बुधवार, 3 नवंबर 2010

देसिल बयना - 54 : बाघ के घर की बिल्ली भी तेज़..

देसिल बयना – 54

बाघ के घर की बिल्ली भी तेज़..

कवि कोकिल विद्यापति के लेखिनी की बानगी, "देसिल बयना सब जन मिट्ठा !"
दोस्तों हर जगह की अपनी कुछ मान्यताएं, कुछ रीति-रिवाज, कुछ संस्कार और कुछ धरोहर होते हैं। ऐसी ही हैं, हमारी लोकोक्तियाँ और लोक-कथाएं। इन में माटी की सोंधी महक तो है ही, अप्रतीम साहित्यिक व्यंजना भी है। जिस भाव की अभिव्यक्ति आप AIbEiAIAAAAhCOGGwPuf3efHRhC_k-XzgODa1moYsN388brgg9uQATABK_5TSqNcP8pRR08w_0oJ-am4Ew4सघन प्रयास से भी नही कर पाते हैं उन्हें स्थान-विशेष की लोकभाषा की कहावतें सहज  ही प्रकट कर देती है। लेकिन पीढी-दर-पीढी अपने संस्कारों से दुराव की महामारी शनैः शनैः इस अमूल्य विरासत को लील रही है। गंगा-यमुनी धारा में विलीन हो रहे इस महान सांस्कृतिक धरोहर के कुछ अंश चुन कर आपकी नजर कर रहे हैं
करण समस्तीपुरी

 

अरे बाप रे बाप.... ! मैय्या रे मैय्या...... !! दैय्या रे दैय्या....... !! ऊंह....... ! अब रहा नहीं जा रहा है.... ! लगता है दरद से पेट फट जाएगा...! देव हो.... ! इ कष्ट से जल्दी उबारो.... ! राम हो.... !

ओह.... ! अब दम नहीं धरा जा रहा है..... ! लेकिन आप लोग ई से कौनो अरथ का अनरथ नहीं लगा लीजियेगा।  वायु-विकार से भी खतरनाक दरद है। आप कहियेगा, "अरे मरदे ! इन्ना दरद है तो डाक्टर-वैद से काहे नहीं दीखाता है... !" मगर उ वैद बुलाये वैदगी करेगा क्या... इहाँ कौनो हमअल-बल खा के अपच थोड़े करा लिए हैं कि उ पचनौल के पुड़िया बना के दरद उड़ा देगा.... !

अरे हजूर ! लगता है आप भूल गए कि आज बुध है। सप्ताह के छः दिन तो हम किसी तरह पेट और मुँह मे तौलिया बाँध के रहते हैं मगर बुध आते ही सुध बिसरा जाता है.... देसिल बयना पेट में कुलबुलाने लगता है.......... ! अब जब तक बकेंगे नहीं तब तक ई मरठुआ दरद चैन नहीं होगा... !

उ दिन बात कर रहे थे गिरमिटिया के टेनजिस्टर का।  बेचारे चुल्हाई मिसिर आकाशवाणी और इन्द्रधनुष सुन के सुखले में छाता लेने दौड़ गए....... हा...हा...हा...हा.... ! बेचारे गाँव के सूधो लोग। मगर उ भी एक जमाना था। अब तो गाँव-गली सब में लाइफ झींगा लाला हो गया है। बस एगो छतरी में टोटी निकाल के छत पर टांग दीजिये और घर बैठे देखते रहिये बाइस्कोप। हें...हें...हें......... !

अरे महराज... ! उ गिरमिटिया के टेनजिस्टर में तो ऐसे कनैठी देना पड़ता था जैसे पदुम लाल गुरूजी चटिया सब के कान गोलियाते थे। तब उ जा के कर्र...कर्र.......भों....पें...... कर के आकाशवाणी पकड़ता था। मगर आज-कल तो सब काम चोखा।

छत पर छतरी खोल के टांग दो। घर में एक संदुकची जैसा रख लो। हाथ में एगो टिपटिपिया पकड़ो और दबा-दबा के दिल्ली का कुतुबमीनार देखो ! घर बैठे सारा संसार देखो !! अच्छा का कहते हैं.......उ पर चैनल सब भी बड़ा मजेदार आता है। वही पर एगो का उ लड़की जैसा नाम रहा.........सोनी-मोनी....... का तो था... अबहि बढ़िया से याद नहीं आ रहा... ! मगर उ पर सनीमा और सीरियल भी बड़ी जबर्दस दीखाता रहा।

वही पर एगो सीरियल आता रहा उ का जासूसी-पुलिस वाला............. उ में काम करता रहा एसीपी और दायाँ-बयाँ ढोल-ताशा और दू चार आदमी। हाँ याद आया...... अरे उ का नाम रहा सी आई डी ! आप बुरा नहीं मानियेगा मगर जरा नीचे देख लीजिये। अरे उ का कहते हैं कि सी आई डी नामसुनते ही बड़ा-बड़ा का गीला हो जाता है। हाँ.... !

