tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post5966919919512974521..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: आँच-43 (समीक्षा) पर उसका दिनकर तो हमेशा के लिए अस्त हो गयामनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger50125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-84220972198677144592010-11-19T23:21:03.483+05:302010-11-19T23:21:03.483+05:30@ डॉ दिव्या जी,
यह ब्लाग के प्रति आपका लगाव है जो...@ डॉ दिव्या जी,<br /><br />यह ब्लाग के प्रति आपका लगाव है जो एक सप्ताह पुराने आलेखों को भी चुन-चुन कर पढ़ रही हैं और अपनी टिप्पणियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। <br /><br />बहुत-बहुत आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-76708292398004078312010-11-19T23:14:45.040+05:302010-11-19T23:14:45.040+05:30@ निर्मला जी एवं @ अनामिका जी,
आपकी टिप्पणियाँ मु...@ निर्मला जी एवं @ अनामिका जी,<br /><br />आपकी टिप्पणियाँ मुझे प्रसन्नता भी देती हैं और ऊर्जा भी। यह क्रम ऐसे ही चलता रहे।<br /><br />आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-330031140741791312010-11-19T23:11:09.280+05:302010-11-19T23:11:09.280+05:30@ शास्त्री जी,
बहुत देर से आ रहा हूँ, क्षमा करें।...@ शास्त्री जी,<br /><br />बहुत देर से आ रहा हूँ, क्षमा करें। चर्चा मंच पर सम्मान देने के लिेए धन्यवाद तक प्रकट न करूँ यह मेरी कृतघ्नता होगी। मुझे बहुत खुशी है कि आपका स्नेह बराबर मुझे प्राप्त हो रहा है। बहुत बहुत आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8281558054682632622010-11-19T15:44:14.187+05:302010-11-19T15:44:14.187+05:30.
देर आयद, दुरुस्त आयद। देर से सही लेकिन इस समीक्....<br /><br />देर आयद, दुरुस्त आयद। देर से सही लेकिन इस समीक्षा से वंचित तो नहीं हुई , ये ख़ुशी है ।<br /><br />हरीश जी,<br />बहुत सुन्दर एवं उत्कृष्ट कविता का चयन किया आपने समीक्षा के लिए। इस बेहतरीन समीक्षा से हमें भी बहुत कुछ सीखने को मिला है। इसके लिए आपका आभार।<br /><br />वंदना जी,<br />आपकी सभी रचनाएँ मेरा मन मोहती हैं। इस सुन्दर रचना के लिए आपको भी बहुत बहुत बधाई। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54072232178538152832010-11-11T23:36:51.496+05:302010-11-11T23:36:51.496+05:30हमेशा की तरह लाजवाब समीक्षा .सभी पहलुओं को उघाड़ द...हमेशा की तरह लाजवाब समीक्षा .सभी पहलुओं को उघाड़ दिया है.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-2791821782980518392010-11-11T20:19:19.733+05:302010-11-11T20:19:19.733+05:30बहुत सार्थक समी़क्षा केवल समीक्षा ही नही कविता के ...बहुत सार्थक समी़क्षा केवल समीक्षा ही नही कविता के अन्य पहलुओं को भी छुआ है। कविता पहले पढ चुकी हूँ मगर समीक्षा से कविता को नया रूप मिला है। आपका प्रयास सराहणीय है। शुभकामनायें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49807228504281546732010-11-11T20:12:50.144+05:302010-11-11T20:12:50.144+05:30सुन्दर समीक्षा!
