tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post6275982557955619537..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: भारतीय काव्यशास्त्र-52 :: रौद्र और वीर रसमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-2386442032866557632011-02-07T20:26:37.037+05:302011-02-07T20:26:37.037+05:30आद.आचार्य जी,
इस ज्ञानवर्धक श्रृंखला के एक वर्ष पू...आद.आचार्य जी,<br />इस ज्ञानवर्धक श्रृंखला के एक वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-16634703626930872872011-02-07T11:59:48.299+05:302011-02-07T11:59:48.299+05:30.
— : रसाभास : —
जहाँ रस आलंबन में वास
करे उक्त....<br /><br />— : रसाभास : —<br /><br />जहाँ रस आलंबन में वास <br />करे उक्ति अनुचित अनायास <br />जसे परकीया में रति आस. <br />हुवे उक्ति शृंगार रसाभास. <br /><br />अबल सज्जन-वध में उत्साह <br />अधम में करना शम-प्रवाह. <br />पूज्यजन के प्रति करना क्रोध <br />विरक्त संन्यासी में फल चाह. <br /><br />वीर उत्तम व्यक्ति में भय <br />जादू आदि में हो विस्मय. <br />बलि में हो बीभत्स का हास <br />वहाँ होता रस का आभास. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64158865085623727912011-02-07T11:59:16.158+05:302011-02-07T11:59:16.158+05:30.
आचार्य जी, कृपया मुझे कुतर्की न मानना और न ही ....<br /><br /><br />आचार्य जी, कृपया मुझे कुतर्की न मानना और न ही अहंकारी, मैं केवल जिज्ञासु हूँ. <br />क्षमा भाव के साथ कहना चाहता हूँ —<br />________<br /><br />किन्तु आचार्य जी, 'उत्साह' वाले स्थायी भाव से 'विस्मय' जन्म लेता है और वीर से अदभुत रस उत्पादित होता है. <br />क्या मातृ-वध में 'उत्साह' स्थायी भाव माना जाये? आपने इस कृत्य को धर्मवीर की श्रेणी बताया. लेकिन शास्त्रीय नियमों के अनुसार यह उदाहरण अपवाद बन गया है. <br />क्रोध के बिना वध संभव नहीं हो पाता बेशक वह धर्म-युद्ध में किये गये वध हों. <br />मुझे यहाँ रौद्र रसाभास लगता है. क्या ऐसा नहीं है? <br /><br />...प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-72687233777471974302011-02-07T08:51:40.249+05:302011-02-07T08:51:40.249+05:30काव्य शास्त्र के एक वर्ष पूरे करने पर आपको बहुत बह...काव्य शास्त्र के एक वर्ष पूरे करने पर आपको बहुत बहुत बधाई। आपके श्रमसाध्य कार्य से हम सब लाभान्वित हुए हैं। आपको आभारहरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-81709414026988011832011-02-07T08:02:19.835+05:302011-02-07T08:02:19.835+05:30वन्दना जी,
काव्यशास्त्र के इस अंक को चर्चा मंच पर ...वन्दना जी,<br />काव्यशास्त्र के इस अंक को चर्चा मंच पर लेने के लिए आपका हृदय से आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-57601862101052248602011-02-07T00:25:56.855+05:302011-02-07T00:25:56.855+05:30शिक्षामित्र जी,
इस अंक मे लगभग प्रत्येक रस का हिन्...शिक्षामित्र जी,<br />इस अंक मे लगभग प्रत्येक रस का हिन्दी का उदाहरण भी दिया है। संस्कृत के उद्धरणों के हिन्दी में अर्थ दिए गए हैं। सामग्री के अभाव में हर स्थान पर हिन्दी का उदाहरण देना सम्भव नहीं हो पाता। इसके लिए क्षमा चाहूँगा। वैसे आपका सुझाव अत्युत्तम है। कोशिश में हूँ। सामग्री मिलने पर उपयुक्त स्थानों पर देने का प्रयास करूँगा, ताकि भावी पाठकों को सुविधा हो।<br />सुझाव के लिए आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-35387405854283377282011-02-07T00:13:48.678+05:302011-02-07T00:13:48.678+05:30प्रतुल जी,
टंकणगत त्रुटि को बताने के लिए साधुवाद। ...प्रतुल जी,<br />टंकणगत त्रुटि को बताने के लिए साधुवाद। मनोज कुमार जी ने उन्हें शुद्ध कर दिया है। इसके लिए उन्हें हृदय से आभार। <br />आपके दूसरे प्रश्न का उत्तर यह है कि भगवान परशुराम द्वारा मातृ-वध क्रोधवश नहीं किया गया था, अपितु पित्रादेशवश। क्योंकि जब पिता ने वर माँगने के लिए कहा तो उन्होंने वर माँगा था कि माँ जीवित हो जाय ओर उक्त घटना उन्हें याद न रहे।<br />अतएव इसे वीर रस (धर्मवीर) का इदाहरण कहना चाहिए।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-26674332573026796122011-02-06T23:20:25.407+05:302011-02-06T23:20:25.407+05:30संस्कृत अथवा किसी अन्य ऐसी भाषा से,जो अब सहज ग्राह...संस्कृत अथवा किसी अन्य ऐसी भाषा से,जो अब सहज ग्राह्य नहीं है,उदाहरण देने से आम पाठक रस का आस्वादन नहीं कर पाता। निवेदन है कि आधुनिक संदर्भों को उद्धृत किया जाए।शिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-25696766090844724362011-02-06T22:01:54.671+05:302011-02-06T22:01:54.671+05:30हैप्पी फर्स्ट बर्थडे...
