tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post3827730431438613262..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: फ़ुरसत में… साहब आप भी न........!मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64164172256047478392010-09-01T16:21:37.387+05:302010-09-01T16:21:37.387+05:30हम पैसा, ऐश्वर्य, वैभव की भाग-दौड़ से भरी बेचैन ज...हम पैसा, ऐश्वर्य, वैभव की भाग-दौड़ से भरी बेचैन ज़िन्दगी से थोड़ा सा वक्त इन सैर सपाटा के लिए निकालते हैं, और ये अपनी भागती-दौड़ती जिंदगी से फुटपाथ पर थोड़ा चैन आराम के पल निकाल कर मस्त हैं। <br /><br />सौ बात की एक बात कह दी आपने....<br /><br />हावड़ा ब्रिज पर चढ़ने से पहले उस भीड़ भरे तंग रस्ते के किनारे बेफिक्री से सोये लोग नीद और श्रम का अर्थ मुझे भी कई बार समझा चुके हैं ....रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-45234740513621732962010-08-30T19:22:05.726+05:302010-08-30T19:22:05.726+05:30lekhan me ek naveen darshan chhupa hai ! dhanyawaa...lekhan me ek naveen darshan chhupa hai ! dhanyawaad !! vartaalap jaisa shilp drut prabhaav chhodta hai !! dhanyawaad !!!<br /><br />*kuchh takniki kathinaaee ke kaaran roman me likhna pad raha hai !करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-16210126215032265202010-08-30T16:22:46.801+05:302010-08-30T16:22:46.801+05:30पत्थर पर भी जिनको नींद आ जाती है .. वो जीवन के महत...पत्थर पर भी जिनको नींद आ जाती है .. वो जीवन के महत्व को जानते हैं ... ये परिचय परिश्र्म का है ... बेफिक्री हा है ... कोलकाता का जीवन चरित्र जुदा है सब जगहों से ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-88561608601243841682010-08-29T12:07:25.033+05:302010-08-29T12:07:25.033+05:30Such scenes are very common in metropolitan and in...Such scenes are very common in metropolitan and in other cities. In the winter season, many sleep on the pavements not to wake up ever. Many are crushed by reckless drunken drivers. The question is why is it so? Six decades of democracy, welfare measures, and to be specific, more than three decades of Communist rule in West Bengal, why are people without shelter? You are welcome to put the plight of the people on blogger, but I think you must also reflect on the factors which makes destitution so commonplace and what we can do on our part for improving things.Niraj Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/04394878135426982858noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-17672561901427746672010-08-29T10:32:57.173+05:302010-08-29T10:32:57.173+05:30जो किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हैं,बस,अपनी मेहनत को...जो किसी प्रतिस्पर्धा में नहीं हैं,बस,अपनी मेहनत को ही भगवान का प्रसाद मानते हैं,वे ही छककर सो सकते हैं।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-13126572369839757782010-08-29T07:32:41.713+05:302010-08-29T07:32:41.713+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।
हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयत...बहुत अच्छी प्रस्तुति। <br /><br /><a rel="nofollow">हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित हैं।</a>राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49357826054530200112010-08-29T00:34:10.670+05:302010-08-29T00:34:10.670+05:30आपकी पोस्ट रविवार २९ -०८ -२०१० को चर्चा मंच पर है...आपकी पोस्ट रविवार २९ -०८ -२०१० को चर्चा मंच पर है ....वहाँ आपका स्वागत है ..<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/<br />.संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-5594399483992251032010-08-28T23:46:18.517+05:302010-08-28T23:46:18.517+05:30@ सलिल जी
