सोमवार, 5 मार्च 2012

मन के अंध सागर में


मन के अंध  सागर में
श्यामनारायण मिश्र

घिर रही है सांझ,
मन के अंध सागर में
उठ रहा है एक पागल ज्वार।

मन लगा है
गाँव के उस पार टीलों के,
श्वेत कमलों से
ढके रहते जहां
    विस्तार झीलों के।
जहां,
लहरें कूल पर क्वांरी हंसी के
कर रही होंगी नये श्रृंगार।

साँझ,
तुमने गाँव के बाहर शिवाले में,
रखा होगा
एक दीपक बालकर
    चुपचाप आले में।
भरे होंगे नैन
चौके से मसाले की
उड़ रही होगी निगोड़ी झार।

एक छोटी सी
    उमंगों की नदी है।
घाट से जिसके
अभी, उम्मीद की डोंगी बंधी है।
उठ रहा है ज्वार,
छोड़ेंगी इसे
क्या पता लहरें कहां-किस पार।

22 टिप्‍पणियां:

  1. इस गीत को पढ़वाने के लिए शुक्रिया!
    होली की शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  2. भाषा की नवीनता से ओतप्रोत अच्छा गीत, पर अन्ध सागर की बात कर नदी का वर्णन और फिर अन्तिम बन्द में नदी में ज्वार का उल्लेख कर गीतकार अपने कथ्य से भटक गया है।

    जवाब देंहटाएं
  3. बरसों बाद पढ़ा श्याम नारायण मिश्र जी को ...
    आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  4. आभार ||

    दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक
    dineshkidillagi.blogspot.com

    होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।
    कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  6. एक छोटी सी
    उमंगों की नदी है।
    घाट से जिसके
    अभी, उम्मीद की डोंगी बंधी है।
    उठ रहा है ज्वार,
    छोड़ेंगी इसे
    क्या पता लहरें कहां-किस पार………उफ़ ! कितना खूबसूरत मनोभावों का चित्रण है।

    जवाब देंहटाएं
  7. अभी, उम्मीद की डोंगी बंधी है।
    उठ रहा है ज्वार,
    छोड़ेंगी इसे
    क्या पता लहरें कहां-किस पार।.........

    श्याम नारायण मिश्र जी की कवितायेँ तो पढ़ी थी लेकिन इस काव्य रचना तक नहीं पहुँच सका था ......इतने सुन्दर भाओं का इतना सहज निरूपण ......भाई क्या कहने .......मिश्र जी को सादर नमन , साथ ही .......आपको धन्यवाद .....होली पर हार्दिक शुभ कामनाएं |

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत बढ़िया भाव अभिव्यक्ति,की रचना पढवाने के लिए,
    मनोज जी बहुत२ आभार....
    होली की बधाई शुभकामनाए,...

    NEW POST...फिर से आई होली...
    NEW POST फुहार...डिस्को रंग...

    जवाब देंहटाएं
  9. अभी, उम्मीद की डोंगी बंधी है।
    उठ रहा है ज्वार,
    छोड़ेंगी इसे
    क्या पता लहरें कहां-किस पार।very nice.

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही अच्छा नवगीत. सुंदर प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  11. इतना भावपूर्ण नव गीत पढ़वाने के लिए धन्यवाद !
    आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाएँ !

    जवाब देंहटाएं
  12. साँझ,
    तुमने गाँव के बाहर शिवाले में,
    रखा होगा
    एक दीपक बालकर
    चुपचाप आले में।
    भरे होंगे नैन
    चौके से मसाले की
    उड़ रही होगी निगोड़ी झार।

    जवाब देंहटाएं
  13. ज़वाब नहीं श्याम नारायण मिश्र जी की इस रचना का .आंचलिक और भाव सौन्दर्य का विस्फोट है यह रचना .होली मुबारक .

    जवाब देंहटाएं
  14. कहते हैं कि महिलाओं को हर्ट अटक नहीं होता, क्या यह एक भ्रामक विचार है?
    महज़ मिथ है ऐसा सोचना .सौ जोखों है इस दिल को .टूट भी जाता है और किसी को खबर भी नहीं होती ,बिना चेतावनी दिए शोर शराबे लक्षणों के आता है दिल का दौरा .औरतों का दिल भी दिल होता है .मर्द का दिल भी वहीँ अटका रहता है .तभी मर्द गाता है -दिल तुझे दिया था रखने को ,तुने दिल को जलाके रख दिया ,किस्मत ने देके प्यार मुझे मेरा दिल तड़पा के रख दिया .

    होली मुबारक भाई साहब .आज बुरा न मानो भाई साहब . हम मर्दों की टोली है ,रंगों की बरजोरी है .

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत बढ़िया नव गीत. मन को छू लेते हैं ये.

    जवाब देंहटाएं
  16. **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    *****************************************************************
    ♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
    ♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥


    श्याम नारायण मिश्र जी की रचना के लिए आभार !
    आपको सपरिवार
    होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
    *****************************************************************
    ~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~^~
    **♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**♥**

    जवाब देंहटाएं
  17. इस भावपूर्ण गीत के लिये आभार - ये गीत जो आप चुनते हैं मन महका जाते हैं !
    होळीमंगलमय हो !

    जवाब देंहटाएं

आपका मूल्यांकन – हमारा पथ-प्रदर्शक होंगा।