मंगलवार, 24 नवंबर 2009

गहन तिमिर है ...



- करण समस्तीपुरी

गहन तिमिर है, पंख पसारे !
गहन नीरवता, हृदय हमारे !!
आस क्षीण है, करूण वेदना !
तरुण हृदय, दृग में जलधारे !!
गहन तिमिर है... !!

धरती पर हैं, गीत अमा के !
तारों की बारात, गगन में !
हृदय विवश, व्याकुल है अंतस,
कठिन द्वंद है, अंतर्मन में !
आँखें थकी, आस कुम्हलाये,
प्रभा किरण की, पंथ निहारे !
गहन तिमिर है ... !!

अकथ व्यथा से, कम्पित अलकें,
पीड़ा से हैं, भींगी पलकें !
पर विश्वास, नयन में झलकें !
आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!
चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे !!
गहन तिमिर है ... !!

23 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर!
    घुघूती बासूती

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  2. जीवन के दो पक्षों का सजीवता से चित्रण हुआ है। भाषा आपकी सरिता के समान बहने वाली है। बधाई इस कविता के निर्माण पर।

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  3. अकथ व्यथा से, कम्पित अलकें,

    पीड़ा से हैं, भींगी पलकें !

    पर विश्वास, नयन में झलकें !

    आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!

    चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे !!

    गहन तिमिर है ... !!
    बहुत सुंदर, रचना धन्यवाद

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  4. "गहन तिमिर है, पंख पसारे !

    गहन नीरवता, हृदय हमारे !!"

    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं , बधाई !!

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  5. waah hum charnee aa hi gaye gahan timir hai !!! sundar aur bahut hi sundar!! manoj ji!!!

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  6. गहन तिमिर है.... ।
    आशा की किरण लेकर प्रकाश आएगा ,संदेश देती कविता । आपकी झोली से निकली एक और उत्कृष्ट कविता ।

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  7. पढ़कर राहत मिली। असाधारण शक्ति का पद्य ..आपकी रचना में भाषा का ऐसा रूप मिलता है कि वह हृदयगम्य हो गई है।

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  8. आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!
    चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे !!
    ---वाह
    गहन तिमिर में भी उजियारे दिनों की आस जगाता गीत

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  9. गहन तिमिर है, पंख पसारे !

    गहन नीरवता, हृदय हमारे !!

    आस क्षीण है, करूण वेदना !

    तरुण हृदय, दृग में जलधारे !!

    गहन तिमिर है... !!

    kya bat hai manojji... itne bhare pure hone ke bad bhi agar kisi dil se aawaz aati hai to nischay ye desh or samaj ke liye klyankari hai...
    itni sundar rachna ke liye badhai..
    ratri thakawat ke bad bhi dil ko prasann kar gaya....

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  10. अकथ व्यथा से, कम्पित अलकें,
    पीड़ा से हैं, भींगी पलकें !
    पर विश्वास, नयन में झलकें..
    लाजवाब रचना! हर एक पंक्तियाँ बहुत सुंदर है! बधाई !

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  11. आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!

    चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे !!

    बहुत अच्छे भाव।

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  12. आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!

    चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे !!
    आस बनाये रखना निहायत जरूरी है

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  13. आशावादिता की कविता। अच्छी है।

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  14. कविता अच्छी लगी। ऐसे ही लिखते रहें।

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  15. पीड़ा से हैं, भींगी पलकें !
    पर विश्वास, नयन में झलकें !
    आयेंगे ! निश्चय आयेंगे !!
    चिर प्रतीक्षित, दिन उजियारे


    बहुत सुन्दर कविता
    बहुत अच्छे भाव
    बधाई


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  16. आपकी कविता के शब्द जरूर तत्सम प्रधान हैं, लेकिन भाव फिरभी बहे चले जा रहे हैं। बधाई।
    ------------------
    क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
    पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।

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  17. कुछ पाठक पहली बार हमारे ब्लॉग पर आये, स्वागत और धन्यवाद ! उत्साह वर्धन के लिए आप सभी का आभार !! उम्मीद है, आगे भी यह स्नेह बना रहेगा !!!

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  18. एक सुन्दर कविता ,जो प्रेरणा देती है ।

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  19. निराशा से आशा की और ले जाती रचना ! बधाई !!

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  20. आपकी कविता वाकई संपूर्ण सम्वेदना से सारसज्जित है..
    पढ़ कर बहुत हार्दिक प्रसन्नता हुई...
    आपने जैसे हिन्दी शब्दों का उल्लेखन किया है..हम ऐसे शब्द स्कूल
    के दिनों हिन्दी विषय मे पढ़ा करते थे...
    ऐसी सुन्दर कविता लिखने के लिये बधाई......

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आपका मूल्यांकन – हमारा पथ-प्रदर्शक होंगा।