आओ हिंदी दिवस मनाऍं
- करण समस्तीपुरी
स्वाभिमान की भाषा हिंदी।
जन मन की अभिलाषा हिंदी।
सुंदर इसकी है अभिव्यक्ति।
इसमें है सम्मोहन शक्ति।
भारत के माथे की बिंदी।
पुरस्कार देती है हिंदी।
चलो कहीं भाषण कर आएँ।
कविता दोहा गीत सुनाएं।
आओ हिंदी दिवस मनाऍं।
संविधान का कर लें आदर।
मन अंग्रेजी हिंदी चादर।
कोई मुश्किल बात नहीं है।
न गुजरे वो रात नहीं है।
इक दिन बस मैनेज करना है।
कल से हमको क्या करना है।
गौरव गान आज भर गाएँ।
आओ हिंदी दिवस मनाऍं।
हिंदी में रोजगार नहीं है।
हिंदी का बाज़ार नहीं है।
जब हिंदी में "न्याय" नहीं है!
हिंदी से जब आय नहीं है।
क्या होगा पढ़कर के हिंदी।
फ्यूचर हो जायेगा चिंदी।
अपने बच्चों को समझाएँ।
आओ हिंदी दिवस मनाऍं।
हिंदी की शुरूवात ही दयनीय स्थिति हुई है, उसे भी आरक्षण की तरह १० वर्ष की जगह १५ वर्ष का वनवास मिला था, किन्तु अफ़सोस वह वनवास की अवधि समाप्ति नहीं हो पायी है, अज्ञातवास में चल रही रही, इसलिए एक दिन हो-हल्ला मचाकर ढूढ़ने का उपक्रम चलता है
जवाब देंहटाएंमन अंग्रेजी और हिन्दी चादर ... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ।
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