tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post5839072212540582357..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: आँच-45 (समीक्षा)–पर जन्मगाथा गीत कीमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-82746005771288460562010-11-29T17:17:02.505+05:302010-11-29T17:17:02.505+05:30धन्यवाद आचार्यवर !
मैं मूल समीक्षा में इसी व्याख्...धन्यवाद आचार्यवर ! <br />मैं मूल समीक्षा में इसी व्याख्या की अपेक्षा कर रहा था. बहुत संतुष्टि मिली आपकी प्रति-टिपण्णी से. इसी तरह अनुग्रह बनाए रखेंगे.<br />सादर !!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71859480562412834002010-11-28T16:48:25.780+05:302010-11-28T16:48:25.780+05:30@ करण जी,
आपकी सम्यक एवं उत्साहवर्धक टिप्प्णी के ...@ करण जी,<br /><br />आपकी सम्यक एवं उत्साहवर्धक टिप्प्णी के लिए धन्यवाद।<br /><br />पुनःश्च, प्रश्नगत पंक्तियों के संदर्भ में कहना चाहूँगा गीत के अंतिम बंद में कवि कहता है कि एक ओर गीत के मनोहारी और रमणीक स्वरूप का इतिहास है तो दूसरी ओर ‘आँगन में अधूरे कत्ल का शोणित’ अर्थात गीत का विकृत होता जा रहा स्वरूप (पूरी तरह विकृत नहीं) है और इनके बीच ‘कलश’ रूपी गीत शुचिता के साथ वर्तमान की देहरी पर अपनी प्राण रक्षा हेतु आशान्वित है। गीत विधा पर मची खींचतान की निराशा कवि के स्वर में मुखरित है, यहाँ उसका स्वर आक्रोश मिश्रित भी है। अंतिम पंक्ति ‘कौन? आंखों के दिए में/ आग भर के / प्रेत को फिर से जगाए’ में विपर्यय से अर्थ ग्रहण करते हुए वह प्रकट करता है कि कोई तो गीत के स्वरूप पर छाई काली घटा, धुंध को दूर करने के लिए सामने आए ताकि गीत अपने लालित्य के साथ अपने मूल स्वरूप में पुनः प्रस्तुत हो सके। <br /><br />यहाँ शिल्प पक्ष पर चर्चा नवगीत के प्रति कवि के स्वयं के आग्रहों के कारण नहीं की गई है और इसका संकेत भी समीक्षा में किया गया है। <br /><br />पं0 श्याम नारायण मिश्र का असमय निधन साहित्य जगत की क्षति के साथ-साथ मेरी निजी क्षति भी है।<br /><br />साभार,आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-68892999943780403832010-11-26T18:04:47.428+05:302010-11-26T18:04:47.428+05:30बहुत ही अनुशासित समीक्षा है यह. इस समीक्षा में गीत...बहुत ही अनुशासित समीक्षा है यह. इस समीक्षा में गीत की पूर्वपीठिका पर जो प्रकाश डाला गया है वह अद्वितीय है एवं इस से नए गीतकारों और समीक्षकों की दृष्टि में विकास होगा. गीत के अंतिम बंद के बारे में समीक्षक की व्याख्या भी गीतकार की तरह ही कुछ अस्पष्ट सी है. अस्थियाँ इतिहास की कलश देहरी पर धरा है............. ! यदि नवगीत के शिल्प की चर्चा भी होती तो मुझ जैसे पाठकों का बहुत भला होता. एक बात मैं भी कहना चाहूँगा कि पंडित श्याम नारायण जी का असमय गोलोकगमन हम सब के लिए अपूरणीय क्षति है. अस्तु.... साधु समीक्षा के लिए साधुवाद !!!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-50728317051042002962010-11-26T18:02:12.348+05:302010-11-26T18:02:12.348+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-11434172287745944872010-11-26T17:47:33.735+05:302010-11-26T17:47:33.735+05:30सार्थक समीक्षा!