इस पोस्ट की चर्चा आज के चर्चा मंच ...सुन्दर समीक्षा!<br />इस पोस्ट की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी है!<br />http://charchamanch.blogspot.com/2010/11/335.htmlडॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-30776093334970062172010-11-11T17:52:44.743+05:302010-11-11T17:52:44.743+05:30@ वाणी गीत जी
प्रोत्साहन के लिए आभार।@ वाणी गीत जी<br /> प्रोत्साहन के लिए आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61246323637890351172010-11-11T17:51:41.598+05:302010-11-11T17:51:41.598+05:30@ अरुण जी
आपकी प्रतिक्रियाएं मुझे ऊर्जा देती हैं।
...@ अरुण जी<br />आपकी प्रतिक्रियाएं मुझे ऊर्जा देती हैं।<br />आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-77532192711518468022010-11-11T17:50:01.683+05:302010-11-11T17:50:01.683+05:30@ कुमार राधारमण जी
यह प्रेम की पीड़ा है।
प्रोत्सा...@ कुमार राधारमण जी<br /><br />यह प्रेम की पीड़ा है।<br />प्रोत्साहन के लिए आपका आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-43721803779339730792010-11-11T17:48:58.428+05:302010-11-11T17:48:58.428+05:30@ रंजना एवं शिखा जी
प्रोत्साहन के लिए आप दोनो का आ...@ रंजना एवं शिखा जी<br />प्रोत्साहन के लिए आप दोनो का आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6445660833742303772010-11-11T17:48:04.081+05:302010-11-11T17:48:04.081+05:30@ वंदना जी
पुनः धन्यवाद।@ वंदना जी<br />पुनः धन्यवाद।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-73025321183135963732010-11-11T17:47:29.829+05:302010-11-11T17:47:29.829+05:30@ रेखा जी
मैंने रचना के प्रति पूर्णतया निरपेक्ष रह...@ रेखा जी<br />मैंने रचना के प्रति पूर्णतया निरपेक्ष रहने का ईमानदार से प्रयास किया है। रचना ने आपको स्पर्श किया यह मेरे लिए हर्ष की बात है। प्रतिक्रिया के लिए आपका आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54358300075308817452010-11-11T17:42:55.881+05:302010-11-11T17:42:55.881+05:30@ अनुपमा जी एवं जमीर जी
आपका आना अच्छा लगा।
प्रति...@ अनुपमा जी एवं जमीर जी<br /><br />आपका आना अच्छा लगा।<br />प्रतिक्रिया के लिए आप दोनो का आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-31245919222265922402010-11-11T17:41:22.189+05:302010-11-11T17:41:22.189+05:30@ आदरणीय तिवारी जी
कविता के प्रति सह अनुभूति के लि...@ आदरणीय तिवारी जी<br />कविता के प्रति सह अनुभूति के लिए आपका हृदय से आभारी हूँ। आपकी पंक्तियों ने कविता के अर्थ को और विस्तार प्रदान किया है। धन्यवाद। क्षमा के साथ कहूँगा कि मेरे निजी संदर्भ में आपके उद्गार अतिशय हैं। में इससे सहमत नहीं हूँ। मैं अभी भी आप जैसे विद्वत जनों से बहुत कुछ ग्रहण कर रहा हूँ। इसके लिए मैं विनम्रता से आपके प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूँ। <br /><br />आदर सहित,<br />हरीशहरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64925538947293127302010-11-11T17:33:54.639+05:302010-11-11T17:33:54.639+05:30@ आदरणीय राय जी
प्रोत्साहन के लिए आपका स्नेह एवं ...@ आदरणीय राय जी<br /><br />प्रोत्साहन के लिए आपका स्नेह एवं मार्गदर्शन इसी तरह मिलता रहे। आपका आभारी रहूँगा।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64178546416861935502010-11-11T17:32:01.149+05:302010-11-11T17:32:01.149+05:30@ संजय भास्कर जी
प्रोत्साहन के लिए आपका आभारी हूँ।...@ संजय भास्कर जी<br />प्रोत्साहन के लिए आपका आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53329300175377892832010-11-11T17:31:27.621+05:302010-11-11T17:31:27.621+05:30@ रश्मि जी
