tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post7935251617536107445..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: आँच-57- “तुम” में जीवन के रंगमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-52596667865257873182011-02-25T08:19:44.914+05:302011-02-25T08:19:44.914+05:30अरुण जी गम्भीर और उत्तम काव्य की रचना करते हैं, यह...अरुण जी गम्भीर और उत्तम काव्य की रचना करते हैं, यह तो ज्ञात था। वह परिहास भी अच्छा कर लेते हैं, आज पता चला।<br /><br />उत्साहवर्धन हेतु अपने सभी पाठकों को धन्यवाद।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63421481830940062082011-02-24T23:29:45.961+05:302011-02-24T23:29:45.961+05:30मंजु जी की " तुम " पर लिखी क्षणिकाएं गहर...मंजु जी की " तुम " पर लिखी क्षणिकाएं गहरे एहसास को लिए हुए हैं ...आंच पर इस कृति को ले कर जो नए आयाम मिले हैं इस रचना को बह अनुपम है ...सुन्दर समीक्षासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-30139852184966665042011-02-24T23:02:27.188+05:302011-02-24T23:02:27.188+05:30यह समीक्षा कविता को पढने का एक नया नज़रिया प्रस्तुत...यह समीक्षा कविता को पढने का एक नया नज़रिया प्रस्तुत करती है! गुप्त जी को बधाई!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53947823085563982142011-02-24T22:32:58.846+05:302011-02-24T22:32:58.846+05:30वाह ! बेहद संतुलित समीक्षा। पढ़कर ऐसा लगा कि कविता...वाह ! बेहद संतुलित समीक्षा। पढ़कर ऐसा लगा कि कविता को दूर से बिलकुल निरपेक्ष भाव से देखा जा रहा हो। यह समीक्षा धर्म के प्रति समीक्षक की ईमानदारी को दर्शाता है। साधुवाद।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/15988235447716563801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-43067993800181403322011-02-24T22:06:27.439+05:302011-02-24T22:06:27.439+05:30आंच पर किसी कविता का आना आज ब्लॉगजगत में उत्त्क्रि...आंच पर किसी कविता का आना आज ब्लॉगजगत में उत्त्क्रिष्ठ्म रचना के रूप में जाना जाना है.. मंजू जी कविता को समीक्षा के बाद नया आयाम मिल रहा है.. गुप्त जी को ब्लॉग जगत का नामवर कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-7355425780372587332011-02-24T18:36:13.300+05:302011-02-24T18:36:13.300+05:30मंजू मिश्र जी की कविता "तुम" उनके ब्लॉग ...मंजू मिश्र जी की कविता "तुम" उनके ब्लॉग पर जाकर पढ़ी और उसकी इस ब्लॉग पर प्रस्तुत समीक्षा भी पढ़ी.निष्पक्ष और बड़े सधे हुए शब्दों में उसकी समीक्षा पढ़कर अच्छा लगा.Kunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61435185189248938752011-02-24T18:08:31.373+05:302011-02-24T18:08:31.373+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।बहुत अच्छी प्रस्तुति।राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-11849531029269035652011-02-24T17:30:44.006+05:302011-02-24T17:30:44.006+05:30एक सुकृति की सुन्दर समीक्षा!एक सुकृति की सुन्दर समीक्षा!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-60566496880167553792011-02-24T14:08:23.224+05:302011-02-24T14:08:23.224+05:30सुन्दर रचना की अच्छी समीक्षा .आभार.सुन्दर रचना की अच्छी समीक्षा .आभार.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-29535653485377591722011-02-24T12:54:56.628+05:302011-02-24T12:54:56.628+05:30चुनिन्दा खूबसुरत अंश, उत्तम समीक्षा. आभार सहित.....चुनिन्दा खूबसुरत अंश, उत्तम समीक्षा. आभार सहित...Sushil Bakliwalhttps://www.blogger.com/profile/08655314038738415438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-10934519156885436272011-02-24T11:43:22.632+05:302011-02-24T11:43:22.632+05:30समीक्षा से कविता के गहन भावों को नए आयाम मिले हैं....समीक्षा से कविता के गहन भावों को नए आयाम मिले हैं. साधु-साधु !!!!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-74095227619719960322011-02-24T11:43:17.771+05:302011-02-24T11:43:17.771+05:30बहुत सुन्दर रचना और उतनी ही सुन्दर समीक्षा…………आभार...बहुत सुन्दर रचना और उतनी ही सुन्दर समीक्षा…………आभार्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-53892891855909692392011-02-24T11:37:43.479+05:302011-02-24T11:37:43.479+05:30आपकी समीक्षा पढ़कर थोडा बहुत मैं भी कविता सीख रही ...आपकी समीक्षा पढ़कर थोडा बहुत मैं भी कविता सीख रही हूँ ।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-16836626743190958412011-02-24T11:27:52.860+05:302011-02-24T11:27:52.860+05:30UMDA SAMIKSHAUMDA SAMIKSHAOM KASHYAPhttps://www.blogger.com/profile/13225289065865176610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-40376455040901909242011-02-24T10:02:50.147+05:302011-02-24T10:02:50.147+05:30सुन्दर एवं सटीक समीक्षा !सुन्दर एवं सटीक समीक्षा !ज्ञानचंद मर्मज्ञhttps://www.blogger.com/profile/06670114041530155187noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-37350228765127120362011-02-24T09:10:26.830+05:302011-02-24T09:10:26.830+05:30रचना में अन्तर्निहित भावों का प्रकाशन और अन्वेषण द...रचना में अन्तर्निहित भावों का प्रकाशन और अन्वेषण दोनों ही इस समीक्षा में देखने को मिले। साधुवाद।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63193172591734155742011-02-24T09:04:19.241+05:302011-02-24T09:04:19.241+05:30बेहतरीन समीक्षा ....बेहतरीन समीक्षा .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-77580324251114156502011-02-24T08:45:03.593+05:302011-02-24T08:45:03.593+05:30समीक्षा से कविता निर्वैयक्तिक बन व्यापक अर्थवत्ता ...समीक्षा से कविता निर्वैयक्तिक बन व्यापक अर्थवत्ता के साथ प्रस्तुत हूई है। शायद इससे रचनाकार भी सहमत हों। समीक्षक एवं रचनाकार, दोनों के प्रति आभार,good_donehttps://www.blogger.com/profile/15110617932419017381noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6912111362454816962011-02-24T08:15:15.300+05:302011-02-24T08:15:15.300+05:30उत्तम कृति- उत्तम समीक्षा .उत्तम कृति- उत्तम समीक्षा .Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.com