भारतीय
धूसर धनेश
मनोज
कुमार
अंग्रेज़ी में नाम : इंडियन ग्रे हॉर्नबिल (Indian Grey Hornbill)
वैज्ञानिक नाम
: टोकस
बाइरोस्ट्रिस (Tockus/Ocyceros birostris)
स्थानीय नाम : हिन्दी
में इसे धनेश, धन्मार, धानेल, लामदार, बांग्ला में पुटियल धनेश, पंजाबी में
धनचिड़ी, गुजराती में चिलोत्रो, उड़िया में कोचिलखाई, मराठी में भिनास, तेलुगु में
कोम्मु कसिरि, तमिल में इरावक्के, और कन्नड़ में बूडु कोडुकोक्कि कहा जाता है।
व्याप्ति : धनेश की 25 जातियां अफ़्रीका में पाई जाती हैं। इसके अलावा भारत, म्यांमार, थाईलैंड,
मलाया, सुन्डा आईलैंड, फिलीपीन्स, न्यूगिनी आदि दक्षिण-पूर्व एशिया के भागों में इसकी 20 जातियां मिलती हैं। भारत में यह जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीस गढ़, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा और राजस्थान के कुछ भागों में पाया जाता है।
अन्य प्रजातियां
: विश्व में धनेश की 45 प्रजातियां और
भारत में 9/16 प्रजातियां पाई जाती हैं।
1.
भीमकाय धनेश (ग्रेट हॉर्न बिल) (Buceros
bicornis) – अरुणाचल प्रदेश और केरल का राज्य पक्षी है।
2.
मालाबार का धूसर धनेश (O. griseus)
3.
भारतीय श्वेत-श्याम धनेश
(Anthracoceros albirostris)
4.
मालाबार का श्वेत-श्याम धनेश (A.
coronatus)
5.
नारंगी-भूरी गर्दन वाला धनेश (Aceros
nipalensis)
6.
गोल झालर वाला धनेश (A. undulates)
7.
Brown Hornbill (Anorrhinus tickelli)
8.
Narcondam Hornbill (Rhyticeros narcondami)
आदत और वास : यह एक सामाजिक
पक्षी है। ये खुले
मैदानों, हल्के जंगलों, फल बागानों, सड़क के किनारे उगे वृक्षों, बाग-बगीचों आदि
जगह जहां काफी संख्या में पीपल, बरगद आदि फाइकस कुल के पेड़ उगे होते हैं, पाए जाते
हैं। फलभक्षी होते हैं। ये समूहों में रात
बिताते हैं और सुबह होते ही फलों, सूंडी, कीड़ों और छिपकलियों की खोज में चारो ओर
उड़ जाते हैं। पेड़ों पर रहने वाले ये पक्षी दीमकों को खाने के लिए बार-बार
ज़मीन पर नीचे भी आते रहते हैं। उड़ान पर जाने के लिए ये एक-एक कर उड़ते हैं। इनकी
उड़ान लहरदार और शोरयुक्त होती है। यह बहुत शोर मचाने वाला पक्षी है। ये पक्षी ज़ोर-ज़ोर
से ‘चीं-ईन’ और ‘कांई-ईन’ की आवाज़ करते हैं।
भोजन : ये अंजीर की नई
पत्तियां, जंगली फल, बीज,
बेरियां, सूंडी, कीड़ों और छिपकलियां आदि खाते हैं।
प्रजनन : इस पक्षी का घोंसला बनाने और अंडा देने का ढंग बड़ा ही निराला है। धनेश घोंसले नहीं बनाते। मार्च से जून के बीच, जब अंडा देने का समय नज़दीक आता है, तब नर धनेश मादा को किसी पेड़ के तने के खोखले भाग के छिद्र (कोटर) में बिठा देता है। मादा इसी में अंडा देती है। एक बार मे 2-3 अंडे देने के बाद मादा अंडे सेने बैठ जाती है। नर मादा को उस कोटर में बिठाकर छिद्र का द्वार पेड़ की छाल के गूदे और अपने चिपचिपे थूक से बंद कर देता है, केवल एक छोटा-सा सुराख भर छोड़ता है। इस सुराख से मादा की चोंच निकली रहती है। नर बाहर से मादा के लिए भोजन ला-लाकर उसकी निकली हुई चोंच में भोजन पहुँचाता रहता है। भीतर बैठी मादा आराम से भोजन खाती और अंडे सेती रहती है। खुद को दिए गए इस कारावास के दौरान मादा के पंख झड़ जाते हैं। बाद में फिर से नए पंख निकल भी आते हैं। अंडा फूटने पर