.....समीक्षा को पढने के बाद गीत का...सार्थक समीक्षा!<br />.....समीक्षा को पढने के बाद गीत का अर्थ और अधिक स्पष्ट हुआ। <br />आपका आभार ...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-88010105416645550352010-11-25T23:37:03.077+05:302010-11-25T23:37:03.077+05:30गहन विश्लेषणात्मक समीक्षा ने इस कविता में सन्निहित...गहन विश्लेषणात्मक समीक्षा ने इस कविता में सन्निहित गहन गूढ़ार्थों को उनके सही परिपेक्ष्य में समझने में काफ़ी मदद की. सुंदर समीक्षा के लिए आभार. <br />सादर <br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-67834214232382136382010-11-25T22:21:46.953+05:302010-11-25T22:21:46.953+05:30इस समीक्षा को पढने के बाद गीत का अर्थ और अधिक स्पष...इस समीक्षा को पढने के बाद गीत का अर्थ और अधिक स्पष्ट हुआ। आभार आपका।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-27511952609464089812010-11-25T21:00:38.500+05:302010-11-25T21:00:38.500+05:30चर्चा मंच पर सम्मान देने के लिए आपको बहुत बहुत धन्...चर्चा मंच पर सम्मान देने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44852457633526884762010-11-25T20:56:01.385+05:302010-11-25T20:56:01.385+05:30प्रस्तुत गीत पर मेरे विचारों से सहमत होने तथा अपनन...प्रस्तुत गीत पर मेरे विचारों से सहमत होने तथा अपननी टिप्पणियों के माध्यम से प्रोत्साहित करने के लिए आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-78823170669623610952010-11-25T20:42:44.635+05:302010-11-25T20:42:44.635+05:30यह गीत तो मुझे बड़े होने पर ही समझ में आता। समीक्ष...यह गीत तो मुझे बड़े होने पर ही समझ में आता। समीक्षा से यह आसन हो गया।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/15988235447716563801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-33530515911864976632010-11-25T20:38:42.181+05:302010-11-25T20:38:42.181+05:30गहन एवं विस्तृत समीक्षा के लिए आभार। इस समीक्षा से...गहन एवं विस्तृत समीक्षा के लिए आभार। इस समीक्षा से आपके प्रति धारणा और बलवती हुई। अपेक्षा है कि भविष्य में भी इसी तरह की उत्कृष्ट रचनाएं पढ़ने को मिलती रहेंगी।<br /><br />पुनः आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-24953707222299582402010-11-25T20:28:44.781+05:302010-11-25T20:28:44.781+05:30गंभीर गीत की गरिमामय समीक्षा ने बहुत प्रभावित किया...गंभीर गीत की गरिमामय समीक्षा ने बहुत प्रभावित किया। इस गीत के अर्थ तक पहुंचना आसान न था। अर्थ तक पहुंचाने के लिए आभार।Ankurhttps://www.blogger.com/profile/14470794234224320950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75410660640119565622010-11-25T20:17:17.019+05:302010-11-25T20:17:17.019+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Ankurhttps://www.blogger.com/profile/14470794234224320950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-85862130938155681852010-11-25T20:12:55.852+05:302010-11-25T20:12:55.852+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Ankurhttps://www.blogger.com/profile/14470794234224320950noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8984568770530021842010-11-25T19:53:37.080+05:302010-11-25T19:53:37.080+05:30अति दुरूह गीत का बहुत गहराई से अर्थ अनावरित किया ह...अति दुरूह गीत का बहुत गहराई से अर्थ अनावरित किया है आपने। यह आपकी योग्यता और क्षमता, दोनो को प्रमाणित करता है।<br /><br />आभार।good_donehttps://www.blogger.com/profile/15110617932419017381noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-18567713049571912142010-11-25T18:59:30.633+05:302010-11-25T18:59:30.633+05:30आपकी इस पोस्ट का लिंक कल शुक्रवार को (२६--११-- २०१...