tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post4310091654299795272..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: भारतीय काव्यशास्त्र – 125मनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-66456530866304884352012-10-08T12:47:23.695+05:302012-10-08T12:47:23.695+05:30
कुछ मन में प्रश्न हैं :
........... क्या अनुप्र...<br />कुछ मन में प्रश्न हैं : <br /><br />........... क्या अनुप्रास का छठा, सातवाँ, आठवाँ भेद करना असंभव है? <br /><br />............ क्या उपमा अलंकार के कुछ अन्य भेद संभव नहीं ?<br /><br />............. वार्ता (गद्य-पद्य) में कुछ अन्य अलंकारों की पहचान करना क्या विद्यार्थियों की उद्दंडता मानी जायेगी?<br /><br />............ niyamon के maanak kahaan nirdhaarit hote हैं? we kis star पर jaakar sthaapit hote हैं?<br />प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-55464569226940206572012-10-08T12:43:45.505+05:302012-10-08T12:43:45.505+05:30आचार्य जी,
चरण वन्दना करता हूँ.
'अलंकारों&#...आचार्य जी, <br /><br />चरण वन्दना करता हूँ.<br /><br />'अलंकारों' पर पाठ हुआ ... मैं अनुपस्थित रहा.....इसका बहुत खेद हो रहा है.<br /><br />आचार्य जी, अलंकार-विषयक चर्चा में क्या मुझे 'काव्य-क्रीड़ा' की छूट देंगे? <br /><br />कारण ये है कि जब-जब मैंने इसकी छूट लेनी चाही है इसे विद्वानों ने अपना और काव्य-शास्त्रियों का अपमान मान लिया. <br /><br />- विद्यार्थी जीवन में पढ़ाने वाले गुरुजनों ने मुझे यह कहकर शांत किया कि 'जो संस्कृत काव्यशास्त्रियों ने रच दिया' वह अंतिम है. उसके आगे की सोच जबरदस्ती की खींचतान होगी. <br /><br />- कुछ प्रोफेसरों और आचार्यों ने अपनी उपेक्षा से नवीन विचारों को उछल-कूद कर स्वतः शांत हो जाने दिया. <br /><br />- संस्कृत सेमीनार में डॉ. रमाकांत शुक्ल और डॉ. चंद्रहास की मूक स्वीकृति तो मिली लेकिन वरदहस्त नहीं मिला. <br /><br />- कुछ गुरुजन कहते रहे कि 'अब रस-छंद-अलंकारों में शोध करने को कुछ बचा नहीं सो इस तरफ ध्यान कम ही दो. 'नई कविता को जानो' और लिखो तो केवल 'विचार-कविता'.<br />प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-77391794455583073232012-10-04T16:16:26.598+05:302012-10-04T16:16:26.598+05:30This is very nice..well explained!
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आभार गुरु जी ||
आभा...श्री चरणों में सादर समर्पित ||<br />आभार गुरु जी ||<br />आभार सर जी ||<br /><br /> मन्त्र मारती मन्थरा, मारे मर्म महीप ।<br />स्वार्थ साधती स्वयं से, समद सलूक समीप । <br /><br />समद सलूक समीप, सताए सिया सयानी ।<br />कैकेई का कोप, काइयाँ कपट कहानी ।<br /><br />कौशल्या *कलिकान, कलेजा कसक **करवरा ।<br />रावण-बध परिणाम, मारती मन्त्र मन्थरा ।।<br />*व्यग्र <br />*आपातकाल रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49665328121078538732012-10-01T08:39:41.302+05:302012-10-01T08:39:41.302+05:30बहुत सुंदर प्रस्तुति !बहुत सुंदर प्रस्तुति !सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-47809280257162384352012-10-01T08:05:06.101+05:302012-10-01T08:05:06.101+05:30सौदाहरण सुन्दर प्रस्तुति अनुप्रासिक वि -भेद की .सौदाहरण सुन्दर प्रस्तुति अनुप्रासिक वि -भेद की .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-57817277763402516532012-09-30T17:13:22.341+05:302012-09-30T17:13:22.341+05:30स्पैम!!स्पैम!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-85517596901058359162012-09-30T17:10:01.451+05:302012-09-30T17:10:01.451+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (01-10-2012) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी होगी!<br />सूचनार्थ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-68712351519674668762012-09-30T17:07:19.509+05:302012-09-30T17:07:19.509+05:30gyanvardhak......gyanvardhak......mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-51541839285325358202012-09-30T14:24:56.736+05:302012-09-30T14:24:56.736+05:30 जिसके समीप प्रियतमा नहीं है, चन्द्रमा उसके लिए दा... जिसके समीप प्रियतमा नहीं है, चन्द्रमा उसके लिए दावानल की तरह हो जाता है और प्रियतमा जिसके पास होती है, दावानल उसके लिए चन्द्रमा की तरह शीतल अर्थात् आनन्ददायक होता है...................सटीक,मनोरंजक और मन में हिलोरें पैदा करने वाले उदाहरणों के साथ अनुप्रास की विस्तृत जानकारी प्राप्त हो रही है.आभार.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49288876424907726212012-09-30T13:33:09.041+05:302012-09-30T13:33:09.041+05:30छेकानुप्रास, वृत्त्यानुप्रास और लाटानुप्रास का सुन...छेकानुप्रास, वृत्त्यानुप्रास और लाटानुप्रास का सुन्दर उदहारण सहित सूक्ष्म व्याख्या .Ramakant Singhhttps://www.blogger.com/profile/06645825622839882435noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-11137792202643377192012-09-30T11:52:29.684+05:302012-09-30T11:52:29.684+05:30यह सब सीखना बहुत अच्छा लग रहा है आचार्य जी!! कुछ ध...यह सब सीखना बहुत अच्छा लग रहा है आचार्य जी!! कुछ धूमिल पड़ गयी स्मृतियाँ अब ताज़ा होती जा रही हैं.. मैं 'लाटानुप्रास' को पता नहीं क्यों 'लोटानुप्रास'कहता था.. सब कुछ नए ढंग से सीखने जैसा लग रहा है.. सोचता हूँ कि आजकल की शिक्षा ने कितना बड़ा नुकसान किया है शिक्षार्थियों का!!<br />आभार आचार्य जी!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-22249307021136471772012-09-30T10:53:06.575+05:302012-09-30T10:53:06.575+05:30Very Nice Blog. Thanks a lot.Very Nice Blog. Thanks a lot.Markand Davehttps://www.blogger.com/profile/17453483015065286737noreply@blogger.com