बुधवार, 15 जनवरी 2014

हतनुर जलाशय के किंगफिशर

हतनुर जलाशय के किंगफिशर

मनोज कुमार

जनवरी के दूसरे सप्ताह में महाराष्ट्र के जलगांव ज़िले के वरणगांव शहर जाना हुआ। पहुंचने पर मालूम हुआ कि वहां स्थित रक्षा मंत्रालय के उत्पादन ईकाई आयुध निर्माणी वरणगांव में एक औद्योगिक कर्मचारी श्री अनिल महाजन पक्षी प्रेमी हैं और वहां उनके संरक्षण हेतु एक ग़ैर सरकारी संगठन से जुड़े हैं। मैंने उनसे मिलने पर उनके सामने पक्षियों के दर्शन का प्रस्ताव रखा और वे फौरन तैयार हो गए। उनके साथ हम पहुंचे हतनुर जलाशय के पास। तवा नदी पर बने इस जलाशय में हजारों की संख्या में प्रवासी और स्थानीय पक्षी पाए जाते हैं। हरितिमा से आच्छादित  दलदल ज़मीन इस स्थल को पक्षियों के लिए उपयुक्त बनाते हैं।

किंगफिशर (किलकिला)

अत्यंत आकर्षक और ख़ूबसूरत किंगफिशर की भारत में नौ प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें स्मॉल ब्लू किंगफिशर और सफेद ब्रेस्टेड किंगफिशर अधिक जानी-पहचानी जाती हैं।

  1. PIED KINGFISHER – Ceryle rudis
  2. SMALL BLUE KINGFISHER - Alcedo atthis
  3. BLUE-EARED KINGFISHER – A. meninting
  4. ORIENTAL DWARF KINGFISHER – Ceyx erithacus
  5. STORK-BILLED KINGFISHER – Halcyon capensis
  6. RUDDY KINGFISHER – H. coromanda
  7. WHITE-BREASTED KINGFISHER – H. smyrnensis
  8. BLACK-CAPPED KINGFISHER – H. pileata
  9. COLLARED KINGFISHER - Todiramphus

किंगफ़िशर का स्थानीय नाम किलकिला या कौड़िल्ला है। बंगाल में इसे शंदाबुक मछरंगा कहा जाता है जबकि तमिल में इसे मीनकोट्टि कहते हैं। कन्नड़ में इसे राजामत्सी और उड़िया में माछरंका कहा जाता है। पंजाबी में बड्डा मछेरा जबकि असमिया में लाली माछ सोराई कहते हैं।

स्मॉल ब्लू किंगफिशर

1472944464e89cdc7799ffयह पूरे भारत में पाया जाता है। 18 से.मी. के आकार के इस पक्षी का आकार लगभग गौरेया जितना होता है। इसके शरीर का ऊपरी हिस्सा तथा पूंछ नीले-हरे या फ़िरोजी रंग का होता है। इसके सामने के धड़ वाला हिस्सा चाकलेटी-भूरा होता है। इसकी चोंच सीधी और मज़बूत नुकीली होती है। इस चोंच के साथ किंगफिशर के लिए मछली पकड़ना आसान होता है। इसकी पूंछ छोटी होती है। नर और मादा दिखने मे समान ही होते हैं। यह पक्षी आमतौर पर अकेला रहना पसंद करता है। ये पक्षी पानी के स्रोतों के पास दिखाई देता है। नदी, पोखर, तालाब, पानी से भरे गड्ढे, आदि के आस-पास के पेड़ों की डालों या तारों पर ये बैठे होते हैं और वहां से ये मछली या अन्य छोटे जलीय जन्तु टैडपोल, केकड़ा आदि पर निगाह जमाए रहते हैं। यह पानी के ऊपर तेजी से उड़ता है और चीं-चीं की आवाज़ निकालता है, फिर तेजी से अपने शिकार पर झपट्टा मारता है तथा उसे चोंच में दबाकर पेड़ की डाल आदि पर बैठकर खाता है।

स्मॉल ब्लू किंगफिशर मार्च-जून तक अपना घोंसला बनाता है। यह नदी के आस-पास के एकान्त गर्तों की ज़मीन खोद कर एक सुरंगनुमा घोंसला बनाता है। इसकी लम्बाई 50 से.मी. होती है। सुरंगनुमा घोंसले का आख़िरी भाग चौड़ा होता है और यहां अंडों को सुरक्षित रखा जाता है। ये एक बार में पांच से सात अंडे देते हैं। नर और मादा दोनों अंडों की देखभाल बारी बारी से करते हैं।

