कैसा विकास है...?
- करण समस्तीपुरी
कैसा विकास है,
ये कैसा विकास है?
सूखा-सा सावन है,
जलता मधुमास है।
कैसा विकास है,
ये कैसा विकास है??
मंगल पर जा बैठे,
मँगली को मारते।
सरेआम देवियों की
इज्जत उतारते।
पाकेट में
इंटरनेट, घर में उपवास है।
कैसा विकास है,
ये कैसा विकास है??
मानवता गिरवी है
धर्म की दुकानों में।
भारत माँ रोती
है, खेत-खलिहानों में।
मिलती है बूँद
नहीं, सागर की प्यास है।
कैसा विकास है,
ये कैसा विकास है??
बिकता है न्याय
यहाँ कानून दोगला है।
संसद से ऊँचा
अंबानी का बँगला है।
गरीबों के रहने
को इंदिरा आवास है।
बचपन झुलसता है
ईंटों की भट्ठी में।
यौवन सिसकता है
गिद्धों की मुट्ठी में।
बेबस बुढ़ापे को
वृद्धाश्रम-वास है।
कैसा विकास है,
ये कैसा विकास है??
हरिया चलाता
मिनिस्टर की कार है।
बाबा ने लिक्खा
है, मैय्या बीमार है।
कल से बहुरिया की
सूरत उदास है।
कैसा विकास है,
ये कैसा विकास है??
मुफ़्त की मलाई से
किसको परहेज है?
सस्ती है दुल्हन
और महँगा दहेज है।
इंजिनियर बिटिया
को वर की तलाश है।
कैसा विकास है,
ये कैसा विकास है??
नफ़रत उपजती
सियासत की मिट्टी में।
करते शिकार खूब
धोखे की टट्टी में।
कारनामें काले
हैं, उजला लिबास है।
कैसा विकास है,
ये कैसा विकास है??
अच्छे दिन आएँगे,
काल-धन लाएँगे।
सीमा पर दुश्मन
के छक्के छुड़ाएँगे।
क्या अपनी बातों
पे तुमको विश्वास है?
कैसा विकास है,
ये कैसा विकास है??
आँखों की देखी
जुबानी मैं कहता हूँ।
पानी को खून नहीं
पानी मैं कहता हूँ।
फिर भी तुम कहते हो
कविता बकवास है।
वर्त्तमान दुर्दशा का सजीव चित्रण!!
जवाब देंहटाएंसुस्वागतम !!
प्रथम पाठक को प्रणाम ! प्रथम पाठक इसलिए कि इ में चच्चा जैसा सिनेह नहीं झलक रह है।
हटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12-02-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा -1887 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....
जवाब देंहटाएंकमाल की कविता . सौ प्रतिशत करन समस्तीपुरी की . एकदम जड़ से निकली हुई .
जवाब देंहटाएंकुछ ही दिनों से ब्लॉग पर वापस लौटी हूं। और लौटते ही एक गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी का गीत और एक यह गीत दिखा। मन खुश हो गया, बेहतरीन कविताओं में लौटकर।
जवाब देंहटाएंआमजन के मन में उठाते हुए प्रश्न ....
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