tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post8961762313682366151..comments2024-03-21T16:36:38.774+05:30Comments on मनोज: भारतीय काव्य शास्त्र - व्यंजनामनोज कुमारhttp://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8585928923189147552018-12-07T19:18:56.330+05:302018-12-07T19:18:56.330+05:30ये श्लोक कहां का है कृपया बतायेये श्लोक कहां का है कृपया बतायेAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/05417808939453273229noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-69916571697031867442010-11-07T11:17:35.328+05:302010-11-07T11:17:35.328+05:30गिरिजेश राव जी,
आपके विचार शत-प्रतिशत सच है। क...गिरिजेश राव जी,<br /> आपके विचार शत-प्रतिशत सच है। केवल इतना सा संशोधन कर लें कि लक्षणा से भी व्यंग्यार्थ की प्रतीति होती है और वही इस अंक का विवेच्य विषय है। आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49295630888650839912010-11-04T16:58:52.664+05:302010-11-04T16:58:52.664+05:30--अच्छी तरह से व्याख्यायित--
----शास्त्रीजी, अविद...--अच्छी तरह से व्याख्यायित--<br /><br />----शास्त्रीजी, अविद्या नहीं अभिधा shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-40482782805348110352010-11-02T11:24:57.895+05:302010-11-02T11:24:57.895+05:30यह विश्लेषण तो कमाल का रहा. भूले-विसरे 'शब्द&#...यह विश्लेषण तो कमाल का रहा. भूले-विसरे 'शब्द' भी याद आ गए. अति उत्तम !! श्री गुरुवे नमः !!!करण समस्तीपुरीhttps://www.blogger.com/profile/10531494789610910323noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-54933763467269443922010-11-01T13:25:22.291+05:302010-11-01T13:25:22.291+05:30सार्थक
इसे उपयोगी एवम महत्व पूर्ण ही माना जावेगा
...सार्थक<br />इसे उपयोगी एवम महत्व पूर्ण ही माना जावेगा <br /><a href="voi-2.blogspot.com/2010/10/blog-post_31.htm/" rel="nofollow">मैं महा मिलन के क़रीब हूं</a>बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6749053347578798662010-11-01T08:00:10.543+05:302010-11-01T08:00:10.543+05:30प्रोत्साहन के लिए अपने सभी पाठकों का मैं हृदय से ...प्रोत्साहन के लिए अपने सभी पाठकों का मैं हृदय से आभारी हूँ।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8125176818397806922010-10-31T23:05:46.984+05:302010-10-31T23:05:46.984+05:30मुलाक़ात रोज़ होती है व्यंजना से,लेकिन इसका वैज्ञानि...मुलाक़ात रोज़ होती है व्यंजना से,लेकिन इसका वैज्ञानिक अध्ययन आज मिला!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-65775675013864644022010-10-31T22:09:23.363+05:302010-10-31T22:09:23.363+05:30Ray jee ke hum aabhaari hai ki hume inte sari jaan...Ray jee ke hum aabhaari hai ki hume inte sari jaankaari de rahe hai.मोहसिनhttps://www.blogger.com/profile/05133114471401092669noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-63132352753192405312010-10-31T20:46:01.753+05:302010-10-31T20:46:01.753+05:30ऐसा प्रतीत होता है कि बहुधा शब्दार्थ व्यक्ति-सापेक...ऐसा प्रतीत होता है कि बहुधा शब्दार्थ व्यक्ति-सापेक्ष भी होते हैं। अन्यथा,क्या कारण है कि एक ही रचना के अनेक अर्थ निकाले जाते हैं? ऐसी परिस्थिति में,यह कैसे निश्चित हो कि लेखक का मूल अभिप्राय अभिधात्मक था,लक्षणात्मक अथवा व्यंजनात्मक?कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-49153425277173742232010-10-31T19:14:59.733+05:302010-10-31T19:14:59.733+05:30काव्य शास्त्र की शास्त्रीय जानकारी से हम रचनाकारों...काव्य शास्त्र की शास्त्रीय जानकारी से हम रचनाकारों को बहुत ही भला होगा, इसमें दो राय नहीं है, राय जी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-8214370261266209002010-10-31T18:48:59.460+05:302010-10-31T18:48:59.460+05:30अबिधा, लक्षणा ओर व्यंजना को तो अब हम भी भूलने लगे ...अबिधा, लक्षणा ओर व्यंजना को तो अब हम भी भूलने लगे हैं!<br />--<br />उम्मीद लगाये बैठे हैं कि कभी तो हिन्दी के दिन उबरेंगे ही!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-69099884348339577662010-10-31T16:54:30.078+05:302010-10-31T16:54:30.078+05:30मुझे नई जानकारी मिली |अच्छी जानकारी के लिए
आभार ...मुझे नई जानकारी मिली |अच्छी जानकारी के लिए <br />आभार |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-30566909038280816302010-10-31T13:23:13.199+05:302010-10-31T13:23:13.199+05:30.
