अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस
मनोज कुमार
हालांकि ‘शिक्षक दिवस’ विश्व के अधिकांश देशों में अलग-अलग
दिन मनाया जाता है, लेकिन 05 अक्टूबर
को अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस या विश्व शिक्षक दिवस संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में मनाया जाता है। 5 अक्टूबर, 1966 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा यूनेस्को (सयुंक्त
राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन) और अंतर्राष्ट्रीय श्रम
संगठन की बैठक हुई थी, जिसमें अध्यापकों की स्थिति पर चर्चा हुई। इस बैठक में शिक्षकों
के लिए कुछ मानदंड तय करने की बात कही गई थी एवं इस बात पर भी विचार किया गया कि
शिक्षक ऐसा हो जो अभ्यास तथा निरंतर शिक्षा के माध्यम से स्वयं के ज्ञान को आधुनिक
आवश्यकताओं के अनुसार विकसित करता रहे। बैठक के अंत में 'टीचिंग इन फ्रीडम' संधि पर हस्ताक्षर किया गया था। उस
संयुक्त बैठक को याद करने के लिये अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यूनेस्को
ने 05 अक्टूबर को ‘अन्तरराष्ट्रीय
शिक्षक दिवस’ घोषित किया। 1994 में आयोजित
एक सम्मेलन में उच्चतर शिक्षा से जुड़े शिक्षकों की स्थिति को लेकर की गई यूनेस्को
की अनुशंसाओं को अंगीकृत किया गया और तब से इस दिन ‘अन्तरराष्ट्रीय
शिक्षक दिवस’ लगातार मानाया जाता है।
विश्व शिक्षक दिवस का मुख्य उद्देश्य है शिक्षकों के प्रति
सहयोग को बढ़ावा देना और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करना और शिक्षकों
के महत्व के प्रति जागरुकता लानाइसका एक और प्रमुख उद्देश्य है कि इस पेशे में
प्रतिभाशाली दिमाग और युवा प्रतिभाओं को आकर्षित किया जाए। 2019 में, विश्व शिक्षक
दिवस की थीम है “युवा शिक्षक: पेशे का भविष्य”। इस दिन स्कूल-कॉलेजों आदि में अपने अध्यापकों तथा गुरुओं के सम्मान में
अनेक प्रकार के कार्यक्रम आदि आयोजित किए जाते हैं। जिन शिक्षकों ने अपने क्षेत्र
में महत्वपूर्ण योगदान दिया होता है उन्हें इस विशेष दिवस के मौके पर सम्मानित
किया जाता है। । विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा इस
दिन एक छात्र की ज़िंदगी में शिक्षकों के महत्व को रेखांकित किया जाता है।
शिक्षक का समाज में आदरणीय व सम्माननीय स्थान
होता है। अच्छे शिक्षक के
बिना अच्छे समाज की परिकल्पना करना असंभव है। आइए हम शिक्षकों
के पक्ष में जनसमर्थन जुटाएं और उनके सशक्तीकरण को सुनिश्चित करें ताकि आने वाली
पीढ़ियों की जरूरतों और समाज के प्रति अपनी विशिष्ट जिम्मेदारी को शिक्षक
प्रोत्साहित होकर पूरा करते रहें। यदि हम शिक्षकों का सशक्तीकरण करेंगे तो
प्रत्येक बच्चे और युवा को आज़ादी के साथ सीखने का अवसर मिलेगा। अपने
शिक्षकों के महान कार्यों के बराबर हम उन्हें कुछ भी तो नहीं लौटा सकते, लेकिन हम उन्हें सम्मान और धन्यावाद तो दे ही सकते हैं।
“थैन्कयू टीचर!”