सोमवार, 21 जनवरी 2013

किस्मत टूटी नाव चढ़ी है


किस्मत  टूटी नाव चढ़ी है

श्यामनारायण मिश्र
मन में चलती बुन उधेड़ है
रामरती  का पति अधेड़ है

घर में दो दो समवयस्क हैं कहने को बेटे
मर्द सुनाता दिले शेर के किस्से लेटे लेटे
ठिठुरा कुल परिवार पड़ा है
सर  पर जाड़ा प्रेत खड़ा है
नंगे  सभी  ऊन  देने को
घर  में केवल एक भेड़ है

देहरी  से  पनघट  तक  चलते  चर्चे ही चर्चे
बनिया का लड़का आंगन में फेंक गया है पर्चे
आने को खलिहान जुआर है
खाते  में  लिक्खा उधार है
सूद चुकाने को  संध्या का
अंधकार और बड़ी  मेड़ है

मन  में  सपनों  की  किताब का कोरा है पन्ना
जिसमें ताजमहल लिखने की धूमिल हुई तमन्ना
किस्मत  टूटी नाव चढ़ी है
खेने को कुल  उमर पड़ी है
व्यथा सुनाने को आंगन में
तुलसी का बस एक पेड़  है

19 टिप्‍पणियां:

  1. जीवन का मार्मिक चित्रण..किस विधि जीते युद्ध कठिन यह।

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  2. आभार आदरणीय मनोज सर |
    सुन्दर प्रस्तुति ||

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  3. मन में सपनों की किताब का कोरा है पन्ना
    जिसमें ताजमहल लिखने की धूमिल हुई तमन्ना
    किस्मत टूटी नाव चढ़ी है
    खेने को कुल उमर पड़ी है
    व्यथा सुनाने को आंगन में
    तुलसी का बस एक पेड़ है

    मन में सपनों की किताब का कोरा है पन्ना
    जिसमें ताजमहल लिखने की धूमिल हुई तमन्ना
    किस्मत टूटी नाव चढ़ी है
    खेने को कुल उमर पड़ी है
    व्यथा सुनाने को आंगन में
    तुलसी का बस एक पेड़ है

    सुन्दर मनोहर आभार .

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  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 22/1/13 को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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  5. सब किस्मत की है ....
    बहुत बढ़िया मार्मिक प्रस्तुति ..आभार

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  6. बहुत बेहतरीन प्रस्तुति,,,श्यामनारायण मिश्र जी,की रचना,,,
    "किस्मत टूटी नाव चढ़ी है" साझा करने के लिए आभार,,,मनोज जी,,,

    recent post : बस्तर-बाला,,,

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  7. मन में सपनों की किताब का कोरा है पन्ना
    जिसमें ताजमहल लिखने की धूमिल हुई तमन्ना
    किस्मत टूटी नाव चढ़ी है
    खेने को कुल उमर पड़ी है
    व्यथा सुनाने को आंगन में
    तुलसी का बस एक पेड़ है

    ऐसा घर परिवार ही जाता है जीवन का जीवंत चित्रण

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  8. जीवन के संघर्ष , मन की उहापोह का सटीक चित्रण

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  9. मन में सपनों की किताब का कोरा है पन्ना
    जिसमें ताजमहल लिखने की धूमिल हुई तमन्ना ...

    नए अंदाज़ का नव गीत ... जीवंत चित्रण साधारण शब्दों में ... बहुत प्रभावशाली ...

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  10. कितना सुन्दर और प्रभावी शीर्षक है . कविता तो अवाक कर ही रही है.

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  11. बहुत सुदर कविता के माध्यम से शामनारायण जी ने अदिकांश लोगों की व्यथा सुनाई है ।

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  12. बहुत सुन्दर सार्थक रचना है !

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  13. मनोज



    भाई ,शुक्रिया आपकी टिपण्णी का


    आप उत्प्रेरक बन आते हैं .ईद -उल -मिलाद मुबारक .

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  14. सुंदर सार्थक सन्देश देती कविता.

    गणतंत्र दिवस की आप सभी को बधाइयाँ और शुभकामनायें.

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