हिंदी की अद्भुत जानकारी के लिए आभार। मुझे तो स....<br /><br />हिंदी की अद्भुत जानकारी के लिए आभार। मुझे तो सिर्फ अभिद्या में बात करना आता है। <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-23430193119961904652010-10-31T13:20:49.189+05:302010-10-31T13:20:49.189+05:30बहुत ही ज्ञान की बाते बताते हे आप , बहुत अच्छा लगत...बहुत ही ज्ञान की बाते बताते हे आप , बहुत अच्छा लगता हे, धन्यवाद एक अति सुंदर ओर ज्ञानवर्धक लेख के लियेराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-6988945816702609532010-10-31T11:03:51.269+05:302010-10-31T11:03:51.269+05:30काव्यशास्त्र पर अच्छी जान्कारी प्रस्तुत की गयी है,...काव्यशास्त्र पर अच्छी जान्कारी प्रस्तुत की गयी है, धन्यवाद.शमीमhttps://www.blogger.com/profile/17758927124434136941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-61694128310075483212010-10-31T09:48:12.465+05:302010-10-31T09:48:12.465+05:30काव्यशास्त्र पर सटीक और शोधपूर्ण जानकारी आपके ब्लॉ...काव्यशास्त्र पर सटीक और शोधपूर्ण जानकारी आपके ब्लॉग पर मिलती है , शब्द शक्तियों पर गंभीरता से विचार किया है आपने , पूर्व लेखों मैं भी आज की तरह अच्छी जानकारी आपने दी थी !<br />सार्थक पोस्ट .......शुभकामनायेंकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-9561300250814657822010-10-31T09:00:39.919+05:302010-10-31T09:00:39.919+05:30ज्ञान की धारा ऐसे ही बहाते रहें। जिन्हें जरूरत है ...ज्ञान की धारा ऐसे ही बहाते रहें। जिन्हें जरूरत है वे लाभान्वित होते रहेंगे।<br />धन्यवाद।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/15988235447716563801noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-52624807303133594982010-10-31T08:58:11.923+05:302010-10-31T08:58:11.923+05:30उद्धरण के साथ बहुत अच्छी तरह समझाया गया है।
साहित...उद्धरण के साथ बहुत अच्छी तरह समझाया गया है।<br /><br />साहित्य के क्षेत्र में आपका प्रयास सराहनीय है। इससे रचनाकार और पाठक को बेहतर समझ में सहायता मिल रही है।। <br />आभार,हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-88372628343693622292010-10-31T07:46:26.219+05:302010-10-31T07:46:26.219+05:30ग्यान्वर्धक पोस्ट .ग्यान्वर्धक पोस्ट .ज़मीरhttps://www.blogger.com/profile/03363292131305831723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5482943667856126886.post-64457586711116406172010-10-31T07:41:11.914+05:302010-10-31T07:41:11.914+05:30उत्तम। अति उत्तम।
मोटा मोटी यह है कि:
अभिधा - सीध...उत्तम। अति उत्तम।<br /><br />मोटा मोटी यह है कि:<br />अभिधा - सीधी बात।<br />लक्षणा - मुख्यार्थ में बाधा। अर्थ कहे से अलग।<br />व्यंजना - मुख्यार्थ में बाधा नहीं। अर्थ कहे से अलग।<br /><br />अगर हो सके तो संशोधन सुझाइएगा।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.com