tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post820574949178734159..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: फ़ुरसत में … ज़िन्दगी और क्षणिकाएँमनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-55621550501966026502010-08-23T19:10:07.981+05:302010-08-23T19:10:07.981+05:30बहुत असमंजस है. किस क्षणिका को उद्धृत करूँ और किसे...बहुत असमंजस है. किस क्षणिका को उद्धृत करूँ और किसे छोड़ दूँ. कुछ चीजें गूंगे की गुर की तरह होती है, जिसका आप सिर्फ आनंद ले सकते हैं, वर्णन नहीं कर सकते हैं. जानकी जी की सखी को पुष्प-वाटिका में श्री राम के प्रथम दर्शानोपरांत ऐसी ही अनुभूति हुई थी, जिससे गोस्वामी जी को कहना पड़ा, "गिरा अनयन, नयन बिनु वाणी!" आपके द्वारा प्रयुक्त उपमा-उपमान की लोकप्रियता हर पाठक की टिपण्णी में झलकती है. मेरे ख्याल से जो संवेदना आपने 'शोर्ट पॅकेज' में परोसी है वह सिर्फ अनुभव से ही आ सकती है और अनुभूति के योग्य ही है. इसके लिए मुझे थोड़ा आंगल भाषा का सहारा लेना पड़ेगा, "These are awesome virgin thoughts" !करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-5024222204280663762010-08-22T12:13:45.650+05:302010-08-22T12:13:45.650+05:30सही कहा, कुछ लोग हृदय पर ऐसे छाप छोड़ जाते हैं कि ...सही कहा, कुछ लोग हृदय पर ऐसे छाप छोड़ जाते हैं कि हर पल याद आतें हैं <br />क्षणिकायें बहुत सुन्दर लगीYashwant Mehta "Yash"https://www.blogger.com/profile/02457881262571716972noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-51944462601189580422010-08-22T04:01:47.144+05:302010-08-22T04:01:47.144+05:30"सुन्दर जिंदगी बस यूँ ही नहीं हो जाती . इसे र..."सुन्दर जिंदगी बस यूँ ही नहीं हो जाती . इसे रोज़ बनाना पड़ता है , अपनी प्रार्थनाओं से , नम्रता से , त्याग से एवं प्रेम से !!"<br />बहुत खूब..... <br />सभी क्षणिकाएं एक से बढ़कर एक....Kusum Thakurhttps://www.blogger.com/profile/02345756853367472461noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-30293448057292266492010-08-22T02:26:55.282+05:302010-08-22T02:26:55.282+05:30तेरा आना अगरबत्ती की सुगंध-सा! उड़ जाता है अवसाद म...तेरा आना अगरबत्ती की सुगंध-सा! उड़ जाता है अवसाद मन का...<br /><br />क्षणिकाएं सब एक से एक सुन्दर, सटीक चित्रों के साथ तो और भी ख़ूबसूरत हो गयींAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54373945839703412872010-08-21T23:22:04.320+05:302010-08-21T23:22:04.320+05:30सुन्दर कवितायें हैं।सुन्दर कवितायें हैं।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49674984677281458712010-08-21T22:38:48.836+05:302010-08-21T22:38:48.836+05:30मनोज जी..सारी की सारी क्षणिकाएँ पाठक को अपनेपन का ...मनोज जी..सारी की सारी क्षणिकाएँ पाठक को अपनेपन का एहसास कराती हैं… एक ऐसा अपनापन जो उसे अपने हृदय में संचित भावनाओं की अभिव्यक्ति से प्राप्त होता है... बहुत गहरी अभिव्यक्ति... और उसपर आपकी प्रेरक प्रस्तावना... क्षणिकाओं की प्रेरणा मैं समझ सकता हूँ..अभी तो मेरी बधाई स्वीकारें!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-67416568426418778582010-08-21T22:09:03.556+05:302010-08-21T22:09:03.556+05:30प्रेम मुक्ति का द्वार है। प्रेम का भौतिक पक्ष जितन...प्रेम मुक्ति का द्वार है। प्रेम का भौतिक पक्ष जितनी गहराई से जिया जाए,उच्चतर ऊर्जा की ओर प्रस्थान उतनी ही जल्दी संभव होता है।