रचना पसंद करने लिए हृदय से धन्यवाद।
प्र...@ रश्मि जी<br />रचना पसंद करने लिए हृदय से धन्यवाद।<br />प्रोत्साहन के लिए आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-7119964942802219212010-11-11T17:28:54.802+05:302010-11-11T17:28:54.802+05:30@ राजेश जी,
आपकी प्रेरक प्रततिक्रिया के लिए धन्यवा...@ राजेश जी,<br />आपकी प्रेरक प्रततिक्रिया के लिए धन्यवाद।<br /><br />पुनःश्च, चूँकि रचनाकार सामाजिक प्राणी है अतः प्रत्येक रचनाकार के मौलिक सृजन में दायित्वबोध तो होता ही है। इस दायित्वबोध में सामाजिक सरोकार भी निहित होते हैं। इसीलिए साहित्य को समाज का प्रतिबिम्ब कहा जाता है। आपका संकेत शायद बुद्धि तत्व प्रधानता वाली रचनाओं की ओर है। वह ठीक है। लेकिन कोरी बौद्धिक रचनाएं सरस कम ही हुआ करती हैं। काव्य में रस तो भाव प्रधान रचनाओं से ही प्राप्त होता है। काव्य में हृदय तत्व की प्रधानता सनातन रही है। अनुभूति के मूलभूत अवयव भी सनातन हैं। अतएव ये भाव सहज रूप से मुखरित होते रहते हैं।<br /><br />आलोच्य कविता, हालाकि गुण दोषों से युक्त है तथापि शृंगार की अभिव्यक्ति है और यह भी सामाजिक सरोकारों को समान रूप से अभिव्यक्त करती है। समीक्षा हेतु रचना के चयन के आधार के प्रति मेरा कोई निजी आग्रह नहीं है वरन् यह काव्शास्त्र की परिधि में मेरी योग्यता, ज्ञान और उपलब्ध रचनाओं की सीमा के अंतर्गत है। रचना के प्रति यह मेरे विचार मात्र हैं। यह समीक्षा न तो श्रेष्टतम समीक्षा है और न ही अन्य संभावनाओं को विराम देती है।<br /><br />आदर सहित,<br /><br />हरीशहरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-50676915509610318922010-11-11T17:22:39.638+05:302010-11-11T17:22:39.638+05:30आज तो मुझे उम्मीद से कयी गुना अधिक मिल गया और वो स...आज तो मुझे उम्मीद से कयी गुना अधिक मिल गया और वो सब आपकी बदौलत हुआ है हरीश जी…………सभी गुणीजनों के विचार मेरे प्रेरणास्रोत बन गये हैं …………एक बार फिर आपकी हार्दिक आभारी रहूंगी।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-9297511068868810362010-11-11T17:16:52.917+05:302010-11-11T17:16:52.917+05:30ऐसी समीक्षा रचना के अर्थ को और स्पष्ट करती हैं ......ऐसी समीक्षा रचना के अर्थ को और स्पष्ट करती हैं ...<br />आभार !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/10839893825216031973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-47288443294509412872010-11-11T17:07:48.376+05:302010-11-11T17:07:48.376+05:30@ संगीता जी
आपका आगमन प्रोत्साहित करता है।
आभार...@ संगीता जी<br /><br />आपका आगमन प्रोत्साहित करता है। <br /><br />आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44700750540609519492010-11-11T17:06:10.284+05:302010-11-11T17:06:10.284+05:30@ वंदना जी
मुझे समीक्षा लिखने के लिए भाव भूमि आपकी...@ वंदना जी<br />मुझे समीक्षा लिखने के लिए भाव भूमि आपकी भावप्रवण कविता ने ही उपलब्ध कराई अन्यथा पाठकों की प्रफुल्लित कर देने वाली ढेर सारी प्रतिक्रयाएं मुझे कैसे मिल पातीं। इसके लिए मैं आपका आभारी हूँ।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44217864184267450372010-11-11T16:58:32.402+05:302010-11-11T16:58:32.402+05:30@ साधना वैद जी
शुक्रिया।@ साधना वैद जी<br /><br />शुक्रिया।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-81626054901068333202010-11-11T16:57:22.528+05:302010-11-11T16:57:22.528+05:30@ मर्मज्ञ जी
मेरे प्रयास आप सबके स्नेह का प्रतिफल ...@ मर्मज्ञ जी<br />मेरे प्रयास आप सबके स्नेह का प्रतिफल हैं।<br />प्रोत्साहन के लिए आभार।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.com