बड़े भाई को अनुमति की आवश्यकता नहीं है, ...@ सलिल जी<br />बड़े भाई को अनुमति की आवश्यकता नहीं है, अधिकार है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-79452508383115517202010-08-28T23:42:28.474+05:302010-08-28T23:42:28.474+05:30देरी की माफी के बाद टिप्पणीः
मनोज जी, कलकत्ता ऊप्प...देरी की माफी के बाद टिप्पणीः<br />मनोज जी, कलकत्ता ऊप्प्स कोलकाता का नाम आते ही मेरे दिल में कुछ कुछ होने लगता है... लेकिन यह शहर ऐसा है जहाँ किसी को पनाह न भी मिले पर मोहब्बत बेपनाह मिलती है.. जहाँ खेल के नाम पर फुटपाथ पर सोने वाले सैकड़ों बेसहारा लोगोंको ट्रेन में भरकर कानपुर भेज दिया गया, वहीं इस शहर से मेरा पहला परिचय भी बड़ा दिल को छूने वाला था.. एक होटेल के बावर्चीख़ाने के बाहर सड़क की तरफ खुलने वाली तंदूर की राख निकलने वाली कंदरा (Ash Pit) में जाड़े की सर्द में आठ लोगों को घुसकर सोते हुए और जाड़े से लड़ते हुए देखा था मैंने, और तभी फैसला किया कि यह शहर बस मेरा है... <br />मुझसे मिला दिया मनोज भाई आपने मुझे. और हाँ शीत ताप नियंत्रित के विलोम के रूप में ऊष्ण ताप आच्छादित शब्द मन में नस गया..कभी प्रयोग करने की अनुमति प्रदान करें!! बहुत सुंदर!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-85938820136125378792010-08-28T21:47:20.585+05:302010-08-28T21:47:20.585+05:30आपकी घुमाई,
क्या क्या ले आई।आपकी घुमाई,<br />क्या क्या ले आई।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-76372340164236232402010-08-28T21:47:17.787+05:302010-08-28T21:47:17.787+05:30कलकत्ता के दिनों की याद दिला दी । मेहनत करने वालों...कलकत्ता के दिनों की याद दिला दी । मेहनत करने वालों को पत्थर पर भी नींद आजाती है आप का रिस्कवॉक पसंद आया ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53452248898952062002010-08-28T21:14:48.867+05:302010-08-28T21:14:48.867+05:30@ राज भाटिय़ा जी
बदल दिया।
आपने अच्छी सलाह दी।@ राज भाटिय़ा जी<br />बदल दिया।<br />आपने अच्छी सलाह दी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49210804229620526822010-08-28T19:06:29.198+05:302010-08-28T19:06:29.198+05:30रिच,सेमी रिच और वैरी रिच लोगो द्वारा आम फुटपाथी जि...रिच,सेमी रिच और वैरी रिच लोगो द्वारा आम फुटपाथी जिंदगी को इतने नज़दीक से देखना और उसका वर्णन करना भी एक सुकून पाने वाली बात है. <br /><br />बहुत से एहसास जो इस दौरान अनुभव किये आपने सुंदर शब्दों से सजाया है और 'जिंदगी का फुटपाथ'शब्द ने कुछ नया सोचने को दे दिया.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-43560488076924870252010-08-28T15:58:59.056+05:302010-08-28T15:58:59.056+05:30As-pas ki ghatanaon ke prati Manoj Kumar ji kaphi ...As-pas ki ghatanaon ke prati Manoj Kumar ji kaphi sajag rahate hain aur unhen jivan darshan ke sath jodane ke achchhe KALAKAR hain.आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-29255277223091372832010-08-28T14:12:37.614+05:302010-08-28T14:12:37.614+05:30Kolkata city ka ye ankhon-dekha haal bahut hi ach...Kolkata city ka ye ankhon-dekha haal bahut hi achha lagaa.वीरेंद्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/17461991763603646384noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-11213521549272689442010-08-28T14:05:40.131+05:302010-08-28T14:05:40.131+05:30सचाई का सुन्दर वर्णन.सचाई का सुन्दर वर्णन.शमीमhttps://www.blogger.com/profile/17758927124434136941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44938289656491821472010-08-28T13:15:40.660+05:302010-08-28T13:15:40.660+05:30जिस दिन इन लोगो के सर पर छत होगी, भर पेट खा सके गे...