलेख.
रामरामबहुत सार्थक और सुंदर आलेख.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-37683411245947006452010-08-02T22:43:42.304+05:302010-08-02T22:43:42.304+05:30आप सब का एक बार पुनः आभार।
अब थोड़ी अपनी बात। निकट...आप सब का एक बार पुनः आभार। <br />अब थोड़ी अपनी बात। निकट के रिश्ते के एक व्यक्ति की पत्नी ससुराल छोड़कर संबंध-विच्छेद की धमकी देकर चली गई। पति भी न तो उसे मनाने गया न वापस लाने। इस घटना ने मुझे उकसाया कि लोग कैसे कर लेते हैं संबंध-विच्छेद और कैसे रह लेते हैं उसके बाद। उसको जी कर, महसूस कर देखूं। कारणों को समझूं। सिर्फ़ दो दिन ही भावनाओं की उस पृष्ठभूमि पर जिया, न जाने कितनी मौत मरा, उन पलों में। <br />उसी जीते-मरते पलॊं में इस कविता का सृजन हो गया।<br />हां कविता थोड़ी लंबी हो गई। मेरे आलोचक मित्रों की नज़र में कसाव का अभाव है। ऐसा तो होना ही था। जैसे संबंध विच्छेद के पहले एक लंबा दौर होता है, टकराव का, बनते बिगड़ते माहौल का, तो उन पलों को जी कर लिखी गई कविता तो लंबी होनी ही थी। और अगर भावनाओं का कसाव होता तो संबंधों का बिखराव शायद न होता। इसलिए कविता को चाह कर भी कस न पाया।<br />करण जी ने सही कहा है कि यह उच्छवास की कविता है। उच्छवास लंबी होती है। कविता भी है।<br />इस आशा के साथ कि एक भी घर न टूटे, आपका एक बार फिर शुक्रिया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-23322046129691424052010-08-02T22:28:20.178+05:302010-08-02T22:28:20.178+05:30@ Mithilesh dubey जी
प्रोत्साहन के लिए आभार।@ Mithilesh dubey जी<br />प्रोत्साहन के लिए आभार।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-12014976857093643202010-08-02T22:27:18.947+05:302010-08-02T22:27:18.947+05:30@ Parashuram Rai जी
आप हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे है...@ Parashuram Rai जी<br />आप हमेशा प्रेरणा स्रोत रहे हैं। आपकी आज्ञा के बगैर इस कविता को पोस्ट कर दिया।<br />आपकी टिप्पणी से लगता है कि आपने इस पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगा दी है। इस कविता को रचते वक़्त जिस भाव भूमि पर था, उसे और झेला नहीं जा रहा था। पता नहीं लोग विच्छेद कैसे झेल लेते हैं।<br />आंकड़ों वाली आपकी बात से सहमत हूं। मेरा तो मानना है कि एक भी घर क्यों टूटे!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-15988639375095049292010-08-02T22:22:01.422+05:302010-08-02T22:22:01.422+05:30@ अजय कुमार झा
मैं आपसे सहमत हूं कि इस विषय से ग्...@ अजय कुमार झा <br />मैं आपसे सहमत हूं कि इस विषय से ग्रामीण क्षेत्र अभी अछुता है। आपका आभार!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-79510000031748514942010-08-02T22:18:43.791+05:302010-08-02T22:18:43.791+05:30@ प्रवीण पाण्डेय जी
आपके शब्द हमेशा ही प्रेरक होते...@ प्रवीण पाण्डेय जी<br />आपके शब्द हमेशा ही प्रेरक होते हैं, इस बार भी+<br />आभार।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-80895344691521378222010-08-02T22:16:41.377+05:302010-08-02T22:16:41.377+05:30@ JHAROKHA जी
ऐसे मुद्दों पर आपकी इस बेबार राय ने ...@ JHAROKHA जी<br />ऐसे मुद्दों पर आपकी इस बेबार राय ने हमारा मनोबल बढाया है। आपका आभार।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-36084392773432839492010-08-02T22:15:01.224+05:302010-08-02T22:15:01.224+05:30@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी
शुक्रिया आपके विचार प्रकट ...@ ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ जी<br />शुक्रिया आपके विचार प्रकट करने का और हौसला आफ़ज़ाई का।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-219420041379843922010-08-02T22:13:28.838+05:302010-08-02T22:13:28.838+05:30@ हास्यफुहार जी
आपसे सहमत। और यह सही है कि इससे स...@ हास्यफुहार जी<br />आपसे सहमत। और यह सही है कि इससे समस्या का समाधान नहीं हो सकता।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-29604861536709094242010-08-02T22:11:42.325+05:302010-08-02T22:11:42.325+05:30@ महफूज़ अली जी
