आज हम प्रस्तुत कर रहे हैं करण की कविता जो उसने मूलतः मैथिली में लिखी थी, उसका उसी के द्वारा हिन्दी अनुवाद भी, मूल कविता के साथ।
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !जरल खुशी के दीप, भेल तमक नाश !!
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !!
एहि नव-प्रकाश मे जग जग-मगाएल !
पर प्रवासी जीवक देश मोन आएल !!
एतय लक्ष्मी बल पर दिवाली अछि सदिखन !
ओतय आँखि बिछौने होयेता स्नेही परिजन !!
गामक एकपरिया लगौने होएत आश !
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !!
कतेक रास बात करैत होएत चौपालक साथी !
झींगुर दास बनौने होएत स्पेशल लुक्का पाती !!
आँखि मे रोकने नोरक धार !
माय सजौने होयति दीपक थार !!
कयने होयति हमरा ले लक्ष्मीक उपास !
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !!
मोन पडैत अछि ओ ज्योतिर्मय सांझ !
माटिक दियाक अमसिया पर राज !!
चम-चम चमकैत निशा बिन मयंक !
कि जानि किनका ले बिछौने निज अंक !!
शुभ्र-वसन, सजल नयन, रजनिक उच्छवास !
आएल दिवाली, छाएल नव-प्रकाश !!सुधि पाठक लोकनि, रोटीक संघर्ष कतेक दिन से कलम पर लगाम लगौने छल मुदा दिवाली के दस्तक सभटा बंधन तोरि फेर से हमरा स्मृति लोक मे पहुंचा देलक! ओतय हम जे देखल से अहाँ लोकनिक लेल नेने आएल छी. आब केहन छैक, से निर्णय त' अहीं के अधिकार मे अछि !! लुक्का पातिक शुभ कामना के साथ, - करण समस्तीपुरी
आयी दिवाली, छाया नव-प्रकाश !
आयी दिवाली, छाया नव-प्रकाश !जले खुशी के दीप, हुआ तमक नाश !!
आयी दिवाली, छाया नव-प्रकाश !!
इस नव-प्रकाश में जग जग-मगाया !
पर प्रवासी जीव को देश याद आया !!
यहाँ लक्ष्मी हैं तो दिवाली है हर क्षण !
वहाँ आँख बिछाए होंगे स्नेही परिजन !!
गाँव की पगडंडी लगाए होगी आश !
आयी दिवाली, छाया नव-प्रकाश !!
कितनी बातें करते होंगे चौपाल के साथी !
झींगुर दास बनाया होगा स्पेशल लुक्का-पाती !!
आँख में बांधे अश्रु-धार,
माँ सजाये होगी दीपक थार !
की होगी मेरे लिए, लक्ष्मी का उपवास !!
आयी दिवाली, छाया नव-प्रकाश !!
आती है याद वो ज्योतिर्मय सांझ !
मिटटी के दीयों का अमावास पर राज !!
चम-चम चमकती निशा बिन मयंक !
पता नहीं किसके लिए, बिछाए निज अंक !!
शुभ्र-वसन, सजल नयन, रजनी का उच्छवास !
आयी दिवाली, छाया नव-प्रकाश !!
सुधि पाठकवृन्द,
रोटी का संघर्ष बहुधा कलम पर लगाम लगा देती है किन्तु दिवाली की दस्तक ने सभी बंधन तोर फिर से मुझे स्मृति लोक मे पहुंचा दिया।वहाँ हम ने जो देखा वो आपको भेंट कर रहा हूँ। प्रकाश पर्व की शुभ-कामनाओं के साथ,
-- करण समस्तीपुरी
वाह क्या वर्णन किया है...बहुत प्रभावशाली रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति लाये हैं आप......करण जी को लिखने और आपको प्रस्तुत करने के लिये ढेर सारी बधाई और शुभकामनायें ।
.......दिपोत्सव की शुभकामनाएँ
बहुत अच्छी कविता। अनुवादो बड नीक लागल।
जवाब देंहटाएंचिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार
करण जी,
जवाब देंहटाएंझींगुर आदि सभी की ओर से और मेरी ओर से भी आपको दीपावली की हार्दिक बधाई।
सुंदर प्रस्तुति. दीपावली की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं .
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.दीप पर्व की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंचम-चम चमकती निशा बिन मयंक !
जवाब देंहटाएंपता नहीं किसके लिए, बिछाए निज अंक !!
शुभ्र-वसन, सजल नयन, रजनी का उच्छवास !
आयी दिवाली, छाया नव-प्रकाश....
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बहुत सुन्दर रचना इस शुभ पर्व पर। मंगल कामनाएं।
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अच्छी कविता
जवाब देंहटाएंदीपावली के पावन अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं....
दिल्ली मे,खासकए उक्कापाती बड़ मिस करैत छी। सम्पूर्ण कविता पढ़ि बूझि पड़ल जेना हमही मूल पात्र छी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर्।
जवाब देंहटाएंदीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
DEEPAWALI Ke punit avsar par hardik shubhkamnaye. Prastuti varnatit hai.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता ...अनुवाद अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव और प्रस्तुति..दीपावली की हार्दिक शुभ कामनायें
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