एक और ज्ञान से भरपूर रचना....हैप्पी फर्स्ट बर्थडे...<br />एक और ज्ञान से भरपूर रचना..आभार.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-42643235094035810572011-02-06T21:36:24.489+05:302011-02-06T21:36:24.489+05:30@ alka sarwat जी
बहुत बहुत धन्यवाद।
आप भी ब्लॉग जग...@ alka sarwat जी<br />बहुत बहुत धन्यवाद।<br />आप भी ब्लॉग जगत को स्वस्थ रखने का महत्त्वपूर्ण करने का काम कर रही हैं। स्लिपडिस्क का तो मैं ख़ुद ही मरीज़ रहा हूं। जल्द से पोस्ट डालिए।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61220951860472767722011-02-06T21:34:24.387+05:302011-02-06T21:34:24.387+05:30@ आचार्य परशुराम राय जी
आभार आपका। आपने न सिर्फ़ ह...@ आचार्य परशुराम राय जी<br />आभार आपका। आपने न सिर्फ़ हमारी बात मानी बल्कि ब्लॉजगत को एक अन्मोल खजाना दिया है। पाठकों की प्रत्रिक्रिया भले कम हो पर जितने भी हैं वह हमारे उत्साह को बढाने और बनाए रखने के लिए काफ़ी हैं।<br />भारतीय काव्यशास्त्र को समझाने का चुनौतीपूर्ण कार्य कर आप एक महान कार्य कर रहे हैं। इससे रचनाकार और पाठक को बेहतर समझ में सहायता मिल सकेगी। सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-73284313928608486672011-02-06T21:32:05.947+05:302011-02-06T21:32:05.947+05:30@ डॉ० डंडा लखनवी जी,
आपका आशीर्वाद बना रहे। यह हमा...@ डॉ० डंडा लखनवी जी,<br />आपका आशीर्वाद बना रहे। यह हमारी ऊर्जा बढाता है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74121427925396268242011-02-06T21:31:13.676+05:302011-02-06T21:31:13.676+05:30@ प्रतुल वशिष्ठ जी
अशुद्धियों को बताने के लिए आभार...@ प्रतुल वशिष्ठ जी<br />अशुद्धियों को बताने के लिए आभार।<br />ठीक कर दिया।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64200465534114303302011-02-06T19:50:13.964+05:302011-02-06T19:50:13.964+05:30आप को ब्लाग के एक वर्ष पुरे होने की बधाई, बहुत सुं...आप को ब्लाग के एक वर्ष पुरे होने की बधाई, बहुत सुंदर लेख के लिये धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-58405981131452467262011-02-06T16:41:14.193+05:302011-02-06T16:41:14.193+05:30रस सिद्धांत और रसों के बारे में आपकी यह श्रृंखला क...रस सिद्धांत और रसों के बारे में आपकी यह श्रृंखला काफी उपयोगी है ...आपका आभारकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-21824965824008377222011-02-06T15:23:00.732+05:302011-02-06T15:23:00.732+05:30आचार्य जी बहुत बधाई, पता ही नहीं चला और श्रंखला ने...आचार्य जी बहुत बधाई, पता ही नहीं चला और श्रंखला ने एक वर्ष भी पूरा कर लिया. कृपया आगे हम सभी का मार्गदर्शन करते रहें. <br />आ० प्रेम जी की टिप्पणी से मैं भी पूरी तरह सहमत हूँ और मैं कहूँगी कि "यह श्रंखला हिंदी व्लाग की अनुपम कृति होने के साथ-साथ एक धरोहर भी सिद्ध होगी।"<br />मनोज जी बहुत बहुत आभार यह श्रंखला और अन्य ज्ञानवर्धक सामिग्री उपलब्ध कराने के लिए.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-82459026717827979802011-02-06T14:57:05.909+05:302011-02-06T14:57:05.909+05:30आचार्य परशुराम राय जी!