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-24452137820168412262010-08-21T22:01:21.328+05:302010-08-21T22:01:21.328+05:30ये अनुभव की बातें हैं। व्यक्ति का अपना अगर कुछ होत...ये अनुभव की बातें हैं। व्यक्ति का अपना अगर कुछ होता है,तो वह अनुभव ही होता है।शिक्षामित्रhttps://www.blogger.com/profile/15212660335550760085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-62893797972860843892010-08-21T20:51:54.842+05:302010-08-21T20:51:54.842+05:30ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता
एक ही शख्स था दुनिया म...ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता<br />एक ही शख्स था दुनिया में क्या ?<br /><br />किसी मशहूर शायर का शेर है ये ,आपका लेख पढ़ कर याद आ गया<br />आपने इसी भावना को अपनी क्षणिकाओं में परिभाषित करने की उम्दा कोशिश की है<br />वैसे तो मैं पहले ही से आपकी कलम को मानती रही हूँ ,आज ज्यादा पुख्ता हुई मेरी मान्यता .alka mishrahttps://www.blogger.com/profile/01380768461514952856noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-71859683274617099002010-08-21T20:20:18.736+05:302010-08-21T20:20:18.736+05:30सधी हुई पन्क्तिया है…………।सधी हुई पन्क्तिया है…………।Anamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-90843015564634581802010-08-21T20:09:35.241+05:302010-08-21T20:09:35.241+05:30इतनी खूबसूरत सी रचना के लिये आपको बधाईइतनी खूबसूरत सी रचना के लिये आपको बधाईpalashhttps://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-44136665988898139772010-08-21T20:09:31.371+05:302010-08-21T20:09:31.371+05:30इतनी खूबसूरत सी रचना के लिये आपको बधाईइतनी खूबसूरत सी रचना के लिये आपको बधाईpalashhttps://www.blogger.com/profile/09020412180834601052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-48404057222155187072010-08-21T19:27:56.244+05:302010-08-21T19:27:56.244+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-87925797582148311232010-08-21T19:27:51.960+05:302010-08-21T19:27:51.960+05:30bahut hi sundar bhumika se saath sundar chitron au...bahut hi sundar bhumika se saath sundar chitron aur kshnikayon ka aapne prastutikaran kiya hai.... <br />Haardik shubhkamnayneकविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-80744788753233769982010-08-21T19:05:21.157+05:302010-08-21T19:05:21.157+05:30वाह जी क्या बात है फुर्सत में बहुत ही सुंदर क्षणिक...वाह जी क्या बात है फुर्सत में बहुत ही सुंदर क्षणिकाएं लिख डाली. एक से बढ़ कर एक.<br /><br />ज़िन्दगी में भी जैसे-जैसे महत्व एवं उपयोगिता बढ़ती जाती है, व्यक्ति उत्तेजनारहित और शांत होता जाता है।..<br /><br />इस दौर से गुजरने का अभी वक़्त नहीं आया सो अनुभव हीन हूँ क्या कहूँ ? <br /><br />बढ़िया पोस्ट.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-75881517172768779192010-08-21T18:20:44.041+05:302010-08-21T18:20:44.041+05:30बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....क्षणिकाएं कमाल कि हैं.....बहुत अच्छी लगी यह पोस्ट....क्षणिकाएं कमाल कि हैं....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-47655837808090518012010-08-21T17:31:48.803+05:302010-08-21T17:31:48.803+05:30आपकी क्षणिकाएं और प्रस्तुती दोनों ही बहुत बढ़िया है...