जिस दिन इन लोगो के सर पर छत होगी, भर पेट खा सके गे उस दिन भारत विकास शील बने गा. बहुत सुंदर ढंग से आप्ने आम आदमी का दर्द व्याण किया, आप ने जो फ़लोवर का इतना बडा बोर्ड अपने ब्लांग पर लगा रखा है कई बात इस से तंग हो कर हमे बिना पढे ओर बिना टिपण्णी किये ही भागना पडता है, जब आप का ब्लांग खुलने मै बहुत समय लेता है, कृप्या इसे बहुत छोटा कर ले तो सब को बहुत आरम मिलेगा, वेसे यह एक राय है, माने या ना माने आप की मर्जी, हम तो फ़िर भी आयेगे, खुला तो पढेगे नही तो भाग जायेगे..:)राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-60638287090977920062010-08-28T10:36:33.424+05:302010-08-28T10:36:33.424+05:30हम टहल-टहल कर पसीना बहाते हैं, ... और ये जो फुटपाथ...हम टहल-टहल कर पसीना बहाते हैं, ... और ये जो फुटपाथ पर सोए हैं, दिन भर पसीना बहाते हैं तब जाकर कहीं जिंदगी की फुटपाथ पर थोड़ा सा टहल पाते हैं। <br /><br />गहरी और अर्थपूर्ण बात ।अजय कुमारhttps://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-33888890403279776812010-08-28T10:36:27.830+05:302010-08-28T10:36:27.830+05:30आज तो फुर्सत में आपने आम आदमी की ज़िंदगी के करीब स...आज तो फुर्सत में आपने आम आदमी की ज़िंदगी के करीब से दर्शन कराये ...हम भी इनमें ही शामिल हैं ..बस फुटपाथ के साथ एक छत और है ..<br /><br />ज़िंदगी का फुटपाथ ...बहुत सुन्दर ...<br /><br />अच्छी अभिव्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-62754672603946904842010-08-28T10:11:57.022+05:302010-08-28T10:11:57.022+05:30बहुत ही सुंदर और सटीक लिखा आपने, हमको भी कलकता में...बहुत ही सुंदर और सटीक लिखा आपने, हमको भी कलकता में गुजारा समय याद आगया. शुभकामनाएं.<br /><br />रामरामताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-329286299717047602010-08-28T08:24:07.092+05:302010-08-28T08:24:07.092+05:30"किसी रोज़ वो करवट लेकर मुझे जगह दे देते हैं,..."किसी रोज़ वो करवट लेकर मुझे जगह दे देते हैं, और जगह देकर उनकी नींद और गहरी और मीठी हो जाती है।" <br /><br />यह है आम आदमी का सच। इन्हें हमारे लिए कष्ट सहने में भी अपनी नींद टूटने पर कष्ट नहीं होता बल्कि तसल्ली होती और नींद अधिक आनन्दपूर्ण हो जाती है। यही फर्क है कि हम किसी चीज को किस दृष्टि से देखते हैं और नजरिया ही हमें सन्तोष देता है। <br /><br />"हम टहल-टहल कर पसीना बहाते हैं, ... और ये जो फुटपाथ पर सोए हैं, दिन भर पसीना बहाते हैं तब जाकर कहीं जिंदगी की फुटपाथ पर थोड़ा सा टहल पाते हैं।"<br /><br />"जिंदगी का फुटपाथ"। वाह! बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं। आम आदमी की जिन्दगी को इतने करीब से देखने के लिए आप बधाई के पात्र हैं।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-68788846214964040132010-08-28T07:41:09.909+05:302010-08-28T07:41:09.909+05:30हम टहल-टहल कर पसीना बहाते हैं, ... और ये जो फुटपाथ...हम टहल-टहल कर पसीना बहाते हैं, ... और ये जो फुटपाथ पर सोए हैं, दिन भर पसीना बहाते हैं तब जाकर कहीं जिंदगी की फुटपाथ पर थोड़ा सा टहल पाते हैं।...<br /><br />लोग मखमली बिछावन पर भी करवटें बदलते हैं ...ये पत्थर पर भी बेफिक्र सोते हैं ...<br />श्रम की यही तो महत्ता है ...!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/10839893825216031973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-35594452782923898802010-08-28T06:43:10.959+05:302010-08-28T06:43:10.959+05:30आज की सच्चाई को दर्शाती एक सुंदर रचना , बधाईआज की सच्चाई को दर्शाती एक सुंदर रचना , बधाईSunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64112656806667290362010-08-28T04:41:35.122+05:302010-08-28T04:41:35.122+05:30मनोज जी!
कोलकता शहर के जीवन-दर्शन को आपने बड़े सुन्...मनोज जी!<br />कोलकता शहर के जीवन-दर्शन को आपने बड़े सुन्दर ढ़ंग से सहेजा है और विचार-मंथन का रास्ता खोला है। <br />सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.com