आपकी इस पोस्ट का लिंक कल शुक्रवार को (२६--११-- २०१० ) चर्चा मंच पर भी है ...<br /><br />http://charchamanch.blogspot.com/<br /><br />--संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74297744025225862782010-11-25T17:27:15.088+05:302010-11-25T17:27:15.088+05:30अच्छी लगी समीक्षा.अच्छी लगी समीक्षा.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8709704409531092562010-11-25T17:25:57.848+05:302010-11-25T17:25:57.848+05:30बिरले साहित्यकारों को ही जीवन-काल में वह प्रशंसा प...बिरले साहित्यकारों को ही जीवन-काल में वह प्रशंसा प्राप्त हो पाती है,जिसके वे हक़दार होते हैं। इसी क्रम में यह भी।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75421022359186693252010-11-25T16:56:40.182+05:302010-11-25T16:56:40.182+05:30आंच पर आपकी प्रस्तुति ने मंत्र-मुग्ध कर दिया । इतन...आंच पर आपकी प्रस्तुति ने मंत्र-मुग्ध कर दिया । इतनी गहराई से की गई आपकी समीक्षा निश्चित रूप से प्रशंसनीय है ।जुगल किशोरhttps://www.blogger.com/profile/13301162594819383710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-4659055843607046412010-11-25T16:51:20.332+05:302010-11-25T16:51:20.332+05:30समीक्षा बहुत अच्छी लगी बिशेष कर आपका यह वाक्य बहुत...समीक्षा बहुत अच्छी लगी बिशेष कर आपका यह वाक्य बहुत पसंद आया -<br />विनाश के गर्भ से ही सृजन का जन्म होता है और सृजन से ही विनाश का ।रीताhttps://www.blogger.com/profile/17969671221868500198noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-66694515850795669042010-11-25T15:51:58.905+05:302010-11-25T15:51:58.905+05:30आलोचना या समालोचना का अर्थ है देखना, समग्र रूप में...आलोचना या समालोचना का अर्थ है देखना, समग्र रूप में परखना। किसी कृतिकी सम्यक व्याख्या या मूल्यांकन को आलोचना कहते हैं। यह कवि और पाठक के गीच की कड़ी है। इसका उद्देश्य है रचना कर्म का प्रत्येक दृष्टिकोण से मूल्यांकन कर उसे पाठक के समक्ष प्रस्तुत करना, पाठक की रूचि परिष्कार करना और साहित्यिक गतिविधि की समझ को विकसित और निर्धारित करना। <br />आपकी यह समीक्षा इसका जीता-जागता उदाहरण है। बहुत गंभीर नवगीत को हमारे निवेदन पर राय जी आपने बिल्कुल खोल कर रख दिया है, जिससे इसके गूढतम अर्थ भी स्पष्ट हो गए हैं।<br />आभार आपका।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71689334310088423572010-11-25T15:12:45.141+05:302010-11-25T15:12:45.141+05:30सार्थक समीक्षा!सार्थक समीक्षा!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64410520388016290032010-11-25T12:21:58.497+05:302010-11-25T12:21:58.497+05:30ये गीत पहले भी पढा था और एक अलग ही प्रभाव छोड गया ...ये गीत पहले भी पढा था और एक अलग ही प्रभाव छोड गया था ।<br />आज समीक्षा पढकर इसे जानने और समझने मे भी काफ़ी अच्छा लगा……………एक नया दृष्टिकोण मिला ……………काफ़ी सार्थक और सटीक समीक्षा।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-23224958502790953312010-11-25T10:40:12.835+05:302010-11-25T10:40:12.835+05:30बहुत ही सार्थक और सटीक समीक्षा !
गीत का तो जवाब नह...बहुत ही सार्थक और सटीक समीक्षा !<br />गीत का तो जवाब नहीं !<br />-ज्ञानचंद मर्मज्ञज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-5364266203277342072010-11-25T08:52:50.283+05:302010-11-25T08:52:50.283+05:30आदरणीय परशुराम जी आपके समीक्षा के माध्यम से ना केव...आदरणीय परशुराम जी आपके समीक्षा के माध्यम से ना केवल पंडित मिश्र जी के नवगीत को समझने का अवसर मिला बल्कि पूरी गीत विधा खास तौर पर नवगीत के बारे में समझ बढ़ी है.. उत्क्रिस्थ समीक्षा के लिए बधाई...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com