हम तो इधर दू-चारे साल से ई सी आई डी का पीछा कर रहे हैं मगर शहर-बाज़ार के लोग-बाग़ कहते हैं कि ई बारह साल से ऐसे ही दनदना रहा है। है तो ई बहादुरी वाला खेल मगर ई में भी एक से एक अजगुत (अद्भुत) बात मिलेगा। पता नहीं आप देखे हैं कि नहीं... मगर हम जब से उ सब अजगुत देखे हैं का कहें.... पेट में लहर मार रहा है। अब आप भी जरा याद कीजिये।

तो हम कह रहे थे कि उ शहर में पुलिस-उलिस का कौनो काम नहीं है। सारा केस सी आई डी ही निपटा देता है। लेकिन देखिये एतना बढ़िया काम का भी क्या फायदा... ? व्यवस्था तो वही इन्डियन ही है। ई धांसू सी आई डी फ़ोर्स को बारह साल से एक्कहि टोयोटा क्वालिस खींच रहा है। एक तरफ जरूरी संसाधन नहीं है तो एक तरफ संसाधन का उपयोग करने वाला नदारद। उ ससुर बीस मंजिला ऑफिस में काम करे वाला कुल जमा आठ आदमी।

सी आई डी में एगो रहते हैं दया सर। एकदम हट्ठा-कट्ठा कड़क जवान।  महाबली खली का सबसे छोटका भाई जैसा। मगर दुन्नु में एगो अंतर रहता है। खली का लात खा कर पहलवान ढेर हो जाता है और दया के लात से दरबाजा। चाहे कैसनो मजबूत दरबाजा और कैसनो मजबूत ताला हो। हमें तो लगता है कि सबसे ज्यादा दरबाजा तोड़ने का वर्ल्ड रिकार्ड दया सर के नाम ही होगा। अरे महराज आपको दया का माया का बताएं ? समझ लीजिये कि जब तक मुँह पर दया का घूंसा न पड़े ससुर के नाती कौनो किरिमनल से अपराध नहीं कबूलता है।

ई खाली सी आई डी ही नहीं उ का सहयोगी सब भी कमाल का है। वही में एगो रहते हैं डॉ सालुंके। वैसन ब्रिलिएंट आदमी आजतक नहीं पैदा हुआ होगा। कौन अपराध कब हुआ कैसा हुआ, मरने वाला कौन है, कब मरा, किसने मारा, कैसे मारा........ सब एकदम दित्तो बता देंगे। और तो और उ कम्पूटर पर सिरिफ कंट्रोल और आल्ट दबा कर सारा फिंगर पिरिंट मैच करा देते हैं। और कौनो सोफ्टवेयर और इनपुट का जरूरी नहीं।

ई तो हुआ सी आई डी के बहादुरी का कुछ नमूना। अब आईये आपको बताते हैं उकी कामयाबी का राज़। उ का है भैय्या कि ई सब है बजरंगबली का पकिया भगत। बाल-ब्रह्मचारी। उ में से किसी का ब्याह शादी नहीं होता है.... हें...हें...हें..... ! लेकिन एक बात बताइये इतना लगन-परिश्रम से काम करने का भी क्या फायदा ? उ में से आज तक किसी का प्रोमोशन नहीं हुआ.... ! एसीपी का भी नहीं...... ! बेचारे आज तक वैसे ही हाथ हिला रहे हैं।

अच्छा ! सी आई डी का अफसर तो अफसर पब्लिक का भी कौनो जोर नहीं है। समझिये कि आँख कैमरा और दिमाग कंप्यूटर।  जौन को एक बार देख ले उ का हू-ब-हू फोटो बनवा देता है।

उ दिन बुरबकचंद को भी ई किस्सा सुनाये रहे तो अचरज से उ का मुँह फटा जा रहा था और हंसी से पेट.... ! मगर अंत में अड़ गया। कहिस कि सब बात मान सकते हैं मगर ई तो नहीं मांगेंगे। हम कहे काहे नहीं मानोगे ? उ का भी जवाब मे दम था। कहिस कि मान लेयो... और सब तो अफसर है। उका यही काम है... मगर पब्लिक तो पब्लिक ही है न... उ एक बार किसी का चेहरा देख कर कैसे इतना याद रख सकता है।

तब हम उको समझाए, "धुर्र बुरबक ! तू भी बात बुझता नहीं है। अरे ई जेनरल पब्लिक नहीं। सीआई डी का पब्लिक है। जौन को एकबार देख ले उका फोटो छप जाता है। उ कहावत सुना नहीं, 'बघबा घर के बिलैय्यो तेज़।' मतलब कि 'बाघ के घर की बिल्ली भी तेज़ होती है।' सो ई सी आई डी का पब्लिक भी तेज़ होता है।"

ई कहावत का महातम्य बुझाने पर उ मानने के लिए राजी हुआ। अब आपको भी तो कौनो शक नहींन है... ? अरे भाई ! ई तो मानी हुई बात है,

अगर आपका सम्बन्ध प्रभावशाली लोगों से है तो आपका प्रभाव भी सामान्य से अधिक ही होगा। समझे !