व्हाइट ब्रेस्टेड किंगफिशर हेलकायोन स्मिरनेनसिस – Halcyon smyrnensis

इनका आकार कबूतर और मैने के बीच का (28 से.मी.)होता है। चमकदार त्वचा वाले इस पक्षी की पीठ फिरोजी नीले रंग की होती है। इसका सिर, गर्दन और धड़ का निचला भाग चॉकलेटी भूरे रंग का होता है। इसके सामने वाली गर्दन के नीचे का हिस्सा सफेद होता है। इसकी चोंच लाल रंग की, मज़बूत, लम्बी और नुकीली होती है। इसका पैर लाल होता है। जब यह उड़ता है तो अंदर का सफेद हिस्सा स्पष्ट दिखाई देता है।

यह भी ज़्यादातर अकेले रहना और अकेले शिकार करना पसंद करता है। यह बाग-बगीचे, पेड़ों की बहुतायत वाले स्थानों और पानी के आस-पास या बिना पानी के जगहों पर भी पाया जाता है। भारत के सभी समतल मैदानी इलाकों और कम ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में पाया जता है। यह बहुत अधिक पानी पर निर्भर नहीं करता। पोल के ऊपर तारों पर हम इसे बैठा हुआ देख सकते हैं। यहां से यह अपने शिकार को अच्छी तरह से देख पाता है। जब भी इसे रैंगता हुआ या पानी में तैरता शिकार दिखता है यह उसके उपर इधर-उधर उडता है और सही अवसर पर झपट कर ले आता है। इसके भोजन में जलीय जन्तुओं मछली, टैडपोल, के अलावा ग्रासहॉपर, छोटी छिपकिलियां, गिरगिट और अन्य कीड़े शामिल हैं।

White-throated Kingfisherइसकी आवाज़ काफ़ी तेज़ और कर्कस होती है। उड़ते समय निकलने वाली इसकी आवाज़ दुहराती हुई चटचट चिर्र के एक अनवरत स्वर के रूप में होती है। प्रजनन के मौसम में यह आवाज़ काफ़ी तेज़ हो जाती है। इनमें प्रजनन मानसून आने से पहले मार्च से जून-जुलाई के मध्य होता है। मार्च-जुलाई तक यह अपना घोंसला बनाता है। यह नदी के आस-पास के एकान्त गर्तों की ज़मीन खोद कर एक सुरंगनुमा घोंसला बनाता है। इसकी लम्बाई 50 से.मी. होती है। यहां अंडों को सुरक्षित रखा जाता है। ये एक बार में पांच से सात गोल अंडे देते हैं। इनके अंडे सफेद होते हैं। नर और मादा दोनों अंडों की देखभाल बारी बारी से करते हैं।

पाइड किंगफ़िशर सेरिल रूडिस

हमे एक पाइड किंगफ़िशर भी वृक्ष की शाखा पर बैठा दिखा। काफ़ी मशक्क़त के बाद हम उसे अपने कैमरे में क़ैद कर सके। मैना के आकार के इस पक्षी का आकार 31 Cm के आसपास होता है। चश्मे के ऐसा धब्बा आंख के पास और शरीर पर काली और सफेद धारियां पाई जाती हैं। नर के गले पर काली पट्टी होती है, जबकि मादा में यह पट्टी टूटी होती है। स्थिर जलाशय, झील, गड्ढ़े एवं धीमी गति से बहने वाले झरनों के समीप इसे देखा जा सकता है। भोजन में यह मछली ज़्यादा से ज़्यादा खाना पसंद करता है जिन्हें यह पानी में गोता लगा कर पकड़ता है।

किसी जलाशय के आस-पास किंगफ़िशर का पाया जाना उस जलाशय में मछलियों और अन्य प्राणियों के बहुतायत में होना दर्शाता है।

अन्य किंगफ़िशर

blue eared kingfisherRUDY KINGFISHERORIENTAL DWARF KINGFISHERCOLLARED KINGFISHERSTORK BILLED KINGFISHER

10 टिप्‍पणियां:

  1. इसकी एक प्रजाति पतिरंगा से मिलती जुलती है -बढियां जानकारी!

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  2. बहुत सुन्दर परिचय!! और उतने ही सुन्दर प्रकृति के प्रथम नागरिकों से मिलवाने का आभार!!

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (16-01-2014) को "फिसल गया वक्‍त" चर्चा - 1494 में "मयंक का कोना" पर भी है!
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. वाकई सलिल भाई ने ठीक कहा है , प्रकृति के सबसे सुंदर और भले नागरिक हैं यह ! आपका आभार इस खूबसूरत पोस्ट के लिए !

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  5. प्रकृति के विविध खूबसूरत रंग फूलों की ही तरह इन पक्षियों ने भी पाये हैं।

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  6. प्रजाति की विस्तृत जानकारी ... अच्छा लगा पढ़ के और इतने रंगीन पंछी देख के ...

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  7. अत्यंत आकर्षक और खूबसूरत किंगफिशर ने मन मोह लिया।

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  8. वाह, प्यारे जीव। हमारे यहाँ तो दारू बनाने वाली कम्पनी के हो गये हैं।

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  9. खुबसूरत पक्षियो के विषय में पढ़ना अच्छा लगा..आभार

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