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सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

जमीन से कटे हुए

-- श्याम सुन्दर चौधरी

पति पत्नी एकटक उस शोकेस की ओर देखे जा रहे थे। एकाएक उनके सात साल के बच्चे ने चिल्लाकर कहा, ‘मम्मी, वह देखो, मैं वह मोटर लूंगा...........’

‘हां बेटे जरूर लेना’ कहते हुए दोनों बच्चे को लेकर दुकान के भीतर गये। पति की फरमाइश के अनुसार सेल्समैन ने मोटर निकालकर सामने रख दी। पति ने उसे घुमाफिरा कर देखा किन्तु मेड इन इण्डिया पर नजर पड़ते ही उसके चेहरे के भाव बदल गये। उसने कोई विदेशी मोटर दिखाने को कहा। सेल्समैन ने अफसोस जाहिर करते हुए बताया कि उसके स्टॉक में मोटर सिर्फ भारत की ही हैं और दूसरी चीजें जरूर विदेशी हैं, अगर चाहिए तो.......।

पर लड़के को मोटर के अलावा और कुछ पसन्द ही नहीं आ रहा था। उसके मम्मी पापा दोनों समझाने लगे। ‘बेटे, यह मोटर इण्डिया की बनी है, जल्दी खराब हो जायेगी । यह देखो.... इंगलैण्ड, जर्मनी, अमेरीका के कितने सुन्दर खिलौने हैं, इनमें से ले लो न।’

लेकिन पुत्र की जिद के आगे हारकर उस दम्पती को मन मारकर वही खिलौना लेना पड़ा।

दुकान से लौटते हुए पति पत्नी से कह रहा था, ‘देखो. ध्यान रखना। यह मोटर मिसेज खन्ना की नजर में न आ जाये। वैसे ही वह जरा सी बात पूरे मुहल्ले में गाती फिरती है और फिर अच्छा भी तो नहीं लगता है कि एक पड़ोसी के पास इम्पोर्टेड सामान की भारमार है और दूसरे के पास बच्चों के खिलौने तक देशी।

पत्नी ने गर्दन हिलाकर उसकी बात का समर्थन किया। उधर उनका लड़का बड़े प्यार से उस मोटर के ऊपर हाथ फेर रहा था।