जब उसमें से बच्चा बाहर निकलता है। बच्चे तो उसी घर में रह जाते हैं, लेकिन मादा के बाहर निकलने के लिए द्वार तोड़ दिया जाता है। इसके बाद माता-पिता दोनों मिलकर द्वार पर छोड़ी गई दरार से चूजों को भोजन कराते हैं। धनेश के अंडों से चूजे एक साथ नहीं निकलते। बड़ा चूजा छोटे चूजे से 4-5 दिन बड़ा हो सकता है। इस तरह की क्रिया को ‘असिंक्रोनोअस हैचिंग’ कहते हैं। इस प्रकार चूजे उसी सुरक्षित घर में भय रहित रहते हैं। जब उसके पर निकल आते हैं और वह उड़ने लायक हो जाता है, तब वह द्वार पर बनी दरार को बड़ा करके बाहर आ जाता है। एक-दो दिन बाद छोटा चूजा भी बाहर आ जाता है।
विलुप्तता की कगार पर
समय के साथ यह पक्षी कई कठिनाइयों का सामना कर रहा है। लोगों के अंधविश्वास की मानसिकता ने आज इस पक्षी को विलुप्तता की कगार पर
पहुँचा दिया है। कुछ लोगों का मानना है कि इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं
तथा गठिया रोग के लिये धनेश का तेल रामबाण औषधि है। ऐसी मान्यता के चलते इस
अद्भुत् पक्षी की हत्या दिन ब दिन हो रही है।
संदर्भ
1.
The Book of Indian Birds – Salim Ali
2. Popular
Handbook of Indian Birds – Hugh Whistler
3. Birds of
the Indian Subcontinent – Richard Grimmett, Carlos Inskipp, Tim Inskipp
4. Latin
Names of Indian Birds – Explained – Satish Pande
5. Pashchimbanglar
Pakhi – Pranabesh Sanyal, Biswajit Roychowdhury
6. भारत का राष्ट्रीय पक्षी और राज्यों के राज्य पक्षी –
परशुराम शुक्ल
7. हमारे पक्षी – असद आर. रहमानी
8.
एन्साइक्लोपीडिया
पक्षी जगत – राजेन्द्र कुमार राजीव
9. Watching
Birds – Jamal Ara
10. Net -
***
धनेश पक्षी के बारे में रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी
जवाब देंहटाएंहमारे बगीचे में नीम के पेड़ में भी यह पक्षी आता है और नाले के पास के पेड़ों पर यह कोटर में अंडे देते हैं। आजकल हर दिन कम से कम ६ -७ धनेश नज़र आते हैं। इनके बारे में आपने बहुत अच्छी जानकारी दीं, धन्यवाद। मुझे भी पक्षियों के बारे में जानने की बड़ी जिज्ञासा रहती हैं, इसलिए जिसके बारे में नहीं जानती लोगों से पूछती हूँ जहाँ कुछ लोग जो जानते हैं वे बता लेते हैं और कुछ को इंटरनेट पर सर्च कर जानने की कोशिश करती हूँ।
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी है।
जवाब देंहटाएंआदरणीय मनोज कुमार जी मेरा व्हाट्सप और फोन नम्बर 7906295141 है।
क्या मैं आपका फोन नम्बर जान सकता हूँ।
यहाँ लिखने की आवश्यकता नहीं है।
मिसकाल कर दीजिए बस।
सबसे पहले आपकी सक्रियता के लिए बधाई । मैं ही आपकी पोस्ट पर देर से आई ।।धनेश के बारे में एक तरह से मुझे शून्य जानकारी थी । आपकी पोस्ट से काफी कुछ जानने को मिला । आभार ।
जवाब देंहटाएंVery Nice
जवाब देंहटाएंVery useful information. Latest news padhe Atozyournews
जवाब देंहटाएंTodaynews
जवाब देंहटाएंIndia won historic gold in lawn balls
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thanked the country by sharing an emotional note
Nice information thanks for share
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंhello
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