खुशियाँ ले कर आयी दिवाली !!
नमस्कार मित्रों,
ज्योति-पर्व पर अपनी एक पुरानी रचना ले कर आपकी सेवा में उपस्थित हूँ! इस गुजारिश के साथ कि आइए जलाएं एक दीया … मैत्री, सद्भाव और मानवता का। दीया-बाती की शुभ कामनाओं के साथ,
- करण समस्तीपुरी

आओ दीप जलायें आली !
खुशियाँ ले कर आयी दिवाली !!
सब पर्वों में प्रिय पर्व यह,
इसकी तो है बात निराली !
आओ दीप जालायें आली !!
बंदनवार लगे हैं घर-घर !
रात सजी है दुल्हन बन कर !!
दीपक जलते जग-मग-जग-मग !
रात चमकती चक-मक-चक-मक !!
झिल-मिल दीपक की पांति से,
रहा न कोई कोना खाली !
आओ दीप जलायें आली !!
दादू लाये बहुत मिठाई,
लेकिन दादी हुक्म सुनाई !!
पूजा से पहले मत खाना,
वरना होगी बड़ी पिटाई !
मोजो कहाँ मानने वाली,
छुप के एक मिठाई खा ली !
आओ दीप जालायें आली !!
अब देखें आँगन में क्या है,
अरे यहाँ तो बड़ा मजा है !
भाभी सजा रही रंगोली !
उठ कर के भैय्या से बोली,
सुनते हो जी ! किधर गए ?
ले आओ दीपक की थाली !
आओ दीप जलायें आली !!
अवनी एक पटाखा छोड़ी !
आद्या डर कर घर में दौड़ी !!
झट पापा ने गोद उठाया!
बड़े प्यार से उसे बुझाया !!
देखो कितने दीप जले हैं !
एक दूजे से गले मिले हैं !!
नन्हें दीपक ने मिल जुल कर,
रोशन कर दी रजनी काली !!
आओ दीप जालायें आली !!
-:शुभ दीपावली:-