-- करण समस्तीपुरी
दुआ हर ओर से आए, दिवाली तब दिवाली हो।
दिया हर घर में जल जाए, दिवाली तब दिवाली हो॥
जले आहुतियाँ पहले सभी कलुषित विचारों की।
अँधेरा मन का मिट जाए, दिवाली तब दिवाली हो॥
न जानें कौन से रस्ते से वन को थे गए रघुवर।
अवध में लौट कर आएँ, दिवाली तब दिबाली हो॥
विदेशी क़ैद में विष्णु-प्रिया बैठी सिसकती हैं।
जो अपने घर चली आए, दिवाली तब दिवाली हो॥
न माँगे भीख होरी, ना मरे बुधिया कुपोषण से।
मिले जब काम हाथों को, दिवाली तब दिवाली हो॥
ये भ्रष्टाचार, ये आतंक, ये महँगाई है 'केशव'।
इन्हें कोई मिटा जाए, दिवाली तब दिवाली हो॥
-: ज्योति-पर्व की अनंत मंगल-कामनाएँ :-
दीपोत्सव की मंगल कामनाएँ
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति ... दीपावली पर्व के शुभ अवसर पर आपको और आपके परिजनों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ....
जवाब देंहटाएंजहाँ इतनी टूटी-फूटे गज़ल लिखकर लोग गज़ल-सम्राट बने बैठे हैं, वहाँ यह गज़ल एक धरोहर है (टूटी-फूटे के विषय में - नालंदा के टूटे फूटे खँडहर से तुलनात्मक रूप में).
जवाब देंहटाएंबहर का निर्वाह, भाव-सम्प्रेषण, शब्द-चयन और रुक्न की व्यवस्था किसी शिल्प से कम नहीं.
दीपावली के सही अर्थों में दीपावली होने की आवश्यक शर्तें बताती हुई बेहद प्रेरक गज़ल है यह..
करण जी आपको भी हमारी शुभकामनाएँ!!
चाचाजी,
हटाएंआपकी टिप्पणी से हमारा उत्साह आकाश को स्पर्श करने लगता है। वैसे ग़ज़ल लिखने का यह मेरा पहला प्रयास है और मैं सभी पाठकों से यह राज़ साझा करना चाहता हूँ कि इस ग़ज़ल के जिर्णोद्धारक आप ही हैं। दीपावली और छठ की शुभ-कामनाएँ।
दीपों के पर्व दीपावली की आप सबको बहुत बहुत शुभकामनाएं । आपका शुभकामना संदेश हमने अन्य पाठकों तक पहुंचाने के लिए बुलेटिन के इस खास पन्ने पर सहेज़ लिया है , खास इसलिए क्योंकि आज ब्लॉग बुलेटिन का ये पन्ना भी अपना पहला हैप्पी बर्थडे मना रहा है । आप आ रहे हैं न बधाई देने और शुभकामनाएं लेने के लिए । मुस्कुराते रहें , ब्लॉगियाते रहें , पढते रहें और पढाते रहें
जवाब देंहटाएंन माँगे भीख होरी, ना मरे बुधिया कुपोषण से।
जवाब देंहटाएंमिले जब काम हाथों को, दिवाली तब दिवाली हो॥
बहुत सुंदर दीपोत्सव की मंगल कामना
रौशनी और खुशियों के पर्व "दीपावली" की ढेरों मुबारकबाद!
जवाब देंहटाएंस्पैम से निकालिए कमेन्ट को भाई!!
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंडिस्कलेमर - इस ग़ज़ल के मक़ते में नाम मेरा बेशक है मगर इस स्वरूप में आप तक पहुँचाने का श्रेय आदरणीय सलिल चाचा जी को है। सो यदि आपको यह ग़ज़ल पसंद आया हो तो तारीफ़ मेरी कीजिएगा और कुछ गड़बड़ लगे तो समझ लीजिए कि किसको पकड़ना है।
जवाब देंहटाएंदीपोत्सव, भाई-दूज, चित्रगुप्त पूजा और सूर्य-षष्ठी व्रत की शुभ-कामनाएँ एवं धन्यवाद !
करण जी,
हटाएंयह कहकर आप शर्मिन्दा कर रहे हैं वत्स! जिसके अंदर संगीत बसता हो वह आसानी से गज़ल लिख सकता है. और इस गज़ल में तो मेरा कोई योगदान नहीं है. सारे शब्द आपके हैं, ख़याल आपके हैं. बल्कि मक्ते में मैंने आपके नाम को इनवर्टेड कॉमा में रखने की सलाह दी थी, जो यहाँ नहीं दिख रही!! इससे साबित हुआ कि यह पूरी गज़ल आपका शाहकार है और इसकी वाहवाही के अधिकारी आप हैं.
इस गज़ल में वैसे मेरा कंट्रीब्यूशन मतले से मक्ते तक है और वो है आशीर्वाद के रूप में, जो दीप की तरह झिलमिला रहा है!! जीती रहिये वत्स!!
काश मने ऐसी दीवाली..
जवाब देंहटाएंकेशव भाई
जवाब देंहटाएंग़ज़ल का तो नहीं पता लेकिन दिल को छू गई यह रचना। काश ऐसी दिवाली हो पाती अपनी। विसंगतियों के बीच से निकल कर आई एक मुकम्मल रचना। सलिल सर तो कभी क्रेडिट लेंगे नहीं। आप ही ले लीजिये बधाई और शुभकामना ,
***********************************************
जवाब देंहटाएंधन वैभव दें लक्ष्मी , सरस्वती दें ज्ञान ।
गणपति जी संकट हरें,मिले नेह सम्मान ।।
***********************************************
दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
***********************************************
अरुण कुमार निगम एवं निगम परिवार
***********************************************
बहुत सुंदर ....
जवाब देंहटाएंविदेशी क़ैद में विष्णु-प्रिया बैठी सिसकती हैं।
जवाब देंहटाएंवो अपने घर चली आए, दिवाली तब दिवाली हो॥
- जब एक और को पधरा दिया गया है ,तो वो विष्णु-प्रिया को क़ैद से छूटने देगी ?
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .बहुत अद्भुत अहसास.सुन्दर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !
मंगलमय हो आपको दीपो का त्यौहार
जीवन में आती रहे पल पल नयी बहार
ईश्वर से हम कर रहे हर पल यही पुकार
लक्ष्मी की कृपा रहे भरा रहे घर द्वार..
जले आहुतियाँ पहले सभी कलुषित विचारों की
अँधेरा मन का मिट जाए, दिवाली तब दिवाली हो
वाऽह वाऽह ! क्या बात है !
सुंदर भाव ! सुंदर शब्द !
करण समस्तीपुरी जी
बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है …
मनोज जी
अच्छी रचनाएं पढ़ने का अवसर देने के लिए धन्यवाद !
साधुवाद एवं आभार …
शुभकामनाओं सहित…
एक एक शेर बंधू आपका दीप सा तैयार है
जवाब देंहटाएंइन्हें कोई जला जाये दिवाली तब दिवाली हो ।
This is very nice....especially this line:
जवाब देंहटाएंदुआ हर ओर से आए, दिवाली तब दिवाली हो।
दिया हर घर में जल जाए, दिवाली तब दिवाली हो॥
razor wire