आपकी बातों ने दिल छू लिया।@ महफूज़ अली जी<br />आपकी बातों ने दिल छू लिया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-43213158065986767602010-08-02T21:39:36.986+05:302010-08-02T21:39:36.986+05:30bahut hee sarthal lekh laga, abharbahut hee sarthal lekh laga, abharMithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-19894940201225007032010-08-02T20:42:28.218+05:302010-08-02T20:42:28.218+05:30Manoj Kumar ji ne sambandh-vichchhed ke maulik kar...Manoj Kumar ji ne sambandh-vichchhed ke maulik karakon ki or bahut hi suvicharit dhang se kavita men chitrit kiya hai. Ankadon par matbhed yahan prasangik nahin hai. Prasangik hai samasyaon ka samadhan jise kavi ne vichar kiya hai. Yadi lega terms me sambadh-vichchhed se hat kar sochen to sambandhon me dooriyon ke karan ve hi hain jinhe kavi ne kavita me dikhaya hai.आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-47579969605653749542010-08-02T19:54:14.640+05:302010-08-02T19:54:14.640+05:30सामयिक विषय पर एक सार्थक पोस्ट ........टिप्पणियों ...<b> सामयिक विषय पर एक सार्थक पोस्ट ........टिप्पणियों ने इस पोस्ट की सार्थकता को और भी सिद्ध कर दिया है.....जब इस विषय पर मैंने एक आलेख लिखा तो मुझे जिस एक तथ्य ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया था वो ये कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में विवाह विच्छेद की दर , और चलन में गजब का अंतर था ....ग्रामीण क्षेत्रो में तलाक अब भी ..दूर की कौडी है ...वर्ष के उत्कृष्ट पोस्टों की सूची में इसे सहेज रहा हूं । शुक्रिया </b>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72460835044954487702010-08-02T19:44:10.926+05:302010-08-02T19:44:10.926+05:30बड़ी ही गहन विवेचना और कविता से उतना ही सरल चित्रण...बड़ी ही गहन विवेचना और कविता से उतना ही सरल चित्रण।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8616014516008750582010-08-02T18:36:36.253+05:302010-08-02T18:36:36.253+05:30पवित्रता वह संपत्ति है जो प्रेम के बाहुल्य से पैद...पवित्रता वह संपत्ति है जो प्रेम के बाहुल्य से पैदा होती है। इसे बेहतर बनाए रखने के लिए आपसी विश्वास, समझदारी, सामंजस्य, प्रेम और देखभाल निहायत ज़रूरी है। अहं, आलोचना, तुलना, शक, ना झुकना या समझौता न करने की ज़िद इस रिश्ते रूपी वृक्ष को दीमक की तरह बरबाद करता <br />aapki yah baat shat -ptishat sahi hai.main bhi aapke in vicharo ke anukuul hi apne aapko paati hun.bahut hi samyik lekh ek yatharth se parichay karata hua.<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-18055887544301843972010-08-02T18:35:21.504+05:302010-08-02T18:35:21.504+05:30सम्बंध विच्छेद की त्रासदी को आपने सलीके से बयान कि...<b><br />सम्बंध विच्छेद की त्रासदी को आपने सलीके से बयान किया है।<br /></b><br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">मुझे चेल्सी की शादी में गिरिजेश भाई के न पहुँच पाने का दु:ख है।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-31366045683538736762010-08-02T17:45:27.571+05:302010-08-02T17:45:27.571+05:30ओह यह कहना तो भूल ही गई, बहुत ही संवेदनशील कविता!ओह यह कहना तो भूल ही गई, बहुत ही संवेदनशील कविता!हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-60292529983560083562010-08-02T17:44:55.044+05:302010-08-02T17:44:55.044+05:30मेरा यह मानना है कि हारे हुए लोगों की तरह दोष हो न...मेरा यह मानना है कि हारे हुए लोगों की तरह दोष हो न हो, अपने किए, पर पश्चाताप करना और बिगड़ी हुई स्थितियों को संभालने की कोशिश करना स्त्रियों का नैसार्गिक गुण होता है। वे समझौते और समर्पण की हद तक जाती है। कई बार खुद को ठगा सा भी पाती है।<br />पर अहं और आपसी विश्वास में कमी के कारण टकराव पैदा होता है और परिवार बिखरने की स्थिति में आ जाता है, यहां तक कि तलाक तक की नौबत तक आ जाती है! परन्तु क्या तलाक बिगड़ते हुए रिश्तों को सुलझाने की सही दवा है? <br />नहीं!हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-67562944458565421052010-08-02T16:46:23.212+05:302010-08-02T16:46:23.212+05:30आपकी लेखनी को सलाम...आपकी लेखनी को सलाम...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.com