tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post6414454328492147901..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: श्रमकर पत्थर की शय्या परमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-14930857243587864862010-05-04T11:05:01.135+05:302010-05-04T11:05:01.135+05:30behad shandar rachna hai manoj ji ... mazdooron ke...behad shandar rachna hai manoj ji ... mazdooron ke halat ki padtal karti hui achhi rachna hai yah.. :)स्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-89474869630096588872010-05-02T17:29:49.871+05:302010-05-02T17:29:49.871+05:30किसी काम का नहीं, अनर्जित जीवन में जो आया।
सुख व श...किसी काम का नहीं, अनर्जित जीवन में जो आया।<br />सुख व शांति उसी ने पाई, जिसने स्वेद बहाया।<br />सार्थक सृजन हेतु करना है, त्याग हमें आराम का।<br />पर अब तक जो जिया अलस, वह जीवन है विश्राम का। <br />सुख सुविधाओं के जंगल में, गुंजलिका जंजालों की।<br />सटीक प्रस्तुति।<br />दु:खों से भरी इस दुनिया में वास्तविक सम्पत्ति धन नहीं, संतुष्टता है।रीताhttps://www.blogger.com/profile/17969671221868500198noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54898668162659691042010-05-02T17:26:48.646+05:302010-05-02T17:26:48.646+05:30जब से अर्ज़ा महल, तभी से तुमने नींद गंवाई।
सुख सु...जब से अर्ज़ा महल, तभी से तुमने नींद गंवाई। <br />सुख सुविधा के जीवन में, सब आया नींद न आई। कोमल सेज सुमन सी, करवट लेते रात ढ़लेगी। समिधा करो कलेवर की, तब यह जीवन अग्नि जलेगी। <br />दुख शामिल रहता हर सुख में, उक्ति सही मतवालों की।<br />बहुत अच्छी कविता। बहुत अच्छी भावना। दरिद्र व्यक्ति कुछ वस्तुएं चाहता है, विलासी बहुत सी और लालची सभी वस्तुएं चाहता है।राजभाषा हिंदीhttps://www.blogger.com/profile/17968288638263284368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-65042155329606213252010-05-02T17:19:37.918+05:302010-05-02T17:19:37.918+05:30सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की ...सब से अधिक आनंद इस भावना में है कि हमने मानवता की प्रगति में कुछ योगदान दिया है। भले ही वह कितना कम, यहां तक कि बिल्कुल ही तुच्छ क्यों न हो? मेहनतकशों के मनवता की प्रगति में योगदान को कौन नकार सकता है!हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-26530390000780234002010-05-02T17:16:47.608+05:302010-05-02T17:16:47.608+05:30वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे वि...वे ही विजयी हो सकते हैं जिनमें विश्वास है कि वे विजयी होंगे । ये सारे श्रमजीवी विश्वास से भरे हैं।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-68945423834239528362010-05-02T14:37:18.841+05:302010-05-02T14:37:18.841+05:30वाह शानदार प्रयास...बहुत सुंदर प्रस्तुतिवाह शानदार प्रयास...बहुत सुंदर प्रस्तुतिअर्चना तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04130609634674211033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63134597445043079182010-05-02T13:15:20.543+05:302010-05-02T13:15:20.543+05:30सुन्दर पोस्ट।
श्रम की महत्ता जो समाज नहीं स्वीकार...सुन्दर पोस्ट। <br />श्रम की महत्ता जो समाज नहीं स्वीकारता वह शॉर्टटर्म में सम्पन्न हो सकता है पर स्थाई नहीं बन सकता।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-83697803054470158202010-05-02T08:16:13.877+05:302010-05-02T08:16:13.877+05:30श्रम और पून्जी की दूरी कब तक रहेगी यहाँ पर व्याप्त...श्रम और पून्जी की दूरी कब तक रहेगी यहाँ पर व्याप्त पर खासियत है इनमे श्रम ज्वाला से तपते हुए भी नही रहते शोक सन्तप्त्…॥………॥ सटीक प्रस्तुति…।सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-40822774279660537412010-05-01T23:13:46.140+05:302010-05-01T23:13:46.140+05:30sramikon ko salaam......... aapkee lekhni ko bhi n...sramikon ko salaam......... aapkee lekhni ko bhi naman ! dhanyawaad !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-5609722317186632392010-05-01T22:29:31.762+05:302010-05-01T22:29:31.762+05:30तस्वीरें और कविता प्रति व्यक्ति आय तथा विकास दर के...तस्वीरें और कविता प्रति व्यक्ति आय तथा विकास दर के दावों की हक़ीक़त बयां कर रही हैं।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-32791016602483093032010-05-01T20:39:28.039+05:302010-05-01T20:39:28.039+05:30जब से अर्ज़ा महल, तभी से तुमने नींद गंवाई।
सुख सुव...जब से अर्ज़ा महल, तभी से तुमने नींद गंवाई।<br />सुख सुविधा के जीवन में, सब आया नींद न आई। <br />बिल्कुल सही कहा। जो सुख चैन की नींद मेहनत करने वालों को आती है वह धन अर्जन करने वालों को कहां से आ सकती है?!जुगल किशोरhttps://www.blogger.com/profile/13301162594819383710noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-76952939781471584622010-05-01T19:24:02.224+05:302010-05-01T19:24:02.224+05:30bahut sunder rachana ........
aaj ke din ko samar...bahut sunder rachana ........<br /><br />aaj ke din ko samarpit sarthak rachana.......Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-82778723973264193882010-05-01T19:18:57.221+05:302010-05-01T19:18:57.221+05:30सुख व शांति उसी ने पाई, जिसने स्वेद बहाया।
सार्थक ...सुख व शांति उसी ने पाई, जिसने स्वेद बहाया।<br />सार्थक सृजन हेतु करना है, त्याग हमें आराम का।<br />और फिर आराम का त्याग किये बिना आराम कहाँ है? <br />सुन्दरM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-45635336674501410862010-05-01T19:10:00.904+05:302010-05-01T19:10:00.904+05:30मजदूरों की दयनीय स्थिति को पेश करती और मानवता के प...मजदूरों की दयनीय स्थिति को पेश करती और मानवता के पतन की कहानी कहती हुई रचना के लिए धन्यवाद /honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-48597006944151868002010-05-01T18:52:56.252+05:302010-05-01T18:52:56.252+05:30सुख व शांति उसी ने पाई, जिसने स्वेद बहाया।
सार्थक...सुख व शांति उसी ने पाई, जिसने स्वेद बहाया।<br /><br />सार्थक सृजन हेतु करना है, त्याग हमें आराम का।<br /><br />पर अब तक जो जिया अलस, वह जीवन है विश्राम का<br /><br />मनोज जी,<br /><br />बेहतरीन रचना आज श्रम दिवस पर....सुन्दर पंक्तियाँसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-69996270500399112182010-05-01T18:50:50.399+05:302010-05-01T18:50:50.399+05:30जब से अर्ज़ा महल, तभी से तुमने नींद गंवाई।
सुख सु...जब से अर्ज़ा महल, तभी से तुमने नींद गंवाई।<br /><br />सुख सुविधा के जीवन में, सब आया नींद न आई।<br /><br />कोमल सेज सुमन सी, करवट लेते रात ढ़लेगी।<br /><br />समिधा करो कलेवर की, तब यह जीवन अग्नि जलेगी।<br />बहुत सटीक लिखा !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.com