काव्य-शास्त्र लेखन में एक ...आचार्य परशुराम राय जी! <br />काव्य-शास्त्र लेखन में एक वर्ष पूर्ण करने पर आपको -बधाई! रस भारतीय काव्य-शास्त्र का वैशिष्ट्य है। नाटक और सिनेमा में इसका खूब उपयोग होता रहा है। योरप और अमेरिका के विद्वान भी इसके महत्व को अब स्वीकारने लगे हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के माल को खपाने हेतु बनाए जाने वाले विज्ञापनों में रस-निष्पत्ति का भर पूर उपयोग हो रहा है। इस व्यवसायिक युग में उसी प्रोफेशनल की दुकान खूब चमक रही है जो जाने-अनजाने रस-शास्त्र का सहारा ले रहा है। आजकल काव्य-लेखन की ओर भी लोगों का रुझान खूब देखा जा रहा है। इसे आत्मसात कर लेखन करने से उनके लेखन की गुणवत्ता बढ़ सकती है। आप हिंदी में जो कार्य कर रहे हैं वह हिंदी वालों के लिए वरदान से कम नहीं। इस क्रम को जारी रखिए।इस जटिल और महत्वपूर्ण कार्य के लिए आपको कोटिश: धन्यवाद! <br />कृपया पर्यावरण और बसंत पर ये दोहे पढ़िए......<br />==============================<br />गाँव-गाँव घर-घ्रर मिलें, दो ही प्रमुख हकीम।<br />आँगन मिस तुलसी मिलें, बाहर मिस्टर नीम॥<br />-------+------+---------+--------+--------+-----<br />शहरीपन ज्यों-ज्यों बढ़ा, हुआ वनों का अंत।<br />गमलों में बैठा मिला, सिकुड़ा हुआ बसंत॥<br />सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवीडॉ० डंडा लखनवीhttps://www.blogger.com/profile/14536866583084833513noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-80872361706162225202011-02-06T14:39:51.432+05:302011-02-06T14:39:51.432+05:30.
आपके इस बार के लेख में कुछ त्रुटियाँ [टंकण संबं....<br /><br />आपके इस बार के लेख में कुछ त्रुटियाँ [टंकण संबंधी] रह गयी हैं. जैसे : चेष्टओं / ओठ चबना / उदारण ...<br /><br />है परशुराम से पायी मैंने शिक्षा <br />इसलिये मातृ वध की होती है इच्छा.<br />जब-जब माता जमदग्नि पूत छलेगी<br />मेरी जिह्वा परशु का काम करेगी. <br /><br />आचार्य जी, यहाँ मातृ-वध में कौन-सा रस है? <br />वीर अथवा रौद्र अथवा कोई रस का आभास. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-41315423701460748742011-02-06T14:01:48.287+05:302011-02-06T14:01:48.287+05:30विश्वास ही नहीं होता आचार्य जी कि एक वर्ष हो गये.....विश्वास ही नहीं होता आचार्य जी कि एक वर्ष हो गये.. मैं तो जुड़ा भी बहुत देर से था.. नुकसान मेरा.. मनोज जी ने जो पुनीत कार्यकिया है उसके लिये हृदय से आभारी हूँ..चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-88151733319583578272011-02-06T12:35:42.183+05:302011-02-06T12:35:42.183+05:30अत्यंत गूढ़ विषय पर सफलतम सन्देश
ज्ञान की ये धारा...अत्यंत गूढ़ विषय पर सफलतम सन्देश<br />ज्ञान की ये धारा यूं ही बहती रहे और हमारे खजाने को भरती रहे<br /><br />मनोज जी, स्लिप डिस्क की बीमारी के लिए एक जड़ी मिल गयी है ,कुछ ही समय में मेरा शोध पूरा हो जाएगा तो इसे पोस्ट कर दूंगी.आप एनी किसी भी पीड़ित को इसका लाभ जरूर दिल्वाईयेगा.alka mishrahttps://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-78921680568161640312011-02-06T12:07:02.183+05:302011-02-06T12:07:02.183+05:30रौद्र और वीर रस पर ज्ञानवर्धक आलेख.श्रंखला के एक व...रौद्र और वीर रस पर ज्ञानवर्धक आलेख.श्रंखला के एक वर्ष पूरे होने पर हार्दिक बधाई.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71312246750276458042011-02-06T06:49:08.691+05:302011-02-06T06:49:08.691+05:30रसो के बारे में आपने बहुत ही प्रामाणिक आलेख प्रस्त...रसो के बारे में आपने बहुत ही प्रामाणिक आलेख प्रस्तुत किया है!<br />इस शृंखला का एक वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63911039811856702642011-02-06T06:49:07.765+05:302011-02-06T06:49:07.765+05:30यह पोस्ट देखते ही देखते एक वर्ष का सफर तय कर लिया।...यह पोस्ट देखते ही देखते एक वर्ष का सफर तय कर लिया।इस पोस्ट को साफल्य मंडित करमे की पृष्ठभूमि में आचार्य परशुराम राय एवं गुरू तुल्य श्री मनोज कुमार जी का अभूतपूर्व योगदाम रहा है। इस अप्रतिम कार्य के लिए दोनों ही व्यक्ति भूरि-भूरि प्रशंसा के पात्र हैं। भारतीय काव्यशास्त्र को पूर्ण समग्रता में काव्य मनीषियों के विचारों का उदाहरणों के साथ प्रस्तुत करने के कारण इसमें सहज बोधगम्यता एवं सरसता उत्पन्न होती रही,परिणामस्वरूप, व्लाग जगत से जुड़े लोग ज्ञानार्जन करते रहे।मैं अपनी ओर से धन्यवाद देता हूं।आशा ही नही अपितु विश्वास है कि यह पोस्ट हिंदी व्लाग की अनुपम कृति होने के साथ-साथ एक धरोहर भी सिद्ध होगी। बधाई।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.com