इसीलिये कहते हैं "बघबा घर के बिलैय्योतेज़।"

तो यही सब बात हमरे पेट में कुलबुला रहा था जौन के दरद के मारे हम छटपटा रहे थे। अबजा कर राहत हुआ... हेंह.... !

26 टिप्‍पणियां:

  1. कैसे न हो। आखिर,बिल्ली भी तो बाघ प्रजाति की ही है। पब्लिक लाइफ में त बिलाइए सब चट किए जा रहा है। बेचारा बूढ़ा बाघ कुछ करिए नहीं पा रहा है-सिर्फ सीआईडी जांच के आदेश के अलावा!

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति ...बाघ के घर बिल्ली भी तेज ..पहली बार सुनी यह कहावत ...

    जवाब देंहटाएं
  3. अच्छी प्रस्तुति !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ
    www.marmagya.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  4. vyang hasy desheepanasabhee kuch ek sath . masala post........manoranjak rahee.....

    जवाब देंहटाएं
  5. रोचक मसाले के साथ सुन्दर प्रस्तुति। अबकी पृष्ठभूमि अंचल की सीमा पार कर गई। कथा स्वतंत्र रूप से भी अच्छा व्यंग्य है।
    आभार,

    जवाब देंहटाएं
  6. करण भइया कथानक बड़ा ही असल जैसा बुनते हो।
    इस इन्टरनेट हम केवल शब्दों से ही बधाई दे सकते है। स्वीकार कर लो।

    जवाब देंहटाएं
  7. C.I.D TO HUM BAHUTE BAR DEKHE HAIN..PAR E SAB BAT PAR KABI DHANYANE NI DIYE.. AUR NA HE SOCHE KI AISA KAHE HO RAHA HAI..AUR AJ JAB PATA CHALA TO BAHUTE ACHA LAGA...
    APKA E NAYA PRAYAS HUMKO BAHUTE PASADN AAYA...

    AP SABHI KO DHANTERAS AUR DIWALI KI BAHOOOT SARI SUBHKAMNAYE :)

    जवाब देंहटाएं
  8. एक प्रवाहमय ओजपूर्ण कथा के ज़रिए ब-ख़ूबी आपने देसिल बयना के गूढार्थ को हमारे समक्ष सहज कर दिया। आपका आभार!

    जवाब देंहटाएं
  9. सुंदर प्रस्तुति। समाज की विसंगति को दर्शाता इस बार का बयना प्रेरक है।

    जवाब देंहटाएं
  10. आपकी शैले ने मन मोह लिया।
    एक और रोचक और शानदार प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है!
    राजभाषा हिन्दी पर – कविता में बिम्ब!

    जवाब देंहटाएं
  12. आपको समस्त परिवार सहित
    दीपावली की बहुत बहुत हार्दिक शुभ-कामनाएं
    धन्यवाद
    संजय कुमार चौरसिया

    जवाब देंहटाएं
  13. करन बाबू !उ जो सौ बुड़बक का एक बुड़बक डोलते फिरता है सीआईडी के साथ ओकरा बारे में त कुछ बोलबे नहीं किए! खाली मुँह बनाकर रोते रहता है अऊर बात बात में भूत परेत का खिस्सा सुनाते रहता है. का खूबी देखकर उसका बहाली हुआ था बुझएबे नहीं करता है..
    चलिए आनंद आया. हमहूँ सीआईडी का खिस्सा लिखे थे मगर बघवा के घर बिलैयो तेज… पढे वाला लोग ढेर मिला, मगर बिचार के नाम पर आचार सन्हिता का खटमिट्ठी चटाकार लोग भाग गया.

    जवाब देंहटाएं
  14. KARAN BABU, NAMASKAR,

    IS BAR KE DESIL BAYANA KA NAYA ANDAJ KAFI AKARSHAK LAGA. DHANTERAS KI BADHAI.

    जवाब देंहटाएं
  15. एकदम last में पेट दर्द का जब कारण पता तो मज़ा आ गया.

    जवाब देंहटाएं
  16. कमाल की पोस्ट है!
    --
    आपको और आपके परिवार को
    ज्योतिपर्व दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ|

    जवाब देंहटाएं
  17. Respected Karan Jee, Jab Bhi Raur
    Desil Bayna blog par Dekhila, Hamara Bahut Niman lagela Na Jane katana Bar Man khush hola Thik se yaad naikhe aawat lekin Ek Bat Jaroor Ba Ki Hamar Man JHANDU BALM
    HO JALA.Thanks for this post.

    जवाब देंहटाएं
  18. सुन्दर प्रस्तुति.शुभकामनायें...

    जवाब देंहटाएं
  19. करण बाबू ५४ नॉट आउट, आज ही सेंचुरी ठोक दिए। ई पोस्ट पर आपको बहुत बधाई। एतना बढिया लिखे हैं कि मने खुस हो गया। ऐसने लिखते रहिए।

    जवाब देंहटाएं
  20. बहुत गज़ब!



    सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
    दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
    खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
    दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

    -समीर लाल 'समीर'

    जवाब देंहटाएं

आपका मूल्यांकन – हमारा पथ-प्रदर्शक होंगा।