विश्व बन्धुत्व और क्षमायाचना दिवस
मनोज कुमार
आज 14 सितम्बर है। यह दिन विश्व बन्धुत्व और
क्षमायाचना दिवस के रूप में प्रति वर्ष मनाया जाता है।
पूरी दुनिया एक है। ज़रूरी है कि हम पूरे विश्व के प्रति बन्धुत्व
यानी भाईचारे के भाव
को विकसित करके वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा को साकार करें। विश्व बन्धुत्व का
आधार एक ऐसे युद्धरहित दुनिया के निर्माण का होना चाहिए जिसका सर्वोच्च तथा परम
लक्ष्य मानव जाति के भविष्य को सुरक्षित बनाना हो। अतः अंतरराष्ट्रीय सद्भावना के
लिए विश्व
बन्धुत्व की भावना का फलना-फूलना आवश्यक
है। इसके लिए सहयोग एवं मैत्री की भावना से शान्ति आन्दोलन के प्रति प्रतिबद्ध
शक्तियों को संगठित एवं पुनर्बलित करने का प्रयास सारे संसार में होना चाहिए। इसी
उद्देश्य को लेकर14 सितम्बर को विश्व बन्धुत्व और क्षमायाचना दिवस
के रूप में मनाया जाता है।
भाईचारा के निर्वाह के समय अक्सर यह देखा जाता है कि कडवाहट मंद पड़
जाती है। विश्व वन्धुत्व और क्षमायाचना दिवस के अवसर को हमें किसी भी गलत कार्यों को सुधारने के अवसर के रूप
में मनाना चाहिए। इसका परिणाम होगा कि लोगों के बीच की कटुता दूर होगी और एक ऐसी
भावना का विकास होगा जो जो लोगों को एक साथ मिलजुल कर भाईचारे के साथ रहने के लिए
प्रोत्साहित भी करेगी।
खेद व्यक्त करना और क्षमा मांगना और दूसरे को
क्षमा कर देना मानव की श्रेष्ठ शक्तियों में से एक है।
क्षमा शस्त्रं करे यस्य दुर्जनः किं करिष्यति।
अत्रिने पतितो वहिः स्वयं एव उपशाम्यति॥
अर्थात् जो इंसान क्षमा जैसे अलंकारों से अलंकृत हो,
उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। जिस तरह आग
जमीन पर गिरकर घास की अनुपस्थिति में बुझ जाती है, ठीक उसी प्रकार क्षमा की उपस्थिति में क्रोधी
का क्रोध पानी की तरह बह जाता है।
हां महत्वपूर्ण यह है कि कोई भी खेद की
अभिव्यक्ति दिल से की जानी चाहिए। यह भी ज़रूरी है कि किसी को क्षमा करने के लिए
जहां व्यक्ति की नीयत हो वहीं उसमें साहस और धैर्य भी होना चाहिए। महात्मा गांधी ने कहा था, “दंड
देने की शक्ति होने पर भी दंड न देना सच्ची क्षमा है”।
कुछ लोग माफ़ी मांग लेने को कमज़ोरी समझते हैं।
पर यह सज्जनता का भी तो नमूना है। जो भी व्यक्ति क्षमा मांगता है वह छोटा नहीं हो
जाता। निःसंदेह माफ़ी मांगने की शाक्ति एक ऐसी शक्ति होती है जोकि पल भर में बहुत
बड़ी दूरियों को भी समाप्त कर देती है। क्षमा में
बड़ा बल है। इस एक शब्द क्षमा में असीम शक्ति निहित है। इससे हम न सिर्फ़ पुरानी
शत्रुता को मित्रता में बदल सकते हैं, बल्कि दोस्ती में आई खटास को भी पाट सकते
हैं।
वेदव्यास ने महाभारत में कहा है,
क्षमा बलं अशक्तानां शक्तानां भूषणं क्षमा।
क्षमा वशीकृते लोके क्षमाय किं न साध्ये॥
अर्तात् क्षमा एक तरफ़ जहां कमज़ोर प्राणी की ताकत है,
वहीं दूसरी तरफ़ बलवान का गहना है। ऐसा कौन सा
काम है जो क्षमा के द्वारा संभव नहीं है। इस शस्त्र के बल पर तो हम सारे जहां पर
विजय प्राप्त कर सकते हैं।
विश्वबंधुत्व और क्षमा याचना दिवस मनाने के पीछे
मूल उद्देश्य समाज के विकास का होना चाहिए। तभी हम एक संगठित समाज का निर्माण कर
सकते हैं। इसलिए हमें ग़ालीब (दीवान) की बातों पर चलना चाहिए,
रोक लो गर ग़लत चले कोई
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई
माफ़ी मांगने में बड़ी शक्ति होती है। इस शब्द के कहने भर से
दूरियां मिट जाती हैं और लोगो के मध्य मतभेद मिट जाता है। जैसे ही आप किसी से माफ़ी
मांगते हैं उसी समय आपके सकारात्मक व्यक्तित्व और स्वस्थ दिमाग के बारे में
जानकारी हो जाती है। आज के दिन हमें लोगो के बीच से दूरियों को मिटाने के लिए संकल्प
लेना चाहिए। समय आ गया है कि आपसी संघर्ष को समाप्त किया जाये और विश्व बंधुत्व की
भावना को आगे बढ़ाया जाये। अलेक्ज़ेंडर पोप ने ‘ऐन ऐसे ऑन क्रिटिसिज़्म’ मे कहा
था, “To
err is humane, to forgive is divine”
अर्थात् ग़लती करना मानवीय है, किन्तु क्षमा करना दिव्य है।
पता नहीं हमारे वांग्मय का वो उदार उद्घोष "वसुधैव कुटुम्बकं" कहाँ गया। वर्तमान समय में इसकी प्रासंगिकता बहुत अधिक है। बस एक ही प्रार्थना है, "प्राणियों में सद्भावना हो! विश्व का कल्याण हो!!"
जवाब देंहटाएंक्षमा की महिमा अपरम्पार है ।
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