आपकी क्षणिकाएं और प्रस्तुती दोनों ही बहुत बढ़िया है !Coralhttps://www.blogger.com/profile/18360367288330292186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-28983209596502446692010-08-21T17:24:59.155+05:302010-08-21T17:24:59.155+05:30सिक्के और नोट को लेकर सुन्दर प्रेरणास्पद बातें। बढ...सिक्के और नोट को लेकर सुन्दर प्रेरणास्पद बातें। बढ़िया पोस्ट।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-11898397878614908022010-08-21T17:01:55.391+05:302010-08-21T17:01:55.391+05:30बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं।
इस लाजवाब पोस्ट के लिये आ...बहुत खूबसूरत क्षणिकाएं।<br />इस लाजवाब पोस्ट के लिये आभार ।RAJNISH PARIHARhttps://www.blogger.com/profile/07508458991873192568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-2183486692201961452010-08-21T17:01:34.651+05:302010-08-21T17:01:34.651+05:30मनोज जी कम शब्दों में आपने अदभुद कविता कह दी है.. ...मनोज जी कम शब्दों में आपने अदभुद कविता कह दी है.. खास तौर पर...<br />"तेरा आना<br />अगरबत्ती की<br />सुगंध-सा!<br />उड़ जाता है<br />अवसाद मन का<br />प्रकाश में<br />अंधेरे सा<br />जब तुम<br />आ जाती हो!"<br />अगरबत्ती के सुगंध सा किसी का आना .. नया बिम्ब प्रयोग है..<br />पहली क्षणिका भी रोमांचित कर जाती है...<br />"मेरे दर पर<br />तुम्हारा पदार्पण<br />जैसे वर्षा से भींगे पल्लवों पर<br />चमक उठी<br />सूरज की पहली किरण।"अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-86666370469531729792010-08-21T16:39:54.460+05:302010-08-21T16:39:54.460+05:30गज़ब के बिम्बो के साथ हर क्षणिका खुद बोल रही है अपन...गज़ब के बिम्बो के साथ हर क्षणिका खुद बोल रही है अपनी कहानी………………।बेहतरीन्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-33608788194129087322010-08-21T15:49:32.828+05:302010-08-21T15:49:32.828+05:30बहुत ही सुन्दरता से नए रूप से आपने प्रस्तुत किया ह...बहुत ही सुन्दरता से नए रूप से आपने प्रस्तुत किया है जो बहुत बढ़िया लगा! चित्र के साथ साथ हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-26417268741846027492010-08-21T15:41:01.846+05:302010-08-21T15:41:01.846+05:30तुम्हारे अभाव में
बिखंडित,
विघटित,
बिखरा जीवन,
...तुम्हारे अभाव में<br /><br />बिखंडित,<br /><br />विघटित,<br /><br />बिखरा जीवन,<br /><br />या<br /><br />रिसते घाव-सा,<br /><br />बाहर से तो कम<br /><br />भीतर से अधिक..<br />बहुत खूब ... सब कमाल हैं ... पर ये बेमिसाल है ... किसी के आभाव में हुवा घाव अंदर ज़्यादा होता है ... बाहर तो बस एक आवरण होता है जो भीतर झाँके नही देता .....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-36431125554972443372010-08-21T15:15:39.245+05:302010-08-21T15:15:39.245+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।बहुत अच्छी प्रस्तुति।राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63108266559629892182010-08-21T15:02:50.694+05:302010-08-21T15:02:50.694+05:30तेरा आना
अगरबत्ती की सुगंध-सा!
उड़ जाता है
अवसा...तेरा आना<br /><br />अगरबत्ती की सुगंध-सा!<br /><br />उड़ जाता है<br /><br />अवसाद मन का<br /><br />प्रकाश में अंधेरे सा<br /><br />जब तुम आ जाती हो<br />बिलकुल अगरबत्ती सी सुगंध है क्षणिकाओं में.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.com