प्रतीक्षा एक दिवाली की
-- ज्ञानचंद मर्मज्ञ
मैं ने
साल दर साल दीपक जलाया,
कई बार जलकर भी
दीपावली का वादा निभा नहीं पाया !
आज भी
जब,
दूर कहीं किसी घर में कोई रोता है
तो
दीये की रोशनी काँप उठती है
आतंकित हो कर !
आज भी,
हर किरण से हादसों की पिघलती हुई तस्वीर
उसी तरह उभर आती है,
जैसे उस दिन
लाशों को बटोरते समय हुई थी !
कुछ भी तो नहीं बदला,
आज भी
दीये के नीचे से चुपके से कोई उभरता है,
और
जला जाता है मेरे विचारों के जंगल को !
और तभी
बरबस ही,
बेसुध खुले दरवाजे से दिख जाती है
एक उजड़ी हुई मांग,
जिसके चारों ओर घूमती दिखती हैं
थकी-थकी बूढ़ी बेजान आकांक्षाएं
गहरे सन्नाटे में डूबी हुई !
पीड़ा !
इतनी भयानक ?
आदमी को आदमी का सच बता कर
चीर दिया जाता है कई टुकड़ों में !
मैं ने तो अपना दीया बुझा दिया है
कुछ नहीं मिलेगा,
व्यवस्था की परछाईं को और जिद्दी बना कर !
गलती मेरी ही थी
जो जला बैठा,
ये दीये तो बेक़सूर हैं !
चलिए,
भ्रम था टूट गया,
दिवाली तो दूर,
अभी बहुत दूर है !!
दीपावली पर अगली प्रस्तुति करण समस्तीपुरी द्वारा १३.०० बजे
.
जवाब देंहटाएंआदमी को आदमी का सच बता कर
चीर दिया जाता है कई टुकड़ों में !
I wish a true Diwali will come some day, where everyone will be happy.
.
हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई
जवाब देंहटाएंजब सब हैं हम भाई-भाई
तो फिर काहे करते हैं लड़ाई
दीवाली है सबके लिए खुशिया लाई
आओ सब मिलकर खाए मिठाई
और भेद-भाव की मिटाए खाई
आप को सपरिवार दिपोत्सव की ढेरों शुभकामनाएँ
जवाब देंहटाएंप्रदूषण मुक्त दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा पोस्ट , आपको दीपावली की शुभकामनाये....
जवाब देंहटाएंsparkindians.blogspot.com
अच्छी प्रस्तुति. दीपवली की शुभकामनायें.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ...
दीपावली के पावन पर्व पर सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विसंगतियों को अभिव्यंजित करती अच्छी कविता। आभार और दीपावली के पावन अवसर पर आप सभी को हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंमार्मिक सत्य दिखाती रचना।
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
व्यंजना द्वारा चिंतन के लिए विवश कर गई आपकी कविता। बधाई।
जवाब देंहटाएंआज दीपावली है। प्रकाश पर्व। अज्ञान के अंधकार को हरने, उसे ज्ञान से प्रकाशित करने तथा रिद्धि -सिद्धि, सुख, सम्पत्ति से जीवन को आप्लावित करने की कामना का त्यौहार।
ईश्वर से कामना है कि यह दीपोत्सव आपके जीवन में सभी मनोकामनाएं पूर्ण करे।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनायें ...
बहुत अच्छी पोस्ट। आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं....
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है!
जवाब देंहटाएं--
प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
जवाब देंहटाएंहरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार
कटु सत्य बताती रचना ..
जवाब देंहटाएंvicharniya!!!
जवाब देंहटाएंregards,
अपने परिवेश में मौजूद अंतर्विरोधों के झंझावातों से जूझते संवेदनशील मन की एक बेहद संवेदनशील और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
bahut sundar rachna..deepawali par shubhkamnayen..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ... व्यवस्था की ना बदलने वाली सूरत दीये के जरिये बखूबी ब्यान की... सुन्दर कविता..
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