किस्मत टूटी नाव चढ़ी है
श्यामनारायण मिश्र
मन में चलती बुन उधेड़ है
रामरती का पति अधेड़ है
घर में दो दो
समवयस्क हैं कहने को बेटे
मर्द सुनाता दिले
शेर के किस्से लेटे लेटे
ठिठुरा कुल परिवार
पड़ा है
सर पर जाड़ा प्रेत खड़ा है
नंगे सभी ऊन देने को
घर में केवल एक भेड़ है
देहरी से पनघट
तक चलते चर्चे
ही चर्चे
बनिया का लड़का आंगन
में फेंक गया है पर्चे
आने को खलिहान जुआर
है
खाते में लिक्खा
उधार है
सूद चुकाने को संध्या का
अंधकार और बड़ी मेड़ है
मन में सपनों
की किताब का कोरा है पन्ना
जिसमें ताजमहल लिखने
की धूमिल हुई तमन्ना
किस्मत टूटी नाव चढ़ी है
खेने को कुल उमर पड़ी है
व्यथा सुनाने को
आंगन में
तुलसी का बस एक पेड़ है
जीवन का मार्मिक चित्रण..किस विधि जीते युद्ध कठिन यह।
जवाब देंहटाएंवाह....
जवाब देंहटाएंkya kavita hai.....jabab nahin.
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय मनोज सर |
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ||
मन में सपनों की किताब का कोरा है पन्ना
जवाब देंहटाएंजिसमें ताजमहल लिखने की धूमिल हुई तमन्ना
किस्मत टूटी नाव चढ़ी है
खेने को कुल उमर पड़ी है
व्यथा सुनाने को आंगन में
तुलसी का बस एक पेड़ है
मन में सपनों की किताब का कोरा है पन्ना
जिसमें ताजमहल लिखने की धूमिल हुई तमन्ना
किस्मत टूटी नाव चढ़ी है
खेने को कुल उमर पड़ी है
व्यथा सुनाने को आंगन में
तुलसी का बस एक पेड़ है
सुन्दर मनोहर आभार .
बढ़िया ....:)
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है
जवाब देंहटाएंसब किस्मत की है ....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया मार्मिक प्रस्तुति ..आभार
बहुत बेहतरीन प्रस्तुति,,,श्यामनारायण मिश्र जी,की रचना,,,
जवाब देंहटाएं"किस्मत टूटी नाव चढ़ी है" साझा करने के लिए आभार,,,मनोज जी,,,
recent post : बस्तर-बाला,,,
मन में सपनों की किताब का कोरा है पन्ना
जवाब देंहटाएंजिसमें ताजमहल लिखने की धूमिल हुई तमन्ना
किस्मत टूटी नाव चढ़ी है
खेने को कुल उमर पड़ी है
व्यथा सुनाने को आंगन में
तुलसी का बस एक पेड़ है
ऐसा घर परिवार ही जाता है जीवन का जीवंत चित्रण
सुंदर गीत पढ़वाने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंजीवन के संघर्ष , मन की उहापोह का सटीक चित्रण
जवाब देंहटाएंमन में सपनों की किताब का कोरा है पन्ना
जवाब देंहटाएंजिसमें ताजमहल लिखने की धूमिल हुई तमन्ना ...
नए अंदाज़ का नव गीत ... जीवंत चित्रण साधारण शब्दों में ... बहुत प्रभावशाली ...
कितना सुन्दर और प्रभावी शीर्षक है . कविता तो अवाक कर ही रही है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुदर कविता के माध्यम से शामनारायण जी ने अदिकांश लोगों की व्यथा सुनाई है ।
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सार्थक रचना है !
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंमनोज
भाई ,शुक्रिया आपकी टिपण्णी का
आप उत्प्रेरक बन आते हैं .ईद -उल -मिलाद मुबारक .
सुंदर सार्थक सन्देश देती कविता.
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की आप सभी को बधाइयाँ और शुभकामनायें.